सामान्य रूप में शैलों के विघटन तथा वियोजन से प्राप्त ढीले एवं असंगठित भू पदार्थों को मृदा कहते हैं। मिट्टी वास्तव में जीवमंडल या जीवन परत का हृदय या क्रोड है, क्योंकि यह उस मंडल का प्रतिनिधित्व करती है जिसमें पौधों के पोषक तत्वों का उत्पादन तथा रखरखाव होता है।
मृदा
मिट्टियां जंतु खनिज एवं जैविक पदार्थों से निर्मित प्राकृतिक वस्तु होती हैं जिनमें विभिन्न मोटाई के विभिन्न मंडल होते हैं। मिट्टी के यह संस्तर आकारिकी, भौतिक एवं रासायनिक संगटन तथा जैविक विशेषताओं के दृष्टिकोण से निचले पदार्थों से अलग होते हैं।

Soil is formed of rocks that have been reduced to small fragments and have been more or less changed chemically together with the remains of plants or animals that live on or in it.
मृदा की विशेषताएं
मिट्टी की विशेषताएं निम्न हैं-
- Soil मंडल जीव मंडल में ऊर्जा एवं पदार्थों के स्थानांतरण मार्गों के लिए माध्यम का कार्य करता है तथा पोषक तत्वों के जैविक संघटकों द्वारा चक्रण में सहायता करता है।
- मृदा विभिन्न जातियों एवं किस्मों के जीवित जीवो के लिए अनुकूल आदर्श पर्यावरण दशाएं एवं आवास प्रदान करती है।
- मृदामंडल के अंतर्गत ही पौधों तथा जंतुओं से प्राप्त जैविक पदार्थों तथा आधार सेल से प्राप्त खनिजों का विघटन तथा वियोजन होता है तथा उनका विभिन्न तत्वों में परिवर्तन होता रहता है।
- विभिन्न प्रकार के जैविक यौगिकों का मिट्टी के अंतर्गत जनन होता है जो जीवित जीवो के लिए अति आवश्यक होते हैं।
- मृदामंडल से ही पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व सुलभ होते हैं।

मृदा का महत्व
मृदा निम्न कारकों से मानव समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण पर्यावरण कारक तथा तत्व होती है-
- खाद्यान्नों तथा लकड़ी के उत्पादन के लिए मिट्टी मुख्य आधार होती है।
- यह भवनों के लिए तथा सड़कों के निर्माण के लिए आधार प्रस्तुत करती है।
- यह महत्वपूर्ण क्षयशील प्राकृतिक संसाधन है क्योंकि एक बार नष्ट हो जाने या इसके समाप्त हो जाने पर इसकी स्थान आपूर्ति नहीं की जा सकती है। मृदा का क्षय मानव जनित मृदाअपरदन के कारण अत्याधिक होता है।
मृदा तंत्र
मृदा तंत्र पर्यावरण जीवीय प्रक्रमों का प्रतिफल होता है तथा इसका जलवायु, वनस्पति, जंतु, आधारशैल, धरातल तथा समय से गहरा संबंध है। मृदा तंत्र के अध्ययन के अंतर्गत निम्न पक्षों को सम्मिलित किया जाता है-
मृदा संगटक, वर्गीकरण, निर्माण की प्रक्रिया तथा उसका समय के परिवेश में विकास। मिट्टी तथा पौधे एक दूसरे से अविभाज्य अंग होते हैं क्योंकि इन दोनों में पदार्थों तथा ऊर्जा का आदान-प्रदान होता रहता है।

मृदा तंत्र के संघटक
किसी क्षेत्र की मिट्टी के संगठन एवं उसकी विशेषताओं को समझने के लिए मृदा तंत्र के चार प्रमुख संगटक है-
- वनस्पति समूह जंतु समूह तथा जैविक पदार्थ
- अजैविक या अकार्बनिक खनिज
- मृदा घोल
- मृदा वायुमंडल
वनस्पति समूह जंतु समूह तथा जैविक पदार्थ
मृदा मंडल के जीवित जीवों के अंतर्गत पौधों तथा जंतुओं तथा अन्य से प्राप्त पदार्थों को सम्मिलित किया जाता है जैविक पदार्थों के अंतर्गत वनस्पति एवं जंतुओं के जीवित बायोमास को सम्मिलित करते हैं इसका संगठन 5% से 12% होता है। मिट्टी में रहने वाले जंतुओं के आकार 20 सेंटीमीटर से लेकर 20 माइक्रोमीटर तक की लंबाई वाले होते हैं। मृदा जीवो को तीन प्रकार से विभक्त किया गया है-
- बड़े आकार वाले जीव, इनके शरीर की लंबाई 1 सेमी से अधिक होती है।
- मध्यम आकार वाले जीव, इनके शरीर की लंबाई 1 सेमी तथा 0.2 एमएम से कम होती है।
- सूक्ष्म आकार वाले जीव इनके शरीर की लंबाई 0.2 एमएम से कम होती है।

अजैविक या अकार्बनिक खनिज
यह मृदा मंडल के अति महत्वपूर्ण घटक होते हैं क्योंकि यह नीतियों के निर्माण में सहायक होते हैं। वास्तव में खनिजों को मिट्टी के अजैविक पदार्थों के अंतर्गत सम्मिलित किया जाता है। मैदा मंडल के प्रमुख खनिजों के अंतर्गत आलविन, हाइपरस्थीन, आजाइट, फेल्सपार, कैलशिकस क्वार्टज आदि सम्मिलित हैं।
मृदा घोल
मृदा मंडल में वर्तमान जल की मात्रा तथा उसकी गुणवत्ता उसमें रहने वाले पौधे तथा जंतुओं को प्रभावित करती है। इसी तरह मृदा मंडल के ऊपरी भाग में रहने वाले जीव खासकर पौधे जिनकी जड़ें मरदा मंडल में काफी गहराई तक प्रविष्ट रहती हैं और मैदा मंडल में स्थित जल से प्रभावित होती हैं। मृदामंडल में जल का रहना अनिवार्य होता है क्योंकि यह जल मिट्टी में स्थित पोषक तत्वों को घोलकर मृदा घोल बनाने में सहायक होता है।
मृदा वायुमंडल
मृदा के वायुमंडलीय संगटक के अंतर्गत मिट्टियों में विभिन्न गैसों एवं हवा की उपस्थिति मिट्टी के अंतर्गत वायु के संचरण तथा मिट्टी के विभिन्न स्तरों या उप मंडलों में तापमान के वितरण का अध्ययन सम्मिलित करते हैं। वायुमंडल में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड के अनुपात में विभिन्नता होती है।

मृदा निर्माण के कारक
मिट्टियों के निर्माण की प्रक्रियायें तथा मिट्टी के गुण एवं उनकी विशेषताएं मुख्य रूप से निम्न पांच कारकों के द्वारा निर्धारित, नियंत्रित तथा प्रभावित होती हैं जो निम्न हैं-
- जलवायु
- जैविक कारक
- उच्चावच या धरातल
- आधार शैल तथा पदार्थ
- समय