मूल्यांकन की आवश्यकता – मूल्यांकन एक सतत प्रक्रिया है जो संपूर्ण शिक्षा प्रणाली का एक अभिन्न अंग है और शैक्षिक लक्ष्यों से घनिष्ठ रूप से संबंधित है। यह छात्रों की अध्ययन आदतों तथा शिक्षक की विधियों पर अधिक प्रभाव डालता है। इस प्रकार यह न केवल शैक्षिक उपलब्धि के मापन में सहायता करता है जबकि उसमें सुधार भी करता है।
मूल्यांकन की आवश्यकता
शिक्षा की गुणवत्ता मूल्यांकन की गुणवत्ता से प्रत्यक्ष रूप से संबंध है। मूल्यांकन एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। जो समग्र रूप से समाज पर व्यापक प्रभाव अपनी क्षमता के कारण शैक्षिक प्रक्रिया में विशिष्ट महत्व रखती है। शैक्षिक मूल्यांकन मुख्य रूप से छात्रों के मूल्यांकन को व्यक्त करता है। जिसमें बौद्धिक, सामाजिक और संवेगात्मक विकास के रूप में उनके व्यक्तित्व के विकास के विभिन्न क्षेत्रों में छात्रों की निष्पत्ति का मूल्यांकन सम्मिलित है। छात्रों की कक्षा शिक्षण की प्रक्रियाओं के माध्यम से जो कुछ भी अधिगम अनुभव प्रदान किया जाता है।

उन सब का व्यापक प्रभाव उस पर पड़ता है। शिक्षण की गुणवत्ता पाठ्यक्रम सामग्री शैक्षिक तकनीकी एवं विद्यालय का आधारभूत ढांचा आदि सभी छात्रों के अधिगम को प्रभावित करते हैं और उसके ज्ञान एवं अनुभव में वृद्धि करते हैं। मूल्यांकन एक सतत एवं व्यापक प्रक्रिया है शिक्षा प्रक्रिया के प्रारंभ होने के साथ ही साथ मूल्यांकन का कार्य भी प्रारंभ हो जाता है। अध्यापक छात्रों द्वारा दिए गए मौके, प्रश्नों के उत्तर परीक्षक को पर प्राप्त अंकों, पाठ्य सहगामी क्रियाओं में भागीदारी आदि की सहायता से सत्रपर्यंत छात्रों का मूल्यांकन करता रहता है।
इसके अतिरिक्त विद्यालय मासिक परीक्षा अर्धवार्षिक परीक्षा वार्षिक परीक्षाओं की सहायता से तथा माध्यमिक शिक्षा परिषद व अन्य शिक्षण संस्थाओं की वार्षिक परीक्षाओं की सहायता से छात्रों के ज्ञान का मूल्यांकन किया जाता है।
शैक्षिक अनुसंधान में मूल्यांकन की आवश्यकता
शैक्षिक जगत में नवीन धारणाओं प्रविधियां प्रणालियों और नूतन शाखाओं का उद्गम अनुसंधान से हुआ है अंग्रेजी भाषा का शब्द रिसर्च दो शब्दों Re और Search से मिलकर बना है। जिसका अर्थ है पुनः खोज तथा खोज की पुनरावृत्ति अथवा किसी घटना के विषय में अन्वेषण करना।
- तार्किक ढंग से चिंतन
- परिश्रम के साथ कार्य करना
- समाधान की खोज करना
- शुद्धता की निश्चितता
- विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण
- तथ्यों से संबंध
- आलोचनात्मक निरीक्षण
- ईमानदारी के साथ कार्य करना

उपयुक्त अनुसंधान की वर्ण व्याख्या से स्पष्ट है कि शैक्षिक दृष्टि से अनुसंधान कितना महत्वपूर्ण है। बिना अनुसंधान के शिक्षा के सैद्धांतिक पक्ष को मजबूत नहीं किया जा सकता है। विद्यालय के दैनिक कार्यों, संगठन, संचालन, शिक्षण प्रक्रिया, शिक्षण पद्धतियों एवं मूल्यांकन पर विधियो में किस प्रकार सुधार किया जा सकता है। इन सब की जानकारी हमें अनुसंधान के द्वारा होती है।
अनुसंधान अपने आधुनिक अर्थों में ज्ञान की एक नवीन शाखा है। शैक्षिक अनुसंधान का केंद्र बिंदु छात्र का विकास ही है जो विद्यालयों के माध्यम से उत्पन्न होता है। बालकों के शारीरिक, मानसिक, नैतिक तथा व्यक्तित्व के विकास की परिस्थितियां हमारे समझ से महत्वपूर्ण प्रश्न उभार देती है। जिनके प्रति हमें संतोषजनक उत्तर खोजने की आवश्यकता पड़ती है।
सामाजिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन की आवश्यकता
दृष्टिकोण से तात्पर्य है समाज में रहने वाले व्यक्तियों की सोचने विचारने का ढंग यह विचार एक दूसरे के प्रति सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकते हैं। समाज गत्यात्मक होता है, सामाजिक संबंधों के द्वारा ही समाज का निर्माण होता है। उसके पारस्परिक संबंध व्यवस्थित होने चाहिए सुव्यवस्थित ढंग से स्थापित संबंध एक प्रकार की व्यवस्था का निर्माण करते हैं। इसे ही समाज कहते हैं शिक्षा की व्यवस्था समाज की आवश्यकताओं, आकांक्षाओं एवं आदर्शों को आधार मानकर की जानी चाहिए।
शिक्षा द्वारा बालकों में सामाजिक गुणों का और सामाजिक भावनाओं का विकास किस हद तक हो रहा है। इसके लिए मूल्यांकन की आवश्यकता पड़ती है। शिक्षा का उद्देश्य है व्यक्ति को सामाजिक कुशलता प्राप्त करा कर सामाजिक वातावरण में समायोजन करने की योग्यता प्रदान करना है। शिक्षा का कार्य है कि वह मनुष्य को यह सिखाएं की व्यक्तिगत हितों की अपेक्षा सार्वजनिक हितों को प्रधानता दी जाए प्रत्येक समाज में नैतिकता का व्यवहार आवश्यक होता है क्योंकि इसके द्वारा ही मनुष्य का आचरण अच्छा होता है।

शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है प्रत्येक समाज अपनी मान्यताओं तथा आवश्यकताओं के अनुकूल शिक्षा की व्यवस्था करता है। इसके लिए शैक्षिक संस्थाएं स्थापित करता है। जिस देश में जैसी शासन प्रणाली होती है, उसी के अनुसार शिक्षा भी प्रभावित होती है। जैसे भारत में प्रजातंत्र के शासक बना ली है जो यहां प्रत्येक बच्चे की रूचि तथा क्षमता के अनुसार ही शिक्षा की व्यवस्था की जाती है।
प्रशासनिक क्षेत्र में मूल्यांकन की आवश्यकता
प्रशासनिक क्षेत्र में मूल्यांकन की आवश्यकता निम्न तथ्यों से संबंधित है-
- उपलब्धिया संप्राप्ति परीक्षण ओं द्वारा किसी छात्र के शैक्षिक स्तर की जांच की जाती है। कक्षा 10 के गणित के उपलब्धि परीक्षण द्वारा यह ज्ञात किया जाता है कि छात्र को कक्षा 10 स्तर की गणित का ज्ञान कितना है। इसी प्रकार विभिन्न उपलब्धि परीक्षणो द्वारा छात्रों की शैक्षिक योग्यता के स्तर की परख की जाती है।
- विद्यालय एवं कालेज में छात्रों के प्रवेश में मूल्यांकन की आवश्यकता के लिए परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इंजीनियरिंग, मेडिकल, बीएड, परीक्षण महाविद्यालयों तथा अन्य प्राविधिक विद्यालयों में प्रवेश परीक्षा में उपलब्ध परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है।
- सरकारी तथा गैर सरकारी सेवाओं में कर्मचारियों तथा अधिकारियों का चयन करने के लिए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को आयोजित करना होता है। इन परीक्षाओं में अभ्यर्थियों की शैक्षिक योग्यताओं का मूल्यांकन करने के लिए उपलब्धि परीक्षण बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है।

मूल्यांकन | मूल्यांकन के क्षेत्र | मूल्यांकन की आवश्यकता |
मूल्यांकन का महत्व | मूल्यांकन के प्रकार | मूल्यांकन तथा मापन में अंतर |
मूल्यांकन की विशेषताएं |