मूल्यांकन का महत्व – मूल्यांकन अर्थात मूल्य का अंकन करना मूल्यांकन मूल्य निर्धारण की एक प्रक्रिया है। शिक्षा प्रक्रिया से संबंधित विभिन्न व्यक्तियों विशेषकर छात्रों, अभिभावकों, अध्यापकों, प्रशासकों तथा समाज के लिए मूल्यांकन का अत्यंत महत्व है क्योंकि मूल्यांकन के द्वारा ही छात्रों को अपनी शैक्षिक प्रगति का ज्ञान होता है। इससे उन्हें प्रेरणा असंतोष आत्मविश्वास आगे बढ़ने की हिम्मत उत्पन्न होती है तथा साथ ही साथ अपनी कमियों की जानकारी भी मिल जाती है।
मूल्यांकन, किसी भी शैक्षिक कार्यक्रम के किसी भी एक पक्ष के विषय में सुचना एकत्र करना, उसका विश्लेषण और व्याख्या है जो इस की प्रभाविता, कुशलता अन्य परिणामो को परखने की मान्य प्रक्रिया का एक एक भाग है।

जो उन्हें भविष्य में अथक परिश्रम करने की प्रेरणा देती है। मूल्यांकन का अध्यापकों के लिए भी बहुत महत्व है। इसके द्वारा अपने शिक्षण की सही जानकारी प्राप्त करके उसमें सुधार करते हैं। इसके द्वारा अध्यापक गण पाठ्यक्रम शिक्षण विधि पाठ योजना शिक्षण सामग्री आदि की प्रभावशीलता जानते हैं। तथा समय-समय पर आवश्यकता के अनुरूप संशोधन करते हैं।
मूल्यांकन का महत्व
मूल्यांकन की सहायता से अध्यापक बच्चों की रुचियों, योग्यताओं, क्षमताओं, व्यक्तित्व, सामर्थ्य, कमियों को पहचान कर उन्हें उचित मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। मूल्यांकन शिक्षा के सुधार तथा गुणवत्ता उम्र में सहायक होता है। शैक्षिक दृष्टि से मूल्यांकन का महत्व इस प्रकार समझा जा सकता है-
- मूल्यांकन उचित शैक्षिक निर्णय लेने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
- मूल्यांकन से शिक्षा शास्त्री प्रशासक अध्यापक छात्र तथा अभिभावक शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति सीमा को जान सकते हैं।
- मूल्यांकन शिक्षण के उद्देश्यों को स्पष्ट करता है।
- छात्रों को अध्ययन के लिए प्रेरित करता है।
- मूल्यांकन के आधार पर पाठ्यक्रम शिक्षण विधियों सहायक सामग्री और आदमी आवश्यक सुधार किया जा सकता है।
- कक्षा शिक्षण में सुधार लाता है। अध्यापक को अपनी कमी ज्ञात हो जाती है। जिससे वह अपने शिक्षण को अधिक संगठित बनाता है।
- मूल्यांकन के आधार पर छात्रों की शैक्षिक तथा व्यवसायिक निर्देशन दिया जा सकता है।
- मूल्यांकन से छात्रों की रुचियो, अभिरुचियो, कुशलताओं, योग्यताओं, दृष्टिकोण तथा व्यवहारों का ज्ञान संभव होता है।
- मूल्यांकन से विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों की उपयोगिता का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

मूल्यांकन की उपयोगिता
मापन एवं मूल्यांकन के उपयोग पर निम्न रूप से प्रकाश डाला जा सकता है-
- मूल्यांकन शैक्षिक प्रक्रिया में अत्यंत उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इससे शिक्षण उपरांत अधिगमकर्ता की उपलब्ध की जानकारी प्राप्त होती है।
- इसके द्वारा छात्र के विभिन्न विषयों की कमजोरी मालूम होती है। इस कमजोरी को दूर करने के लिए शिक्षक उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था करता है।
- मापन एवं मूल्यांकन द्वारा शिक्षण अपनी शिक्षण विधियों तथा शिक्षण योजना की उपयोगिता की जानकारी प्राप्त कर लेता है। शिक्षण विधियों का मूल्यांकन करने के उपरांत शिक्षक आवश्यकता अनुसार उस में वांछित परिवर्तन या परिमार्जन कर लेता है।
- बालक को स्वयं अपनी कमजोरियां सीखने से संबंधित कठिनाइयों एवं दुर्बलताओं की जानकारी मूल्यांकन के उपकरणों द्वारा ज्ञात हो जाती है। वह तब अनुरूप अपने में वांछित सुधार लाने का प्रयास करता है।

- मूल्यांकन के उपकरणों द्वारा छात्र की उपलब्ध की जानकारी उसे हो जाती है, अच्छी सफलता प्राप्त करने के बाद वह प्रेरित होकर अपने मुख्य लक्ष्य की ओर अग्रसर हो जाता है।
- मूल्यांकन एवं मापन द्वारा छात्र की व्यक्तिगत विभिन्नता का ज्ञान होता है तथा छात्र की योग्यता बुद्धि अभिक्षमता रुचि व्यक्तित्व के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था की जा सकती है।
- शैक्षिक, व्यवसायिक एवं व्यक्तिगत निर्देशन में मापन एवं मूल्यांकन के उपकरणों की विशेष उपयोगिता स्पष्ट होती है।
- व्यावसायिक प्रशिक्षण की कक्षाओं में प्रवेश के समय अभ्यर्थियों के चयन हेतु मूल्यांकन के उपकरणों तथा बुद्धि, परीक्षण, व्यक्तित्व, प्रश्नावली, अभिक्षमता, परीक्षण आदि का विशेष महत्व होता है।
- छात्रों को कक्ष उन्नति प्रदान करते समय मापन एवं मूल्यांकन का विशेष महत्व है।
इस प्रकार उपरोक्त अध्ययन से निष्कर्ष निकलता है। मापन मूल्यांकन का ही भाग है अर्थात मूल्यांकन में ही मापन निहित होता है।

मूल्यांकन | मूल्यांकन के क्षेत्र | मूल्यांकन की आवश्यकता |
मूल्यांकन का महत्व | मूल्यांकन के प्रकार | मूल्यांकन तथा मापन में अंतर |
मूल्यांकन की विशेषताएं |