भारत की आर्थिक समस्याओं के अंतर्गत महँगाई की समस्या बहुत विकराल समस्या है । वस्तुओं के मूल्य इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि आम आदमी को जीवनयापन करना दूभर हो गया है । बढ़ती महँगाई का चित्रण काका हाथरसी ने इन पंक्तियों में किया है- वे दिन आते याद जेब में पैसे रखकर, सौदा लाते थे बाजार से थैला भरकर। धक्का मारा युग ने मुद्रा की क्रेडिट में, थैले में रुपए हैं, सौदा है पाकिट में ।।
महँगाई के कारण
मूल्य वृद्धि के अनेक कारण हैं जिनमें जनसंख्या की वृद्धि , कृषि उत्पादन, व्यय में वृद्धि, उत्पादकों तथा व्यापारियों की अधिक लाभ कमाने की प्रवृत्ति , मुद्रा – प्रसार एवं स्फीति , देश में बढ़ता भ्रष्टाचार तथा प्रशासन की शिथिलता, घाटे की अर्थव्यवस्था तथा धन का असमान वितरण उत्तरदायी हैं । जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ती है , उतनी तेजी से वस्तुओं की आपूर्ति एवं उत्पादन नहीं बढ़ सकता इसलिए जब वस्तुओं की माँग के अनुपात में पूर्ति कम रह जाती है , तो व्यापारी तथा उत्पादक उसके दाम बढ़ा देता है। मुद्रा के प्रसार और स्फीति के कारण भी वस्तुओं के मूल्य बढ़ते हैं ।

जब मुद्रा का प्रसार बढ़ता है तो आवश्यकता से अधिक मुद्रा बाजार में आ जाने से महँगाई बढ़ती है । सरकारी तंत्र का भष्यचार भी महँगाई को बढ़ाता है । घाटे की अर्थव्यवस्था के कारण सरकार इस घाटे को अधिक नोट छापकर पूरा करती है जिससे देश में मुद्रा का प्रसार जरूरत से ज्यादा हो जाता है और महँगाई बढ़ जाती है । कभी – कभी व्यापारी वर्ग किसी सामान या वस्तु का नकली अभाव दिखाकर उसे बाजार से गायब कर देते हैं । जमाखोरी की इस प्रवृत्ति के कारण महँगाई बढ़ जाती है ।
महँगाई के दुस्परिणाम
बढ़ती महँगाई के कारण आम आदमी का जीवन कष्टदायक हो जाता है। महँगाई के कारण लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाते जिसके कारण बहुत सी और बुराइयाँ जैसे भ्रष्टाचार , रिश्वतखोरी , अपराधवृत्ति आदि का जन्म होता है।
महँगाई के कारण ही चोर बाजारी , कालाबाजारी तथा तस्करी जैसी बुराइयों का भी जन्म होता है ।

महँगाई का समाधान
महँगाई को रोक पाना सरल नहीं है । इसके लिए सरकार को समयबद्ध कार्यक्रम बनाना होगा। मूल्यों को अधिक दामों पर बेचने वालों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही की जानी चाहिए। साथ ही घाटे की वित्त व्यवस्थाओं को रोकना भी अनिवार्य है। सरकार को एक ऐसा कानून बनाना चाहिए जिसमें दुकानदार को बेची जाने वाली प्रत्येक वस्तु का मूल्य तथा उसकी कितनी मात्रा उसके पास उपलब्ध है, इसका ब्यौरा लिखकर टांगना अनिवार्य हो। बेरोजगार होने की कुछ खास वजह जो शायद आपके नौकरी ना मिलने और पैसो के कमी का कारण है।

- नर्वस होना: परीक्षा या इंटरव्यू देते समय ज्यादातर लोग नर्वस हो जाते हैं। इसके कारण वह छोटी-छोटी गलतियां करने लगते हैं। कई स्टूडेंट्स बताते हैं कि परीक्षा में नर्वसनेस के कारण कई ऐसे सवालों के हल भी गलत कर आते हैं, जिनके बारे में उन्हें अच्छी जानकारी होती है ।
- आपका व्यवहार: इंटरव्यू के दौरान सिर्फ आपका मेरिट ही नहीं जज किया जाता है, बल्कि आपके व्यवहार को भी परखा जाता है । 5-7 मिनट के इंटरव्यू में ही यह पता कर लिया जाता है कि आपका व्यवहार अच्छा है या बुरा इसलिए हमेशा इंटरव्यू के दौरान सकारात्मक रहकर अच्छा व्यवहार करें।
- आपकी नॉलेज: आप जिस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं उसके बारे में अच्छी जानकारी होनी जरूरी है । बेरोजगार रहकर इधर-उधर भटकने से अच्छा है कि पहले आप अपने नॉलेज को मजबूत करें। उसके बाद मार्केट में जाएं, एक बार अगर आप काबिल हो गए तो समझ लीजिए कि नौकरी आपके पीछे आएगी ही आएगी।
- कम्यूनिकेशन की समस्या: अगर आप अपनी काबिलियत को अच्छे से बता नहीं पाते हैं तो आप बेरोजगार रह सकते हैं। कम्यूनिकेशन एक आर्ट की तरह है, इसे जरूर सीखना चाहिए। ये जॉब दिलाने में अहम भूमिका अदा कर सकता है।