भारत में असमानता के कारण निम्नलिखित हैं-
- भूमि के स्वामित्व में असमानता
- शहरी क्षेत्रों में सम्पत्ति का निजी स्वामित्व
- विरासत का कानून
- व्यावसायिक प्रशिक्षण की असमानता
- महंगाई
- वित्तीय संस्थाओं की ऋण नीति
- अप्रत्यक्ष करों का अधिक बोझ
- भ्रष्टाचार
- वेरोजगारी
- कर चोरी
1. भूमि के स्वामित्व में असमानता
भारत में असमानता अर्थात आय तथा सम्पत्ति में पायी जाने वाली असमानता का मुख्य कारण जमीदारी प्रथा तथा भूमि के स्वामित्व में पायी जाने वाली असमानता है। इस समय देश में 30 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या के पास कृषि भूमि का 56 प्रतिशत भाग है तथा 70 प्रतिशत जनसंख्या के पास 14 प्रतिशत भाग है। भूमि के स्वामित्व में पाई जाने वाली असमानता ग्रामीण क्षेत्रों में पायी जाने वाली असमानता का मुख्य कारण है।
2. शहरी क्षेत्रों में सम्पत्ति का निजी स्वामित्व
शहरी क्षेत्रों में उद्योगों, व्यापार, भूमि, मकानों आदि सम्पत्ति पर निजी स्वामित्व पाया जाता है। कुछ लोगों के अधिकार में अधिकतर शहरी सम्पत्ति होती है। इसके विपरीत अधिकतर जनसंख्या गरीब होती है।

3. विरासत का कानून
भारत में प्रचलित उत्तराधिकार के नियमों के फलस्वरूप भी आय तथा सम्पत्ति के वितरण की असमानता में वृद्धि हुयी है तथा यह स्थायी बन गयी है।
4. व्यावसायिक प्रशिक्षण की असमानता
व्यावसायिक प्रशिक्षण में पाई जाने वाली असमानता भी आय की असमानता का एक मुख्य कारण है। भारत में शिक्षा व्यवस्था में कमी है उसमे व्यावसायिक शिक्षा का अभाव है ये भी असमानता का एक कारण है।
5. महंगाई
सन् 1956 से देश में कीमतों के बढ़ने की प्रवृत्ति जारी है। कीमतों के बढ़ने पर, धनी वर्ग पर निर्धन वर्ग की तुलना में, अधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। मुद्रा स्फीति के कारण निर्धन वर्ग की वास्तविक आय में काफी कमी हो जाती है। अतः मुद्रा स्फीति भी वास्तविक आय की असमानता में होने वाली वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

6. वित्तीय संस्थाओं की ऋण नीति
आजादी के बाद देश में बैंकिंग तथा विशिष्ट वित्तीय संस्थाओं जैसे औद्योगिक बैंक, औद्योगिक वित्तीय तथा साख निगम, राज्य वित्त निगम, जीवन बीमा निगम की स्थापना हुयी है। इन संस्थाओं ने पूँजीपतियों को ही अधिक ऋण दिये है। निर्धन वर्ग को कम साख सुविधाएँ दी गयी है। वित्तीय संस्थाओं की साख नीति के कारण भी आय की असमानता में वृद्धि हुयी है।
7. अप्रत्यक्ष करों का अधिक बोझ
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत में भारी मात्रा में कर लगाये गये है, किन्तु प्रत्यक्ष करों जैसे आयकर निगम कर आदि की तुलना में अप्रत्यक्ष करों जैसे उत्पादन कर, बिक्री कर, आयात-निर्यात कर आदि के भार में काफी अधिक वृद्धि हुयी है। अप्रत्यक्ष करो का धनी वर्ग की तुलना में निर्धन वर्ग अधिक भार उठाना पड़ता है। इसके फलस्वरूप निर्धन वर्ग की वास्तविक आय कम होती है। इस प्रकार अप्रत्यक्ष करो के भार में वृद्धि होने के कारण वास्तविक आय की असमानता में अप्रत्यक्ष रूप से वृद्धि हुयी है।
8. भ्रष्टाचार
आजादी के पश्चात् से देश में भ्रष्टाचार में काफी वृद्धि हुयी है। इस कारण भी आय में असमानता बढ़ी है, जो लोग रिश्वत देने की क्षमता रखते हैं उन्हें कोटा, परमिट औद्योगिक लाइसेंस आसानी से मिल जाते हैं तथा उनकी आय बढ़ जाती है साथ जिन्हें रिश्वत मिली है वे अधिकारी भी धनी हो जाते हैं। भ्रष्टाचार और स्मगलिंग के फलस्वरूप काला धन उत्पन्न होता है। इन सारी क्रियाओ के कारण देश में आय और सम्पत्ति के वितरण की असमानताओं में वृद्धि हुयी है।

9. बेरोजगारी
महालनोबिस समिति के अनुसार, बेरोजगारी तथा अल्परोजगार भारत में आय की असमानता के प्रमुख तत्व हैं। बेरोजगारी की अवस्था में व्यक्ति आय के सभी स्रोतों से वंचित रह जाता है। भारत में बेरोजगारी की संख्या प्रत्येक योजना के साथ बढ़ी है।
10. कर चोरी
आय एवं सम्पत्ति वितरण में असमानता के लिए चारों ओर व्यक्त करों की चोरी भी जिम्मेदार है। कर एकत्रित करने वाले अधिकारी सही से जिम्मेदारी नहीं निभाते है तथा कार्यकुशल नहीं होते हैं। इसके फलस्वरूप लोग करों से बचाने में सफल हो जाते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में काले धन की मात्रा की वृद्धि ने देश में सम्पत्ति तथा आय के वितरण में असमानता को और बढ़ावा दिया है।