ब्रिटिश संविधान में प्रधानमंत्री का पद परंपरा पर आधारित है, परंतु भारत के प्रधानमंत्री के पद को संविधान द्वारा मान्यता प्रदान की गई है। भारतीय प्रशासन में प्रधानमंत्री को बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। भारतीय संविधान में कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित करते हुए कहा गया है कि राष्ट्रपति अपनी समस्त शक्तियों का प्रयोग मंत्रिपरिषद के परामर्श से करता है। इस प्रकार व्यवहार में सभी कार्यपालिका शक्तियों का उपभोग मंत्रिपरिषद के माध्यम से प्रधानमंत्री ही करता है। वह सत्ताधारी दल का नेता होता है तथा सरकार का प्रमुख होता है। भारत के प्रधानमंत्री
- प्रथम प्रधानमंत्री- जवाहरलाल नेहरू
- प्रथम महिला प्रधानमंत्री- श्रीमती इंदिरा गांधी
- प्रथम गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री- श्री मोरारजी देसाई
- लोकसभा का सामना न करने वाले प्रधानमंत्री- चौधरी चरण सिंह
- अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाए जाने वाले प्रथम प्रधानमंत्री- विश्वनाथ प्रताप सिंह
प्रधानमंत्री का चयन, नियुक्त एवं योग्यताएं
प्रधानमंत्री भारत की कार्यपालिका का वास्तविक प्रमुख है। भारतीय संविधान में प्रधानमंत्री पद का उल्लेख बहुत ही संक्षेप में धारा 74, 75 तथा 78 में किया गया है।
प्रधानमंत्री का चयन उस दल के द्वारा किया जाता है, जिसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त हो, फिर उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होगी तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री के परामर्श से की जाएगी।
भारतीय संविधान के अनुसार राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री की नियुक्त करने का अधिकार है, लेकिन वह अपनी इच्छा का प्रयोग नहीं कर सकता। राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए बाध्य हैं। यदि लोकसभा में किसी एक दल का स्पष्ट बहुमत ना हो,तो राष्ट्रपति अपने विवेक से किसी दल के नेता को प्रधानमंत्री पद पर आसीन कर उसको मंत्रिपरिषद के निर्माण का आदेश दे सकता है।



भारत के प्रधानमंत्री
- पंडित जवाहरलाल नेहरू- 1947 से 1964 तक
- गुलजारी लाल नंदा (कार्यवाहक)- 1964 से 1964 तक
- श्री लाल बहादुर शास्त्री- 1964 से 1966 तक
- गुलजारी लाल नंदा (कार्यवाहक) 1966 से 1966 तक
- श्रीमती इंदिरा गांधी- 1966 से 1977 तक
- श्री मोरारजी देसाई-1977 से 1979 तक
- चौधरी चरण सिंह- 1979 से 1980 तक
- श्रीमती इंदिरा गांधी- 1980 से 1984 तक
- श्री राजीव गांधी- 1984 से 1989 तक
- श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह- 1989 से 1990 तक
- श्री चंद्रशेखर- 1990 से 1991 तक
- श्री पी० वी० नरसिम्हा राव- 1991 से 1996 तक
- श्री अटल बिहारी बाजपेई- 1996 से 1996 तक
- श्री एच ०डी० देवगोडा- 1996 से 1997 तक
- श्री इंद्र कुमार गुजराल- 1997 से 1998 तक
- श्री अटल बिहारी बाजपेई- 1998 से 2004 तक
- श्री मनमोहन सिंह- 2004 से 2009 तक
- श्री मनमोहन सिंह- 2009 से 2014 तक
- श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी- 26 मई, 2014 से अब तक

भारत के प्रधानमंत्री के कार्य तथा शक्तियां
वर्तमान समय में भारत के प्रधानमंत्री की शक्तियां इतनी बढ़ गई है कि कुछ लोग भारत की शासन-व्यवस्था को संसदीय शासन या मंत्रीमंडलात्मक शासन नहीं वरन प्रधानमंत्री का शासन कहते हैं। प्रधानमंत्री के कार्य तथा शक्तियों का विवरण निम्नलिखित है-
- मंत्रिपरिषद का निर्माण- लोकसभा में बहुमत वाले दल का नेता प्रधानमंत्री चुना जाता है। प्रधानमंत्री अपना पद ग्रहण करने के तुरंत बाद मंत्रिपरिषद का निर्माण करता है। अपने साथियों को चुनने के संबंध में प्रधानमंत्री को पर्याप्त छूट रहती है। प्रधानमंत्री ही मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या निर्धारित करता है। प्रधानमंत्री चाहें तो अपने राजनीतिक दल और सांसद से बाहर के व्यक्तियों को भी मंत्रिपरिषद में सम्मिलित कर सकता है, परंतु इसके लिए यह आवश्यक है कि इस प्रकार बनाए गए मंत्री को 6 माह के अंदर लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य चुना जाना आवश्यक है।
- मंत्रियों के विभागों का विभाजन और परिवर्तन- मंत्रियों में विभागों का बंटवारा करते समय भी प्रधानमंत्री अपने विवेक से ही कार्य करता है उसके द्वारा किए गए विभाग-वितरण पर साधारणतया कोई आपत्ति नहीं की जाती है। अपने साथियों में एक बार विभाग-वितरण कर चुकने के बाद भी प्रधानमंत्री पदों में जिस प्रकार और जब चाहे परिवर्तन कर सकता है। वह किसी भी मंत्री को उसके आचरण तथा अनुचित कार्यों के कारण त्यागपत्र देने के लिए बाध्य कर सकता है। यदि प्रधानमंत्री अपने पद से त्यागपत्र दे दे तो वहां संपूर्ण मंत्रिपरिषद का त्यागपत्र माना जाता है। इसलिए प्रधानमंत्री को मंत्रिमंडल रूपी मेहराब की आधारशिला कहा गया है।
- मंत्रिपरिषद का कार्य संचालन- प्रधानमंत्री मंत्री परिषद की बैठकों का सभापति और मंत्रिमंडल की समस्त कार्यवाही का संचालन करता है। मंत्रिपरिषद की बैठक में उन्हीं विषयों पर विचार किया जाता है जिन्हें प्रधानमंत्री एजेंडा में रखें। यद्यपि मंत्रिपरिषद में विभिन्न बातों का निर्णय आपसी सहमति के आधार पर किया जाता है, किंतु प्रधानमंत्री का कथन ही निर्णायक होता है।
- मंत्रिपरिषद और राष्ट्रपति के बीच सेतु– प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद एवं राष्ट्रपति के बीच सेतु का कार्य करता है, क्योंकि प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद की नीतियों एवं निर्णय उसे राष्ट्रपति को अवगत कराता है। वहीं राष्ट्रपति का परामर्शदाता होता है,इसलिए आपातकाल की स्थिति में राष्ट्रपति सर्वप्रथम उससे ही विचार-विमर्श करता है।इसके अतिरिक्त किसी भी मंत्रालय की सूचना प्रधानमंत्री के द्वारा ही राष्ट्रपति तक पहुंचती है।
- लोकसभा का नेता- संसद में बहुमत प्राप्त दल का नेता होने के कारण प्रधानमंत्री संसद का मुख्य तथा लोकसभा का नेता होता है। विधि-निर्माण कार्य में प्रधानमंत्री ही नेतृत्व प्रदान करता है। वार्षिक बजट सहित सभी सरकारी विधेयक उस के निर्देशानुसार ही तैयार किए जाते हैं। दलीय सचेतक द्वारा वह अपने दल के सदस्यों को आवश्यक निर्देश देता है। भारत का प्रधानमंत्री योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष भी होता है।

- शासन के विभिन्न विभागों में समन्वय- प्रधानमंत्री शासन के समस्त विभागों में समन्वय स्थापित कराता है, जिससे समस्त शासन एक इकाई के रूप में कार्य करें।समस्त विभागों में समन्वय स्थापित करने हेतु प्रधानमंत्री द्वारा समय-समय पर विभिन्न विभागों को निर्देश दिए जा सकते हैं और मंत्रियों के विभागों तथा कार्यों में हस्तक्षेप किया जा सकता है।
- उच्च-स्तरीय नियुक्तियां- राष्ट्रपति को संविधान के अनुसार उच्च अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार दिया गया है। व्यवहार में उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति अपने विवेक से नहीं वरन प्रधानमंत्री के परामर्श से ही करता है।
- उपाधियां प्रदान करना- भारतीय संविधान द्वारा राष्ट्रीय सेवा के उपलक्ष में भारत रत्न, पदम विभूषण, पदम श्री, पदम भूषण आदि उपाधियां और सम्मान की व्यवस्था की गई है। व्यवहार में यह समस्त उपाधियां, सम्मान एवं नगद पुरस्कार आदि प्रधानमंत्री के परामर्श पर ही राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत का प्रतिनिधित्व- अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारतीय प्रधानमंत्री का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। चाहे विदेश विभाग प्रधानमंत्री के हाथ में हो या नहीं, फिर भी अंतिम रूप से विदेश नीति का निर्णय प्रधानमंत्री ही करता है। भारत की गुट-निरपेक्षता की विदेश-नीति भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी की ही देन है। भारत के प्रधानमंत्री
- देश का सर्वोच्च नेता तथा शासक- प्रधानमंत्री देश का सर्वोच्च नेता तथा शासक होता है। देश का समस्त शासन इसकी इच्छा अनुसार संचालित होता है। यह व्यवस्थापिका से अपनी इच्छा अनुसार कानून बनवा सकता है और संविधान में आवश्यक संशोधन भी करवा सकता है।
- सरकार का प्रमुख प्रवक्ता- देश तथा विदेश में प्रधानमंत्री शासन की नीति का प्रमुख तथा अधिकृत प्रवक्ता होता है। यदि कभी संसद में किन्हीं दो मंत्रियों के आपसी विरोधी व्यक्तित्व के कारण भ्रम और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, तो प्रधानमंत्री का वक्तव्य ही इस स्थिति को समाप्त कर सकता है।
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री राष्ट्र का नेता होता है,क्योंकि देश के शासन के संपूर्ण बागडोर उसके हाथ में होती है। व्यवहारिक दृष्टि से देश का समस्त शासन उसी की इच्छा अनुसार संचालित होता है।