भारतीय संविधान के मौलिक कर्तव्य – 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र भारत का नया संविधान लागू किया गया जिसके अंतर्गत भारत को एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य घोषित किया गया। स्वतंत्रता के बाद भारतीय संविधान के द्वारा लोगों को मौलिक अधिकार जैसे समानता, स्वतंत्रता शोषण के विरुद्ध, धर्म स्वतंत्रता संस्कृति और शिक्षा संबंधी और संविधानिक उपचारों के अधिकार दिए गए हैं। अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। भारतीय संविधान के 44 वे संशोधन द्वारा नागरिकों के कुछ मौलिक कर्तव्य भी निर्धारित किए गए हैं –

भारतीय संविधान के मौलिक कर्तव्य

भारतीय संविधान के मौलिक कर्तव्य निम्न प्रकार से हैं-

  1. भारत का प्रत्येक नागरिक संविधान का सम्मान करें और उसमें दिए गए नियमों का पालन करें राष्ट्रीय ध्वज द्वारा सिवान का आदर करने के लिए मौलिक कर्तव्य मैं विशेष उल्लेख किया गया।
  2. भारत के प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है कि वह अपने देश की सभ्यता और संस्कृति का आदर सम्मान करें और उसे सुरक्षित रखने में सहायता प्रदान करें पश्चिमी सभ्यता में के भुलावे में आकर अपनी सभ्यता का त्याग ना करें।
  3. भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि भारत की प्रमुख सत्ता एकता और अखंडता का समर्थन करें तथा उसकी रक्षा करें तथा स्वार्थी तत्वों से भारत की एकता की रक्षा करें।
  4. प्राकृतिक वातावरण की रक्षा करना भी प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है। देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में प्राकृतिक स्रोतों का जैसे वन्यजीवन खनिज जल नदियों आदि का विशेष हाथ है प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि देश के विकास के लिए इनकी रक्षा करें।
  1. प्रत्येक नागरिक को सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करनी चाहिए अधिक संपत्ति जैसे सरकारी भवन ऐतिहासिक सड़कें पुल आज पूरे राष्ट्र की संपत्ति है विभिन्न राजनीतिक दल अपनी मांगों को मनवाने तथा अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए आंदोलन का सहारा लेते हैं और संपत्ति को नष्ट करते हैं। प्रत्येक नागरिक आया करते हुए युवा सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करें।
  2. प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि अंधविश्वास और रूढ़िवादिता को समाप्त करके जीवन की प्रतीक विशाल दृष्टिकोण अपनाएं और देश के प्रति विश्वासघात ना करें।
  3. किसी भी राष्ट्र की उन्नति वहां के नागरिकों पर निर्भर करते हैं यदि नागरिक उन्नत होंगे तो राष्ट्र उन्नतशील होगा इसलिए नागरिकों का कर्तव्य है कि व्यक्तित्व और सामूहिक गतिविधियों में श्रेष्ठा प्राप्त करने का प्रयत्न करें।
  4. प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अहिंसात्मक वह प्रजातांत्रिक आदर्शों में विश्वास रखें, धार्मिक एकता में विश्वास रखें और देश के प्रति वफादारी अपनाकर अपने आपको एक आदर्श नागरिक बनाने का प्रयत्न करें।
  5. देश के नेताओं ने राष्ट्रीय तथा सामाजिक एकता को प्रोत्साहन करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आदर्शों जैसे अहिंसा धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता की स्थापना की है प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह इन आदर्शों का अनुसरण करें और राष्ट्रीय एकता को बनाए रखें।
  6. राष्ट्र के विकास हेतु सामाजिक कार्यो में अपना योगदान देना।
  7. यह प्रत्येक माता-पिता का उत्तरदायित्व होगा कि वह अपने बच्चो को प्राथमिक निःशुल्क शिक्षा (6 से 14 वर्ष) प्रदान करवाए।
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