भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं 10 परंपरागत तथा 8 नवीनतम

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं – प्रथम पंचवर्षीय योजना के अनुसार, “एक अल्पविकसित अर्थव्यवस्था, एक ओर श्रम शक्ति दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों कामोवेश कम अनुपात में उपयोग द्वारा जानी जाती है।” ऐसी परिस्थितिकनीकों में विकास के अभाव तथा कुछ अवरोधक सामाजिक आर्थिक तत्वों के कारण होती है। जो अर्थव्यवस्था में स्फूर्ति शक्तियों को उभारने में रुकावट बनती है।

अल्पविकसित देश सापेक्ष शब्द सामान्यतः वे देश जिनकी वास्तविक प्रति व्यक्ति आय संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय एक चौथाई से कम है। अल्पविकसित देशों के वर्ग में रखे जाते हैं। हाल ही के वर्षों में इन अर्थव्यवस्थाओं को अल्पविकसित कहने की बजाए संयुक्त राष्ट्र प्रकाशनों में इन्हें विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के रूप में सम्बोधित किया गया है। विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के शब्द से यह बोध होता है कि चाहे ये अर्थव्यवस्थायें अल्पविकसित हैं किन्तु इनमें विकास प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में नियोजित आर्थिक विकास की प्रक्रिया प्रारम्भ होने के कारण अनेक परम्परावादी विशेषताओं का अन्त हो गया। नये नये उद्योगों की स्थापना हुई। हरितक्रान्ति का जन्म हुआ तथा पुराने उद्योगों की कार्य पद्धति एवं उत्पादन में भी परिवर्तन हुआ है। इसके अतिरिक्त यातायात एवं संचार वाहन के साधनों का विकास हुआ बैंकिंग सुविधाओं एवं सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार हुआ है। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई तथा पूँजी निर्माण में काफी सफलता प्राप्त हुई है। भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं निम्न हैं-

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं – परंपरागत

  1. ग्रामीण अर्थव्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था ग्रामीण है क्योंकि यहाँ की कुल जनसंख्या का 72% भाग गाँवों में रहता है। यहाँ पर 6.50 लाख गाँव व लगभग 3949 नगर व शहर हैं। यहाँ पर प्रत्येक 10 व्यक्ति में 7 व्यक्ति गाँवों में निवास करते हैं। ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत भारतवर्ष की तुलना में अन्य देशों में काफी कम है। अमेरिका में 19%, ऑस्ट्रेलिया में 11%, तथा जापान की 20% जनसंख्या गाँवों में निवास करती है।
  2. कृषि की प्रधानता एवं पिछड़ापन भारत की कुल जनसंख्या का 70% अपनी आजीविका के लिये कृषि पर निर्भर है। देश के सकल घरेलू उत्पाद का 29.4% कृषि से प्राप्त होता है। कुल कार्यशील जनसंख्या का 65% व्यक्तियों को रोजगार कृषि से प्राप्त है। भारतीय कृषि विश्व के अन्य देशो की तुलना में अभी भी पिछड़ी हुई स्थिति में है।
  3. प्रति व्यक्ति आय का कम होना भारत में प्रति व्यक्ति आय विश्व के अन्य देशों की तुलना में काफी कम है जो केवल 450 डॉलर है। जबकि विश्व की औसत प्रति व्यक्ति आय 4800 डॉलर है। भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
  4. जनसंख्या का अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक दवाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर जनसंख्या का अत्यधिक दबाव है क्योंकि यहाँ की जनसंख्या की वृद्धि काफी ऊँची है। 2011 की जनगणना के अनुसार 121 करोड़ से भी अधिक हो गयी है। सम्पूर्ण विश्व की कुल जनसंख्या में 16.7% भारत में निवास करती है। जबकि इसके पास विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.4% भाग ही है।
राज्यसभा रचना संगठन
भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
  1. ग्रामीण क्षेत्र पर जनसंख्या का अत्यधिक दबाव भारतवर्ष गाँवों का देश है। यहाँ पर 6.50 लाख गाँव हैं। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार देश की कुल जनसंख्या 121 करोड़ से अधिक है। जिसकी 28% जनसंख्या शहरों में तथा 72% जनसंख्या गाँवों में निवास करती है।
  2. व्यापक बेरोजगारी जनसंख्या की तीव्र वृद्धि तथा रोजगार के अवसरों में पर्याप्त वृद्धि न हो पाने के कारण भारत में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी पायी जाती है। वर्तमान में बेरोजगारों की संख्या लगभग 15 करोड़ है। इस संख्या में प्रतिवर्ष 60 लाख व्यक्तियों की वृद्धि हो रही है।
  3. सम्पन्नता में दरिद्रता यह कहा जाता है कि भारत एक धनी देश है किन्तु यहाँ के निवासी निर्धन है। भारत को धनी देश इसलिये कहा जाता है क्योंकि यहाँ खनिज, वन सम्पदा, जनशक्ति एवं अन्य साधन पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं। खनिजों में लोहा, कोयला, मैग्नीज, अभक तथा बाक्साइट पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं। तेल व गैस के भंडार है।
  4. आर्थिक विषमता भारत में एक वर्ग तो अत्यन्त धनी है तथा दूसरा वर्ग अत्यन्त निर्धन है। आर्थिक विषमता का मुख्य कारण आय की असमानता है। क्योंकि हमारी वितरण प्रणाली दोषपूर्ण है। उच्च वर्ग की मासिक आय अत्यन्त अधिक है जबकि निम्न वर्ग की मासिक आय 900/- से भी कम है।
  5. परंपरावादी समाज भारत के आर्थिक विकास में परम्परावादी समाज भी बाधक है। जाति प्रथा एवं सम्मलित परिवार प्रणाली ने श्रम व पूँजी की गतिशीलता को रोका है। प्रेरणा व साहस को निरुत्साहित किया है और आर्थिक पिछड़ेपन को स्थायित्व प्रदान किया है। भारत में सामाजिक प्रथाओं पर काफी अपव्यय होता है तथा जनता रूढ़िवादी है। लगातार गरीबी में पड़े रहने से आम जनता में अपनी स्थिति को सुधारने की इच्छा व शक्ति क्षीण हो जाती है। लोग भाग्यवादी हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
  6. परिवहन एवं संचार साधनों का अभाव भारत में परिवहन एवं संचार के साधनों का काफी अभाव है। यद्यपि देश में थल, जल तथा वायु यातायात का काफी विकास हो रहा है। लेकिन जनसंख्या के आकार को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं है। देश की लगभग 90% जनसंख्या थल यातायात का प्रयोग करती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं – नवीनतम

  1. योजनाबद्ध विकास स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद सन् 1950-51 से नियोजित आर्थिक विकास की प्रक्रिया का शुभारम्भ किया गया था। अभी बारह पंचवर्षीय योजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इन योजनाओं के माध्यम से सार्वजनिक उपक्रमों, लघु एवं मध्यम उद्योगों की स्थापना को बल मिला है तथा कृषि क्षेत्र में क्रान्ति आई है। खनिज विकास, परिवहन विकास एवं समाज कल्याणकारी कार्य भी समान हुए हैं।
  2. औद्योगिक विकास स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात विशेष रूप से द्वितीय पंचवर्षीय योजना से देश में आधारभूत एवं पूंजीगत उद्योगों का विकास तीव्र गति से हुआ। औद्योगिक विकास हेतु आधारभूत संरचना का निर्माण किया जा चुका है। तकनीकी और प्रबन्धकीय शिक्षा का विस्तार हुआ तथा औद्योगिक संरचना में विविधता लायी गयी। नियोजनकाल के इन 59 वर्षों में औद्योगिक उत्पादन तीन गुना से अधिक बढ़ा है। भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
  3. सार्वजनिक क्षेत्र का विकास भारत में सार्वजनिक उद्योगों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है। 1951 में यहाँ सार्वजनिक उद्योग थे, जिनमें 29 करोड़ रुपये की पूँजी लगी हुई थी। इनकी संख्या बढ़कर 2001-02 में 232 हो गयी, जिसमे 82,400 करोड़ रुपये की पूँजी लगी हुई थी, किन्तु वर्तमान में इसकी संख्या बढ़कर 242 व इनमें विनियोजित पूँजी 3,30,649 करोड़ रुपये हो गयी है। इसके अन्तर्गत खनन एवं धातु कर्म, विद्युत सामान, मशीनरी उपकरण, रसायन और उर्वरक, वायुयान तथा रेल के इंजनों का निर्माण, भवन निर्माण, औद्योगिक वित्त व्यवसाय तथा जीवन बीमा आदि आते है।
सेमिनार
भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
  1. बैंकिंग सुविधाओं का विकास भारत में बैंकिंग सुविधाओं का विकास निरन्तर हो रहा है। जून 1969 में भारत में व्यापारिक बैंकों की 8,262 शाखाएँ थी, किन्तु जून 2002 के अन्त में इन शाखाओं की संख्या 66,239 हो गयी औद्योगिक क्षेत्र में वित्त सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए औद्योगिक और अन्य निगमों की स्थापना की गयी।
  2. बचत एवं पूँजी निर्माण दरों में वृद्धि भारत में बचत एवं पूँजी निर्माण दरों में भी निरन्तर वृद्धि हुई है। 1951 में राष्ट्रीय आय का 6.6 प्रतिशत बचत की गयी जोकि बढ़कर 2001-02 में 15.3 प्रतिशत हो गयी थी। इसी प्रकार यहाँ पर पूँजी निर्माण की दर 1950-51 में 72 प्रतिशत थी, जोकि बढ़कर 2001-02 में 16 प्रतिशत हो गयी।
  3. प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि यहाँ पर प्रति व्यक्ति आय में भी निरन्तर वृद्धि हुई है। 1993-94 में यह 7,698 रुपये थी, जो बढ़कर 2002-03 में 11,014 रुपये हो गयी थी। भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
  4. नवीन उद्योगों की स्थापना भारत में नियोजन के दौरान अनेकों नवीन उद्योगों की स्थापना हुई जो इस बात का प्रमाण देते हैं कि भारत एक विकासशील देश है।
  5. समाजवादी समाज की स्थापना के प्रयास भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् आर्थिक विषमता को दूर करने की दृष्टि से समाजवादी समाज की स्थापना हेतु अनेको सार्थक प्रयास किये गये हैं। जैसे जमींदारी प्रथा का अन्त, बैंकों और बीमा कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण, सहकारिता का विकास, सम्पत्ति की अधिकतम सीमा का निर्धारण तथा पिछड़े हुए क्षेत्रों के विकास कार्यक्रम आदि।
आर्थिक विकास विशेषताएंभारतीय अर्थव्यवस्था का विकासभारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
अल्पविकसित देश
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
×