ब्रिटिश काल में प्राथमिक शिक्षा – ब्रिटिश काल में ईस्ट इंडिया कंपनी से लेकर ब्रिटिश शासन तक सभी के काल में भारत में शिक्षा पद्धति ने नवीन दिशा ग्रहण की। इसाई धर्म के प्रचार के लिए आई हुई मिशनरियों के द्वारा ईसाई धर्म के प्रचारक भारत में शिक्षा का प्रसार करना चाहते थे। 1813 में आज्ञा पत्र के अनुसार भारत वासियों को शिक्षा का प्रावधान किया गया।
1835 में लॉर्ड मैकाले ने नई शिक्षा नीति की घोषणा की तथा शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी भाषा को रखा तथा उसका यह मानना था कि अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने से भारत में जो पीढ़ी पैदा होगी वह कुछ समय बाद रंग, नस्ल, खून व राष्ट्रीयता से तो भारतीय होगी परंतु विचारों स्वामी भक्ति में अंग्रेज होंगे।
ब्रिटिश काल में प्राथमिक शिक्षा
ऐडम्स ने 1835, 1836, 1839 में शिक्षा के प्रचार के लिए प्रतिवेदन प्रस्तुत किए। अपने प्रथम प्रतिवेदन में ऐडम्स ने बंगाल व बिहार में 1,00,000 विद्यालय बताए। अर्थात् लगभग 400 भारतीयों पर एक विद्यालय था। 1931 में सर हर्टांग ने कहा था कि प्राथमिक शिक्षा का प्रसार उस समय से 50 वर्षों की तुलना में अधिक है। प्राथमिक शिक्षा के संदर्भ में सर हर्टांग निम्न तथ्य प्रस्तुत किए-
- प्राथमिक विद्यालयों का पाठ्यक्रम अधिक विस्तृत नहीं था।
- उस काल में एक अध्यापक विद्यालय का प्रचलन अधिक था।
- शिक्षा की पद्धति परंपरा थी उसमें नवीनता का कोई प्रयास नहीं किया गया था।
- शिक्षण पद्धति को देखते हुए पाठ्यपुस्तकें उपयुक्त नहीं थी।
- पढ़ाई में दंड का भय अधिक था। बालकों में शिक्षा के प्रति रुचि नहीं थी तथा विद्यालयों में कठोर दंड का प्रावधान था।
- उपस्थिति तथा शिक्षण में व्यक्तिक्रम था।


ईसाई मिशनरियों द्वारा किए गए कार्य
ईसाई धर्म प्रचारक अपने धर्म के प्रचार के लिए भारत में आए थे तथा इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने विद्यालय खोले थे।
- प्राथमिक पाठशालाएं स्थापित की गई।
- धार्मिक शिक्षा बाइबल के माध्यम से प्रदान की जाती थी जो अनिवार्य भी थी
- इनके पाठ्यक्रम में व्याकरण इतिहास व भूगोल का समावेश था
- छपी हुई पाठ्यपुस्तक के भारत में प्रथम बार प्रचलित हुई थी
- नियमित कक्षाओं की व्यवस्था थी तथा रविवार छुट्टी का दिन होता था।
- भाषा का माध्यम मातृभाषा थी।








ब्रिटिश शासन व्यवस्था
जब 1859 में कंपनी का शासन समाप्त हो गया तब भारत की नियति का विधाता ब्रिटिश राजसत्ता हो गई। उनके काल में शिक्षा की निम्न प्रकार से व्यवस्था हुई-
- 1859 स्टैंनली डिस्पेच ने माना कि शिक्षा के लिए धन की आवश्यकता है।
- 1864 में लोकल सैंस एक्ट प्राथमिक शिक्षा के लिए पास किया गया।
- भारतीय रियासतों, राज्यों व सरकार के नियंत्रण में प्राइवेट विद्यालय काम करने लगे।
- 1884 में प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था स्वराज्य को सौंप दी गई परंतु आर्थिक कठिनाइयों से स्थानीय प्रशासन इस कार्य को अंजाम न दे सका।