बैंक अर्थ परिभाषा कार्य लक्षण

बैंक शब्द की उत्पत्ति इटैलियन भाषा के शब्द बैंको (Banco) से हुई मानी जाती है। इसे फ्रेंच भाषा में Banke कहा जाता है। यह अंग्रेजी में Bank हो गया है। लोग अपनी अपनी बचत राशि को सुरक्षा की दृष्टि से अथवा ब्याज कमाने हेतु इन संस्थाओं में धनराशि जमा करते और आवश्यकतानुसार समय समय पर निकालते रहते हैं।

बैंक की परिभाषाएं

गिलबर्ट के अनुसार, “बैंक पूँजी अथवा, अधिक उपयुक्त शब्दों में मुद्रा का व्यवसाय है।”

बैंक एक ऐसी संस्था है जो ऋण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसे व्यक्तियों को जिन्हें उसकी आवश्यकता है, रुपया उधार देती है और जो व्यक्तियों का अतिरिक्त रुपया अपने पास जमा हेतु लेती है।

प्रो० किनले के अनुसार

Bank वह व्यक्ति है अपने साधारण व्यवसाय के अन्तर्गत लोगों का रुपया जमा करता है जिसे वह उन व्यक्तियों के चैकों का भुगतान करके चुकाता है जिन्होंने वह रुपया जमा किया है अथवा जिनके खाते में यह रुपया जमा किया गया है।

प्रो० हार्ट के अनुसार

बैंक वह व्यक्ति या संस्था है जो हर समय जनता से जमा के रूप में द्रव्य लेने को तैयार हो, जिन्हें वह उनके चैकों द्वारा वापस करता है।

वार्टर लीफ के अनुसार

सर जॉन पिजेट के अनुसार, निम्नलिखित कार्य करने वाले व्यक्ति या संस्था Bank कहे जा सकते हैं-

  • सावधि जमाओं को स्वीकार करना।
  • कार्यशील निक्षेपों को प्राप्त करना।
  • चैकों को लिखना एवं उनका शोधन करना।
  • ग्राहकों के चैक प्राप्त करके उनका संग्रहण करना।

Bank वह संस्था है जिसके ऋणों को अन्य व्यक्तियों के पारस्परिक ऋणों के भुगतान के लिए व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।

सेयर्स के अनुसार

Bank साख का विनिर्माणकर्ता एवं विनिमय को सुविधापूर्ण बन हेतु एक मशीन है।

हॉरेश के अनुसार

बैंकर में बैंकिंग व्यवसाय करने वाले व्यक्तियों का एक समूह (निगमित या अनिगमित) शामिल होता है।

ब्रिटिश विनिमय विपत्र अधिनियम के अनुसार

बैंकर के अन्तर्गत बैंकिंग का काम करने वाला प्रत्येक व्यक्ति एवं डाकघर बचत बैंक सम्मिलित है।

भारतीय विनिमयसाध्य विलेख अधिनियम के अनुसार

Bank वह संस्था है जो द्रव्य में व्यवसाय करती है, यह एक ऐसा संस्थान है जहाँ धन का जमा, संरक्षण तथा निर्गमन होता है तथा ऋण देना व कटौती की सुविधाएँ प्रदान की जाती है।

वेस्टर शब्दकोश के अनुसार

बैंकर उस व्यक्ति, फर्म अथवा कम्पनी को कहा जाता है जिसके पास कोई ऐसा व्यापारिक प्रतिष्ठान हो जहाँ मुद्रा या करेन्सी की जमा द्वारा साख सम्बन्धी कार्य किया जाता हो एवं जिसकी जमा का ड्राफ्ट, चेक या आर्डर द्वारा भुगतान किया जाता हो या जहाँ स्कन्ध, बन्धपत्र, धातुओं एवं विपत्रों पर मुद्रा उधार दी जाती हो या जहाँ प्रतिज्ञा पत्र बट्टे पर बेचने के लिए स्वीकार किये जाते हैं।

प्रो० फिण्डले शिराज के अनुसार

बैंकों के कार्य

बैंक के कार्यों का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है-

  1. जमा राशियों को स्वीकार करना – व्यापारिक बैंकों का सबसे महत्वपूर्ण कार्य जमा राशियों को स्वीकार करना है। एक व्यापारिक Bank निम्नलिखित खातों के माध्यम से जमा राशियों को स्वीकार करता है-
    • निश्चितकालीन खाते – इस खाते में धनराशि एक निश्चित समय के लिए जमा कर ली जाती है। यह अवधि 30 दिनों से लेकर 5-6 साल तक हो सकती है।
    • चालू खाता – इस खाते को मांग जमा भी कहते हैं। इस खाते में प्रायः व्यापारी लोग पैसा जमा करते हैं। व्यापारियों को एक दिन में कई कई भुगतान करने होते हैं। इसलिए उनको इस खाते से सुविधा रहती है।
    • बचत खाता – यह खाता मध्यमवर्गीय और निम्नवर्गीय लोगों के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि इस खाते में कोई भी व्यक्ति अपनी छोटी छोटी बच्चों को जमा कर सकता है और आवश्यकता पड़ने पर पैसा निकाल सकता है।
    • घरेलू बचत खाता – इस खाते के अंतर्गत Bank अपनी ग्राहकों को एक लोहे की गोलक दे देता है और उसमें ताला लगा देता है और चाबी अपने पास रख लेते हैं ग्राहक उसमें समझ सको पैसा डालता जाता है।
  2. ऋणों को प्रदान करना व्यापारिक बैंकों का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य ऋणों को प्रदान करना है। प्रायः व्यापारिक बैंक निम्नलिखित रुप में ऋण प्रदान करते हैं-
    • साधारण ऋण देना – इसके अंतर्गत Bank ग्राहक की किसी वस्तु को धरोहर या जमानत के रूप में रखकर एक निश्चित अवधि के लिए ऋण देता है।
    • नकद साख – जब व्यापारियों को अक्सर ऋण लेने की आवश्यकता पड़ती है लेकिन यह अनुमान लगाना कठिन होता है कि कब कितनी राशि चाहिए।
    • अधिविकर्ष – इसके अंतर्गत चालू खाता के धारकों को यह सुविधा प्रदान की जाती है कि वह जमा धन से भी अधिक आवश्यकता पड़ने पर धन निकाल सकते हैं। जमा धन से जितनी राशि अधिक निकाली जाती है वह अधिविकर्ष कहलाता है और बैंक इसी पर ब्याज लेता है।
    • विनिमय बिलों का भुनाना – यदि विनिमय बिल अच्छी पार्टी द्वारा स्वीकृत हो तो Bank उन्हें ले लेता है और बिल के वाहक को बिल की राशि में से छूट काटकर भुगतान कर देता है।
  3. अभिकर्ता संबंधी कार्य – बैंक अभिकर्ता संबंधी कार्य करता है जिनका अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है-
    • बैंक ट्रस्टी तथा एग्जीक्यूटर का कार्य करना – Bank अपने ग्राहकों के वसीयतनामों को सुरक्षित रखता है तथा उन्हें मृत्यु उपरांत कार्यान्वित करता है।
    • ग्राहकों के लिए प्रतिमूतियाँ खरीदना तथा बेचना – बैंक अपने ग्राहकों के लिए मिश्रित पूँजी कम्पनियों के अंश तथा सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदता तथा बेचता है।
    • ग्राहकों के धन का स्थानान्तरण करना – Bank अपने ग्राहकों को ड्राफ्ट द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान को रुपया भेजने में सहायता देता है और इस सेवा के लिए थोड़ा सा शुल्क वसूल किया जाता है।
    • ग्राहकों के अंशों पर लाभांश वसूल करना – बैंक अपने ग्राहकों के अंशों व ऋणपत्रों पर दिए जाने वाले लाभांश तथा ब्याज आदि को वसूल करके उनके खातों में जमा करता है।

बैंकों के अन्य कार्य

मुख्य कार्यों के अतिरिक्त बैंकों के अन्य कार्य निम्नलिखित है-

  • मूल्यवान वस्तुओं की सुरक्षा – Bank अपने ग्राहकों को लॉकर की सुविधा देकर मूल्यवान वस्तुओं को सुरक्षा प्रदान करता है। बैंक इस सेवा के लिए शुल्क लेता है।
  • यात्री चेक जारी करना – बैंक अपने यात्री ग्राहकों के लिए यात्री चेक अथवा गश्ती साख पत्र जारी करते हैं जिससे ग्राहकों को यात्रा के दौरान रुपया ले जाने का जोखिम नहीं रहता है।
  • साख संबंधी सूचनाएँ देना – Bank अपने ग्राहकों की आर्थिक स्थिति से परिचित रहते हैं। इसलिए वह अपने ग्राहकों को साख सम्बंधी सूचनाएँ देते रहते हैं।
  • विनिमय विलों को स्वीकार करना – बैंक अपने ग्राहकों द्वारा लिखे गये बिलो को स्वीकार करता है। इससे ग्राहकों को बहुत लाभ होता है।
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