बाल विकास मनोविज्ञान की एक शाखा के रूप में विकसित हुआ है। इसके अंतर्गत बालकों के व्यवहार, स्थितियां समस्याओं तथा उन सभी कारणों का अध्ययन किया जाता है जिसका प्रभाव बालक के व्यवहार पर पड़ता है।
बाल विकास
बाल विकास विज्ञान की वह शाखा है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्यु पर्यंत तक करता है।
बाल विकास मनोविज्ञान की वह शाखा है जो गर्भाधान से लेकर मृत्यु पर्यंत तक होने वाले मनुष्य के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करता है।
इस प्रकार उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है कि बालविकास बाल मनोविज्ञान की एक शाखा है जो बालकों के विकास, व्यवहार और विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्वों का अध्ययन करती है।


बाल विकास के क्षेत्र
बालविकास के क्षेत्र अनेक हैं, जिनमें से कुछ निम्न है-
- विशिष्ट बालकों का अध्ययन
- वातावरण और बालक
- समायोजन
- व्यवहार और अंतः क्रियाएं
- बालक बालिकाओं का मापन
- मानसिक प्रक्रियाए
- व्यक्तिक भिन्नताओं का अध्ययन
बाल विकास की आवश्यकता
बाल विकास अनुसंधान का एक क्षेत्र माना जाता है। बालक के जीवन को सुखी और समृद्धिशाली बनाने के लिए बाल मनोविज्ञान का योगदान प्रशंसनीय है। मनोविज्ञान की शाखा का केवल बालकों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित दो बालकों की समस्याओं पर विचार करते हैं और बाल मनोविज्ञान की उपयोगिता को स्वीकार करते हैं। समाज के विभिन्न लोग बाल मनोविज्ञान से लाभान्वित हो रहे हैं जैसे बालक के माता-पिता तथा अभिभावक, बालक के शिक्षक, बाल सुधारक तथा बाल चिकित्सक आदि।
बालविकास के द्वारा हम बाल मन और बाल व्यवहारों तथा बालक के विकास के रहस्य को भलीभांति समझ सकते हैं। बाल मनोविज्ञान हमारे सम्मुख बालकों के भविष्य की एक उचित रूपरेखा प्रस्तुत करता है। जिससे अध्यापक एवं अभिभावक बच्चे के अधिगम की क्षमता का सही विकास कर सकते हैं।


किस अवस्था में बच्चे की कौन सी क्षमता का विकास करना चाहिए इसका उचित प्रयोग आवश्यकता अनुसार विकास के प्रारूपों को जानने के पश्चात ही हो सकेगा। बाल विकास शिक्षकों के लिए निम्न प्रकार से आवश्यक है –
- निर्देशन अथवा परामर्श में सहायक
- शिक्षण अधिगम का वातावरण बनाने में सहायक
- विशिष्ट बालकों के शिक्षण में सहायक
- व्यक्तिगत विभिन्नता का ज्ञान
- बालविकास की प्रक्रिया को समझने में सहायक
बाल विकास का महत्व
शिक्षार्थी की दृष्टि से बाल विकास के महत्व को निम्न प्रकार से बांटा गया है –
- विशिष्ट बालकों का अध्ययन
- रुचियां, प्रेरणा और मूल प्रवृत्तियों का अध्ययन
- बालक की विशिष्ट योग्यताओं का अध्ययन
- बालकों के विकास की अवस्थाओं का अध्ययन
शिक्षक की दृष्टि से बाल विकास के महत्व को निम्न प्रकार से बांटा गया है –
- बालक के विकास की विभिन्न अवस्थाओं का ज्ञान होता है।
- पाठ्यक्रम निर्माण में सहायता प्रदान करता है।
- शिक्षक को प्रभावशाली शिक्षण विधियों की जानकारी देता है।
- अनुशासन बनाए रखने में मनोवैज्ञानिक तरीकों की जानकारी देता है।

