प्रौढ़ शिक्षा के उद्देश्य उन प्रौढ व्यक्तियों को शैक्षिक विकल्प देना है। जिन्होंने यह अवसर गंवा दिया है और औपचारिक शिक्षा आयु को पार कर चुके हैं। लेकिन अब वे साक्षरता, आधारभूत शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और इसी तरह की अन्य शिक्षा सहित किसी तरह के ज्ञान की आवश्यकता का अनुभव करते हैं। 2001 की जनगणना में पुरूष साक्षरता 75.26 प्रतिशत दर्ज की गई थी, जबकि महिला साक्षरता 53.67 प्रतिशत के अस्वीकार्य स्तर पर थी।
2001 की जनगणना ने यह भी खुलासा किया कि साक्षरता में लैंगिक और क्षेत्रीय भिन्नताएं मौजूद रही हैं। अत: प्रौढ़ शिक्षा और कौशल विकास मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने 11वीं योजना में दो स्कीमें नामत: साक्षर भारत और प्रौढ़ शिक्षा एवं कौशल विकास हेतु स्वैच्छिक एजेंसियों को सहायता की स्कीम शुरू की। आप प्रौढ़ शिक्षा के उद्देश्य Hindibag पर पढ़ रहे हैं।


प्रौढ़ शिक्षा के उद्देश्य
प्रौढ़ शिक्षा की उपयोगिता व्यक्ति व समाज दोनों के लिए है। इसलिए प्रौढ़ शिक्षा के उद्देश्य को दो भागों व्यक्तिगत उद्देश्य तथा सामाजिक उद्देश्यों में बांटा जा सकता है।
प्रौढ़ शिक्षा के व्यक्तिगत उद्देश्य
व्यक्ति की व्यक्तिगत आवश्यकताओं का कर्तव्य पालन की दृष्टि से प्रौढ़ शिक्षा अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती है। प्रौढ़ शिक्षा के प्रमुख व्यक्तिगत उद्देश्य निम्नवत लिखे जा सकते है –
- शिक्षा के द्वारा प्रौढ़ो का बौद्धिक विकास करना
- कृषि, शिल्प तथा घरेलू उद्योग-धंधों इत्यादि का प्रशिक्षण देकर प्रौढ़ो की व्यवसायिक क्षमता का विकास करना।
- स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रमुख रोगों के उपचार पद्धति तथा संतुलित आहार का ज्ञान देकर प्रौढ़ो के शारीरिक विकास को ठीक रखना।
- प्रौढ़ो को सामुदायिक जीवन की कला से अवगत करा कर उनका सामाजिक विकास करना।
- प्रौढ़ो को नृत्य, संगीत, गीत, लोकगीत आदि सांस्कृतिक क्रियाओं का ज्ञान देकर उनका सांस्कृतिक विकास करना।




प्रौढ़ शिक्षा के सामाजिक उद्देश्य
प्रौढ़ शिक्षा सामाजिक दृष्टिकोण अथवा सामाजिक आवश्यकता की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक महत्वपूर्ण व अपरिहार्य कही जा सकती है। प्रौढ़ शिक्षा के मुख्य सामाजिक उद्देश्य निम्न है –
- विभिन्न व्यक्तियों तथा समुदायों के बीच बढ़ती अलगाववादी भावना को समाप्त करना तथा एक राष्ट्रीय एकता व संस्कृति का निर्माण करना।
- प्रकृति द्वारा प्रदत्त उपहारों व साधनों की सुरक्षा करना, सदुपयोगकरना तथा उनको विकसित करना।
- सहकारी तथा सामाजिक संस्थाओं का संगठन तथा संचालन करना।
- समाजहित या राष्ट्रहित के सामने व्यक्तिगत हितों को कुर्बान कर देने की भावना का विकास करना।
प्रौढ़ शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य 15 से 35 आयु वर्ग के पुरुषों एवं महिलाओं में चेतना एवं जागृति उत्पन्न करना है। जिससे वे शिक्षा के महत्व को समझ सके तथा उनका शोषण बंद हो जाएगा शिक्षकों का शोषण अभी भी ग्रामीण सूदखोर महाजन कर रहे हैं। प्रौढ़ शिक्षा के लाभार्थियों को केवल अक्षर ज्ञान करा देना ही नहीं है।
जबकि उन्हें जनकल्याणकारी कार्यक्रमों जैसे कि परिवार नियोजन, वृक्षारोपण, पर्यावरण प्रदूषण, सफाई, कृषि के उन्नतशील बीजों व बैंको, सहकारी समितियों, ग्रामीण बैंक को आदि के बारे में जानकारी कराई जानी चाहिए। जिससे वे व्यवहारिक लाभ उठा सकें। प्रौढ़ शिक्षा के द्वारा समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को लाभान्वित करके उसकी कार्यक्षमता में वृद्धि करके उसे देश का उपयोगी नागरिक बनाया जा सकता है।