प्रौढ़ शिक्षा केवल साक्षर बनाने तथा साधारण गणित का ज्ञान देने तक सीमित नहीं है, प्रौढ़ शिक्षा का क्षेत्र व्यापक है। महात्मा गांधी जी के अनुसार, करोड़ों लोगों का निरीक्षण होना भारत के लिए अभिशाप है इससे मुक्ति पानी ही होगी। गांधीजी के जन्मदिन के 2 अक्टूबर 1978 को ‘राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम’ का शुभारम्भ किया गया। प्रौढ़ों को सामाजिक चेतना उत्पन्न करने की प्रेरणा दी गयी। 15-35 आयुवर्ग के निरक्षर प्रौढ़ों के लिये निरौपचारिक शिक्षा की व्यवस्था करने को प्राथमिकता दी गई।
प्रौढ़ शिक्षा का क्षेत्र
प्रौढ़ शिक्षा के अंतर्गत कम से कम निम्न पांच कार्य सम्मिलित किए जाते हैं-
- प्रौढ़ को आत्म अभिव्यक्ति में निपुण बनाने के लिए साक्षरता प्रसार।
- व्यक्ति को अपना स्वास्थ्य ठीक रखने की दृष्टि से स्वास्थ्य शिक्षा।
- प्राणों की आर्थिक उन्नति के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण।
- प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था में अपने कर्तव्य तथा अधिकारियों के प्रति सजग करने के लिए नागरिकता की शिक्षा।
- खाली समय का सदुपयोग करने के लिए स्वस्थ मनोरंजन।
कोठारी आयोग 1964 ने भारतीय संदर्भ में प्रौढ़ शिक्षा के प्रभावशाली कार्यक्रम के नियोजन में निम्न बातों पर विचार करने का सुझाव दिया था।
- निरक्षरता उन्मूलन
- सतत शिक्षा
- पत्राचार पाठ्यक्रम
- पुस्तकालय
- प्रौढ़ शिक्षा में विश्वविद्यालयों की भूमिका
- प्रौढ़ शिक्षा का संगठन तथा प्रशासन



