प्रौढ़ शिक्षा को भिन्न-भिन्न नामों से संबोधित किया जाता है। साक्षरता, समाज शिक्षा, जीवनपर्यंत शिक्षा, उद्देश्यपूर्ण शिक्षा, आधारभूत शिक्षा, द्वितीय अवसर की शिक्षा जैसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। इन सभी नामों से प्रौढ़ शिक्षा नाम सर्वाधिक उपयुक्त प्रतीत होती है। भारत सरकार ने भी प्रौढ़ शिक्षा नाम को ही अपनाया है। अतः आगे इसी नाम का प्रयोग किया जाएगा। फिर भी शेष सभी नामों के अर्थों को संक्षेप में स्पष्ट किया जा रहा है।
साक्षरता से अभिप्राय अक्षरों तथा अंकों के ज्ञान से है जिसकी सहायता से व्यक्ति स्वयं अध्ययन करके वांछित ज्ञान प्राप्त कर सके। समाज शिक्षा से तात्पर्य उस ज्ञान से है जो बदलती सामाजिक परिस्थितियों में व्यक्ति को समाज में स्वस्थ जीवन बिताने योग्य बना सके।



उद्देश्य पूर्ण शिक्षा से अभिप्राय उच्च शिक्षा से है जो व्यक्ति के जीवन को उन्नत करने के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को प्रदान की जाती है। नागरिक शिक्षा का अर्थ प्रजातांत्रिक समाज में रहने के लिए आवश्यक नागरिक पूर्व अर्थात नागरिकों के अधिकार कर्तव्यों को सिखाने से है।
आधारभूत शिक्षा और ज्ञान तत्वों की जानकारी देना है जो वर्तमान समाज में जीने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आने चाहिए। द्वितीय अवसर की शिक्षा से तात्पर्य है कि एक शैक्षिक अवसर का लाभ ना उठाने वाले व्यक्तियों को दूसरे शैक्षिक अवसर पर शिक्षित करना। प्रौढ़ शिक्षा से अभिप्राय किसी भी प्रौढ़ व्यक्ति को उसके उत्तरदायित्वों को भलीभांति पूरा करने के लिए कौशलों के लिए शिक्षित करना है।
प्रौढ़ शिक्षा
शिक्षा आयोग के अनुसार प्रजातंत्र में इस शिक्षा का कार्य प्रत्येक प्रौढ़ नागरिक को इस प्रकार की शिक्षा प्राप्त करने का एक अवसर प्रदान करना है। जिस शिक्षा को वह चाहता हो तथा जो उसकी व्यक्तिगत समृद्धि व्यवसायिक उन्नति तथा सामाजिक व राजनैतिक क्षेत्रों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए उसे मिलनी चाहिए। श्री अब्दुल कलाम के अनुसार इस शिक्षा का अर्थ केवल साक्षर बनाना नहीं है बल्कि ऐसे नागरिक तैयार करना है जो आधुनिक प्रजातांत्रिक तथा सामाजिक क्रियाओं में सक्रिय रूप से भाग ले सकें।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने प्रौढ़ शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा था कि यह जीवन के लिए जीवन के द्वारा जीवन भर की शिक्षा है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रौढ़ शिक्षा के अंतर्गत आने पर पर और अपने कार्य को करते हुए शारीरिक सामाजिक आर्थिक आर्थिक और नैतिक विकास करता है जिससे वह पूर्ण मनुष्य बन सके। वास्तव में प्रौढ़ शिक्षा शैक्षिक विकलांगों या शिक्षा विहीन व्यक्तियों के पुनर्वास का एक सामाजिक प्रयास है। प्रौढ़ शिक्षा एक बहुउद्देशीय प्रयत्न है, जिसमें व्यवहार के तीनों पक्षों ज्ञानात्मक भावात्मक व क्रियात्मक के विकास के लिए क्रमशः साक्षरता प्रसार, चेतना, जागृति व व्यवहारिक कुशलता में वृद्धि सम्मिलित है।