प्राथमिक शिक्षा प्रशासन के 8 उद्देश्य

भारत में प्राथमिक शिक्षा प्रशासन के दो महत्वपूर्ण लक्ष्य हैं – भारतीय संविधान के अनुच्छेद 45 के अनुसार सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा के लक्ष्य की प्राप्ति और सार्वभौमिक शिक्षा के स्तर पर बेसिक शिक्षा को राष्ट्रीय शिक्षा के आदर्श या नमूने के रूप में लागू करना।

सन 1976 से पूर्व शिक्षा पूर्ण रूप से राज्यों का उत्तरदायित्व था। संविधान में 1976 में किए गए संशोधन से शिक्षा को समवर्ती सूची में डाला गया। उसके दूरगामी परिणाम हुए। आधारभूत वित्तीय तथा प्रशासनिक उपायों को राज्य तथा केंद्र सरकार के बीच नई जिम्मेदारियों को बांटने की आवश्यकता हुई। जहां एक और शिक्षा के क्षेत्र में राज्यों की भूमिका एवं उनके उत्तर दायित्व में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, वहीं केंद्र सरकार ने शिक्षा के राष्ट्रीय एवं एकीकृत स्वरूप को सुदृढ़ करने का गुरुतर भार भी स्वीकारा।

प्राथमिक शिक्षा प्रशासन

केंद्र सरकार ने अपनी अगुवाई में शैक्षिक नीतियों एवं कार्यक्रम बनाने और उसके क्रियान्वयन पर नजर रखने के कार्य को जारी रखा है। इन नीतियों में सन 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति तथा वह कार्यवाही कार्यक्रम शामिल है जिसे 1992 में अद्यतन किया गया संशोधित नीति में एक ऐसी शिक्षा प्रणाली तैयार करने का प्रावधान है। जिसके अंतर्गत शिक्षा में एकरूपता लाने प्रौढ़ शिक्षा को जन आंदोलन बनाने देश के प्रत्येक जिले में नवोदय विद्यालय जैसे आधुनिक विद्यालयों की स्थापना करने, योग को बढ़ावा देने एवं एक सक्षम मूल्यांकन प्रक्रिया अपनाने के प्रयास शामिल है।

इसके अलावा शिक्षा में अधिकाधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक विकेंद्रीकृत प्रबंधक व्यवस्था का भी सुझाव दिया गया है। शैक्षिक नेतृत्व

एमपीई द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली एक ऐसे राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचे पर आधारित है जिसमें अन्य लचीले एवं क्षेत्र विशेष के लिए तैयार घटकों के साथ ही एक समान पाठ्यक्रम रखने का प्रावधान है। इस क्षेत्र में एनसीईआरटी ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। परिषद ने 1988 में प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा का राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की एक रूपरेखा तैयार की।

परिषद ने सन 2000 में विद्यालयीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 नामक दस्तावेज तैयार किए। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय सलाहकार समिति 1992 में प्रोफेसर यशपाल की अध्यक्षता में नियुक्त की गई जिसने स्कूली शिक्षा के बोझ को कम करते हुए अधिगम की गुणवत्ता में सुधार लाने संबंधी उपाय सुझाए। यह रिपोर्ट शिक्षा बिना बोझ के नाम से जानी जाती है।

प्राथमिक शिक्षा प्रशासन के उद्देश्य

प्राथमिक शिक्षा प्रशासन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. अन्य व्यक्तियों से वार्तालाप एवं पारस्परिक संपर्क के लिए मात्र भाषा का ज्ञान व कौशल प्रदान करना।
  2. व्यावहारिक समस्याओं के समाधान के लिए जोड़ घटाव गुणा भाग की आधारभूत गणितीय संक्रियाओं की योग्यता प्रदान करना।
  3. वैज्ञानिक खोज विधि को सिखाना तथा विज्ञान व तकनीकी के महत्व को समझना।
  4. राष्ट्रीय प्रतीकों राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्रगान तथा प्रजातांत्रिक विधियों व संस्थाओं के प्रति आदर भाव उत्पन्न करना
  5. भारत की मिली-जुली संस्कृति से परिचय करना तथा अस्पृश्यता, जातिवाद व सांप्रदायिकता का विरोध करना सिखाना।
  6. मानव श्रम के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण विकसित करना।
  7. सफाई तथा स्वस्थ जीवन की आदतें विकसित करना
  8. सृजनात्मक क्रियाओं के द्वारा स्वतंत्र अभिव्यक्ति की योग्यता विकसित करना
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