प्रतिभाशाली बालक की परिभाषा व पहचान कैसे करें?

प्रतिभाशाली बालक वह है जो बच्चे सामान्य बच्चों से किसी भी प्रकार से अलग होते हुए विशिष्ट बच्चों की श्रेणी में आते हैं विशिष्ट बच्चे आपस में भी कई उप श्रेणियों में विभक्त होते हैं जिनमें मानसिक मंदित, समस्यात्मक, पिछड़े, चलन बाधित, प्रतिभाशाली।

प्रायः उच्च बुद्धिलब्धि को प्रतिभाशाली का संकेत माना जाता है। अतः प्रतिभाशाली बच्चे शब्द का अभिप्राय बच्चे की उच्च बुद्धि लब्धि से किया जाता है।

अब्दुल रऊफ के अनुसार

वह प्रत्येक बच्चे जो अपने आयु स्तर के बच्चों में किसी योग्यता में अधिक हो और जो हमारे समाज के लिए महत्वपूर्ण नया योगदान कर सकें।

कॉलसनिक के अनुसार

जो सामान्य बुद्धि से श्रेष्ठ प्रतीत हो या उन क्षेत्रों में जितना अधिक बुद्धि लब्धि से संबंधित होना जरूरी नहीं है, अति विशिष्ट योग्यताएं रखता हो।

प्रेम पसरिचा के अनुसार

प्रतिभाशाली शब्द का प्रयोग उन्हें 1% बालकों के लिए किया जाता है जो सबसे अधिक बुद्धिमान होते हैं।

स्किनर एवं हैरीमन के अनुसार

इस प्रकार से ऊपर की परिभाषाओं के अध्ययन से यह बात सर्वमान्य प्रतीत होती है कि प्रतिभाशाली बच्चे सामान्य बच्चों की अपेक्षा श्रेष्ठ एवं बुद्धि लब्धि वाले होते हैं। यहां पर एक प्रश्न विचारणीय है कि उनकी बुद्धि लब्धि कितनी होनी चाहिए कि इन बच्चों को प्रतिभाशाली बच्चे माना जाए। कुछ विद्वान 135 से 140 के ऊपर बुद्धि लब्धि वाले बच्चों को प्रतिभाशाली मानते हैं।

प्रतिभाशाली बालक
प्रतिभाशाली बालक

प्रतिभाशाली बालक की पहचान

विद्यालय में विभिन्न प्रकार के बालक होते हैं उनमें व्यक्तिगत भिन्नता होती है। यहां पर व्यक्तिगत विभिन्नताओं के आधार पर प्रतिभाशाली बालकों का चयन करना अध्यापकों हेतु कठिनाई का विषय है। इनकी पहचान करने के लिए कई उपलब्धियों का प्रयोग करना पड़ता है क्योंकि यह जरूरी नहीं कि बालक एक ही प्रवृत्ति के प्रयोग के पश्चात पहचाना जा सके। ऐसा बालकों की पहचान हो तो निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है-

  1. बुद्धि परीक्षण
  2. निष्पत्ति परीक्षण
  3. अभिरुचि परीक्षण
  4. संबंधित बालकों की सूचना
  5. अवलोकन विधियां
  6. बालकों के गुणों के आधार पर पहचान

1. बुद्धि परीक्षण

प्रतिभाशाली बालकों की पहचान हेतु अध्यापकों के द्वारा कई बुद्धि परीक्षण किए जाते हैं। यह परीक्षण निम्न प्रकार के होते हैं। शाब्दिक एवं व्यक्तिगत।

इन बुद्धि परीक्षण का वर्गीकरण भाषा के प्रयोग के आधार पर किया जाता है। तथा शाब्दिक परीक्षणों के अंतर्गत पेन तथा पेंसिल का प्रयोग किया जाता है। जबकि ऐसा विवि परीक्षाओं के अंतर्गत कोई क्रिया करवाकर परीक्षण किया जाता है।

वाह वाले जो कि 140 से अधिक बुद्धि लब्धि का है, वह प्रतिभाशाली बालकों की श्रेणी में आता है। अतः यह उत्तम प्रविधि होती है।

विशिष्ट बालकों के प्रकार

2. निष्पत्ति परीक्षण

प्रतिभाशाली बालकों की पहचान हेतु शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापक निष्पत्ति परीक्षण की सहायता ली जाती है। इन परीक्षणों के माध्यम से बालकों की शैक्षिक उपलब्धियों का ज्ञान आसानी से प्राप्त हो जाता है।

3. अभिरुचि परीक्षण

अभिरुचि परीक्षणों के अंतर्गत बालकों की अभिरुचि के आधार पर उन्हें पहचाना जाता है। यह परीक्षण यह भी बता सकता है कि वालक भविष्य में क्या बनना चाहता है तथा उसकी रूचि किन-किन कार्यों में है। परंतु इन परीक्षणों में शिक्षकों का प्रशिक्षित होना भी अति अनिवार्य होता है क्योंकि इस प्रकार के परिजनों से प्राप्त अंकों का स्थापन भी प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा ही किया जा सकता है।

4. संबंधित बालकों की सूचना

प्रतिभाशाली बालकों की पहचान करने के लिए संबंधित व्यक्तियों से संबंध का अनावश्यक होता है। संपर्क के बाद से रिपोर्ट मांगी जाती है, इन सभी व्यक्तियों में बालकों के माता-पिता अध्यापक आस-पड़ोस के लोग व उनके मित्रगण सम्मिलित होते हैं। इन सभी लोगों से आवश्यक सूचनाएं लेकर शिक्षक प्रतिभाशाली बालकों की प्रतिभा तथा उनके स्तर को भलीभांति जान सकता है। इसके अतिरिक्त प्रतिभा खोज प्रतियोगिताओं को आयोजित करके अपनी प्रतिभा की खोज का प्रयत्न करते हैं। यह प्रतियोगिताएं अत्यंत लाभदायक होती हैं।

5. अवलोकन विधियां

अवलोकन वीडियो के अंतर्गत बालकों की क्रियाओं को लगातार देखा जाता है। तब पहचान मूल्यांकन के पश्चात या पता चलता है बालक वास्तव में प्रतिभाशाली है या नहीं या अभी उत्तम विधि है।

प्रतिभाशाली बालक
प्रतिभाशाली बालक

6. बालकों के गुणों के आधार पर पहचान

प्रतिभावान बालकों को उनके गुणों के आधार पर ही पहचाना जाता है। क्योंकि इन बालकों में कुछ अलग से विशिष्ट गुण विद्यमान है तथा उनके आधार पर ही बालकों की पहचान की जाती है। यह गुण निम्न है-

  1. यह बालक अच्छा में किए कार्यों को समझते हैं।
  2. यह बालक किए गए कार्यों को सुगमता से याद करते हैं।
  3. यह सामान्य बुद्धि का प्रयोग करते हैं।
  4. यह कठिन कार्यों को सुगमता से कर लेते।
  5. इन बालकों का चिंतन सदैव मौलिक होता है।
  6. यह सोचने समझने अर्थों को समझने तथा संबंधों को पहचानने में दक्ष होते हैं।
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