जॉन डीवी का प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणा के विकास में विशेष योगदान रहा है। जॉन डीवी संयुक्त राज्य अमेरिका के एक मनोवैज्ञानिक थे। इस शिक्षा की अवधारणा इस प्रकार है – शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य बालक की शक्तियों का विकास है। बालक को प्रत्यक्ष रूप से उपदेश ना देकर उसे सामाजिक परिवेश दिया जाना चाहिए और उसके सामने ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किए जाने चाहिए कि उसमें आत्मानुशासन उत्पन्न हो और वह सही अर्थों में सामाजिक प्राणी बने।
प्रगतिशील शिक्षा
प्रगतिशील शिक्षा में शिक्षक को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इसके अनुसार शिक्षक समाज का सेवक है। उसे विद्यालय में ऐसा वातावरण निर्माण करना पड़ता है। जिसमें पलकर बालक के सामाजिक व्यक्तित्व का विकास हो सके और वह जनतंत्र के योग्य नागरिक बन सके।


आधुनिक शिक्षा में वैज्ञानिक सामाजिक प्रवृत्ति शिक्षा का योगदान है। इनके सिद्धांतों के अनुरूप ही आजकल शिक्षा को अनिवार्य और सार्वभौमिक बनाने पर जोर दिया जाता है। शिक्षा का लक्ष्य व्यक्तित्व का विकास है और प्रत्येक व्यक्ति को उसके व्यक्तित्व का विकास करने के लिए शिक्षा प्राप्त करने का अवसर दिया जाना चाहिए। प्रगतिशील शिक्षा में शिक्षण विधि को अधिक व्यावहारिक बनाने पर जोर दिया जाता है. इसमें बालक के स्वयं करके सीखने पर जोर दिया जाता है. प्रगतिशील के में रूचि और प्रयास दो तत्वों को विशेष महत्वपूर्ण माना गया है. शिक्षक को बालक की स्वाभाविक रुचियों को समझ कर उसके लिए उपयोगी कार्यों की व्यवस्था करनी चाहिए.
जॉन डीवी ने प्रगतिशील शिक्षा के अंतर्गत शिक्षा में दो तत्वों को विशेष महत्वपूर्ण माना है, रुचि और प्रयास। अध्यापक को बालक की स्वाभाविक रुचियों को समझकर उसके लिए उपयोगी कार्यों की व्यवस्था करनी चाहिए। बालक को स्वयं कार्यक्रम बनाने का अवसर दिया जाना चाहिए। डीवी के शिक्षा पद्धति संबंधी स्वयं कार्यक्रम के विचार के आधार पर प्रोजेक्ट प्रणाली का जन्म हुआ। इसके अंतर्गत बालक को ऐसे काम दिए जाने चाहिए, जिनसे उनमें आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और मौलिकता का विकास हो।
- करके सीखने पर बल – हाथ के करके पूरा किए जाने वाले परियोजनाएँ, अनुभवात्मक सीख
- विषयगत इकाइयों पर केन्द्रित एकीकृत पाठ्यक्रम
- शिक्षा में उद्यमिता का एकीकरण
- समस्या समाधान तथा आलोचनात्मक सोच पर बल
- समूह कार्य तथा सामाजिक कौशलों का विकास
- रटे-रटाए ज्ञान के बजाय समझदारी एवं क्रिया (ऐक्शन) को शिक्षा का लक्ष्य मानना
- सहयोगात्मक (Collaborative) और सहकारी शिक्षण (cooperative learning) परियोजनाएं
- सामाजिक जिम्मेदारी और लोकतंत्र के लिए शिक्षा
- अत्यन्त व्यक्तिगत शिक्षा जो प्रत्येक व्यक्ति के निजी लक्ष्यों के अनुरूप हो
- दैनिक पाठ्यक्रम में सामुदायिक सेवा और सेवा की शिक्षा देने वाली परियोजनाओं को सम्मिलित करना
- विषय सामग्री का चयन करने के लिए इस बात पर विचार करना कि भविष्य की समाज में किन कौशलों की आवश्यकता होगी
- पाठ्यपुस्तकों में बंधी-बंधायी सामग्री पढ़ने पर जोर न देना बल्कि विविध प्रकार की शिक्षण सामग्री पढ़ने पर बल
- जीवनपर्यन्त शिक्षा तथा सामाजिक कौशलों पर बल
- बच्चे के शैक्षणिक विकास के मूल्यांकन के लिए उसके प्रोजेक्ट एवं प्रस्तुतियों का मूल्यांकन करना


प्रगतिशील शिक्षा के उद्देश्य
- प्रगतिशील शिक्षा यह सूचना प्रदान करती है कि शिक्षा पालक के लिए है बालक शिक्षा के लिए नहीं, इसलिए शिक्षा के उद्देश्य से ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए जिसमें प्रत्येक बालक को सामाजिक विकास का पर्याप्त अवसर मिले।
- प्रगतिशील शिक्षा का उद्देश्य जनतंत्र मूल्यों की स्थापना है, प्रगतिशील शिक्षा के अंतर्गत बालक में जनतंत्र मूल्यों का विकास किया जाना चाहिए। शिक्षा के द्वारा हमें ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए जिसमें व्यक्ति व्यक्ति में कोई भेद न हो। सभी पूर्ण स्वतंत्रता और सहयोग से काम करें।
- प्रत्येक मनुष्य को अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों, इच्छाओं और आकांक्षाओं के अनुसार विकसित होने का अवसर मिले, सभी को समान अधिकार दिए जाएं। ऐसा समाज तभी बन सकता है जब व्यक्ति और समाज के हित में कोई मौलिक अंतर ना माना जाए। शिक्षा के द्वारा मनुष्य में परस्पर सहयोग और सामंजस्य की स्थापना होनी चाहिए।
- प्रगतिशील शिक्षा में शिक्षण विधि को अधिक व्यावहारिक करने पर बल दिया जाता है।