पाठ योजना की 10 आवश्यकता तथा 11 सीमाएं

पाठ योजना का तात्पर्य किसी पाठ को विशिष्ट उद्देश्य एवं अपेक्षित व्यवहारी परिवर्तनों की प्राप्ति के संदर्भ में आकर्षक ढंग से नियोजित करने से है। यह कक्षा शिक्षण की पूर्व क्रियात्मक अवस्था कहलाती है। दैनिक पाठ योजना प्रभावी शिक्षण उपकरण के रूप में प्रयोग की जाती है।

शिक्षण प्रक्रिया के दौरान पाठयोजना छात्रों की अपेक्षा अध्यापक के कार्यों पर अधिक बल देती है। संपूर्ण पाठयोजना में अध्यापक ही केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करता है। Lesson Plan एक ब्लूप्रिंट नहीं है। यह मात्र अध्यापक को निर्देश देने, शिक्षण संबंधी विभिन्न क्रियाओं में तारतम्य स्थापित कराने, महत्वपूर्ण शिक्षण बिंदुओं का ज्ञान कराने, प्रभावी शिक्षण विधि के चुनाव कराने आदि के सहायतार्थ साधन मात्र है।

पाठ योजना

पाठ योजना

वस्तुतः यह अध्यापक के उन कार्यों का समूह है, जिसे उसे कक्षा में क्रियान्वित करना होता है। एक आकर्षक सफल एवं प्रभावी शिक्षक के लिए पाठयोजना का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। एक कुशल कारीगर की तरह अध्यापक को भी अपने छात्रों में वांछित सुधार लाने के लिए अपने उपकरणों का चयन बड़ी सावधानी से करना पड़ता है।

दूसरे शब्दों में, पाठ योजना अध्यापक के लिए एक खिड़की का काम करती है जिसमें से झांक कर वह अपने छात्रों की अंतर्निहित विशेषताओं एवं क्षमताओं को पहचानने का प्रयास करता है इसीलिए किसी ने सही लिखा है कि

Lesson plan is teacher’s mental and emotional visualisation of classroom activities.

पाठ योजना की आवश्यकता

  1. पाठ योजना कक्षा में उचित शैक्षिक वातावरण बनाने एवं प्रभावी शिक्षण के लिए अनिवार्य है।
  2. पाठयोजना शिक्षण के कार्य को नियमित एवं संगठित बनाती है।
  3. इसके द्वारा पाठ्यवस्तु का संगठन भली प्रकार हो जाता है।
  4. य प्रतिदिन के कार्य को स्पष्ट दिशा निर्देश देती है।
  5. अध्यापक आत्मविश्वास के साथ कक्षा में अप्रत्याशित स्थितियों का सामना करता है।
  6. Lesson Plan अध्यापक के लिए पथ प्रदर्शक एवं मित्र का कार्य करती है।
  7. भूलने के सहयोग में कमी लाने की दृष्टि से भी इसका निर्माण किया जाता है।
  8. पाठयोजना के माध्यम से अध्यापक उचित सोपान एवं समय पर सहायक सामग्री का उपयोग करता है।
  9. छात्रों को उनके मानसिक स्तर के अनुकूल गृह कार्य देने की व्यवस्था रहती है।
  10. छात्रों की दृष्टि से सबसे सुविधाजनक विधि के चयन में अध्यापक को सहायता मिलती है।
गणित की परिभाषा

गणित

पाठ योजना के विभिन्न सोपान

जे• एस• हरबर्ट ने Lesson Plan के पांच मुख्य सोपान बताए हैं, यह पद निम्न है-

  • तैयारी
  • प्रस्तुतीकरण
  • तुलना
  • सामान्यीकरण
  • अनुप्रयोग
  • पुनरावृति

आदर्श पाठ योजना

  1. पाठ योजना लक्ष्य शिक्षण विधियों पर विधियों सहायक सामग्री आदि की दृष्टि से विस्तृत होना चाहिए।
  2. Lesson Plan की भाषा सरल एवं आकर्षक होनी चाहिए।
  3. पाठ योजना संबंधित सामान्य एवं विशिष्ट उद्देश्य स्पष्ट रूप से लिखे जाने चाहिए।
  4. कक्षा के सामान्य अनुशासन के प्रति भी अध्यापक को सजग रहना चाहिए।
  5. छात्रों की जिज्ञासा बढ़ाने के लिए अच्छी पाठ योजना का आधार पूर्व ज्ञान को ही बनाया जाना चाहिए।
  6. अच्छी पाठयोजना छात्रों के सक्रिय सहयोग पर आधारित होनी चाहिए।
  7. प्रश्नोत्तर प्रणाली प्रभावी होनी चाहिए।
  8. मूल्यांकन की सुविधा की दृष्टि से एक अच्छी पाठ योजना को अध्यापक के इस कार्य में सहायक होना चाहिए।
गणित की भाषा, गणित की विशेषताएं

पाठ योजना की सीमाएं

Lesson Plan की 11 सीमाएं मुख्यतया इस प्रकार हैं-

  1. छात्रों में जिज्ञासा उत्पन्न करने की दृष्टि से प्रश्नों का कम प्रभावपूर्ण रहना।
  2. उपयुक्त सहायक सामग्री के प्रयोग का अभाव एवं प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत ना कर पाना।
  3. विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति में असफलता।
  4. महत्वपूर्ण शिक्षण बिंदुओं को ठीक से न पहचान पाना।
  5. श्यामपट्ट कार्य का संतोषजनक होना।
  6. विभिन्न प्रकरणों में सहसंबंध का अभाव।
  7. छात्रों की रुचियों, आयु, योग्यता, क्षमताओं, आवश्यकताओं की उपेक्षा करना।
  8. Lesson Plan का व्यापक ना होना।
  9. गृह कार्य की उपयुक्तता का अभाव।
  10. पाठ योजना विकास में छात्रों का सक्रिय सहयोग प्रदान ना करना।
  11. सर्वोत्तम शिक्षण विधि के चयन की समस्या।
आधुनिक गणित का विकास
गणित का अर्थगणित का इतिहासगणित की प्रकृति
गणित की भाषा और व्याकरणआधुनिक गणित का विकासगणित की विशेषताएं
गणित का महत्वगणित शिक्षण में पाठ्यपुस्तक का महत्वपाठ योजना
गणित प्रयोगशालाआदर्श गणित अध्यापक के गुणगणित शिक्षण के उद्देश्य
गणित शिक्षण के मूल्यपाइथागोरस और उनके योगदानरैनी देकार्ते के योगदान
यूक्लिड और उनके ग्रंथ

Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments