पाठ्यक्रम के लाभ – 5 Benefit of Syllabus

पाठ्यक्रम के लाभ – पाठ्यक्रम शिक्षा का एक अभिन्न अंग है, जिसके द्वारा शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति होती है। शिक्षा के संपूर्ण क्षेत्र में इसका एक विशेष स्थान है, जो उद्देश्यों एवं आदर्शों के निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक ऐसा साधन है जो छात्र एवं अध्यापक को जोड़ता है। अध्यापक पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों के मानसिक, शारीरिक, नैतिक, सांस्कृतिक, संवेगात्मक, आध्यात्मिक तथा सामाजिक विकास के लिए प्रयास करता है।

पाठ्यक्रम द्वारा छात्रों को प्रशिक्षण एवं अध्यापकों को दिशा-निर्देश के अवसर प्राप्त होते हैं। पाठ्यक्रम एक प्रकार से अध्यापक के पश्चात छात्रों के लिए दूसरा पथ प्रदर्शक है। पाठ्यक्रम में विषयों के साथ-साथ स्कूल के सारे कार्यक्रम आते हैं। शिक्षालय में होने वाले समस्त कार्यक्रम का आधार पाठ्यक्रम ही है। यदि पाठ्यक्रम को शिक्षा का प्राण कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी।

पाठ्यक्रम के लाभ

कुछ विद्वानों ने तो इसे शिक्षा एवं विद्यालय का दर्शनशास्त्र भी कहा है। इस के इस महत्व को देखते हुए यह आवश्यक हो जाता है कि इसका नियोजन वैज्ञानिक रीति से किया जाए। ऐसा होने पर ही विद्यालय का कार्य सुचारु रुप से चल सकता है। पाठ्यक्रम शिक्षण की निपुणता उसके उद्देश्यों और सामाजिक आवश्यकताओं के प्रति उसकी उपयुक्तता निर्धारित करता है।

पाठ्यक्रम के अनेक लाभों में कुछ पाठ्यक्रम के लाभ निम्न हैं-

  1. शिक्षा की प्रक्रिया का व्यवस्थित होना
  2. शिक्षा का स्तर समान रहना
  3. उद्देश्यों की प्राप्ति संभव होती है
  4. समय और शक्ति का सदुपयोग होना
  5. मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति होना

1. शिक्षा की प्रक्रिया का व्यवस्थित होना

पाठ्यक्रम एक ऐसा लेखा-जोखा है, जिसमें यह स्पष्ट किया जाता है कि शिक्षा के किस स्तर पर जैसे पूर्व प्राथमिक, प्राथमिक, माध्यमिक आदि विद्यालयों में किन पांच विषयों का कितना ज्ञान एवं किन क्रियाओं में कितनी दक्षता का विकास किया जाएगा। इस प्रकार निश्चित पाठ्यक्रम शिक्षा की क्रिया को व्यवस्थित करता है।

2. शिक्षा का स्तर समान रहना

निश्चित पाठ्यक्रम से पूरे समाज की शिक्षा का स्तर समान रहता है। जिसके परिणाम स्वरूप हमें शिक्षा में सुधार की सही दिशा प्राप्त होती है। अनिश्चित पाठ्यक्रम की स्थिति में हम शिक्षा के स्तर के उठने तथा गिरने के कारणों का पता नहीं लगा सकते और उस स्थिति में शिक्षा में सुधार नहीं किया जा सकता।

3. उद्देश्यों की प्राप्ति संभव होती है

पाठ्यक्रम का निर्माण उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यदि पाठ्यक्रम को सुचारू रूप से पूरा किया जाता है, तो शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति होती है। इस संदर्भ में हमें यह बात जान लेनी चाहिए कि यदि कोई निश्चित पाठ्यक्रम हो तो हम यह नहीं जान पाते कि किन विषयों के ज्ञान और किन क्रियाओं के प्रशिक्षण से हम अपने उद्देश्यों की प्राप्ति कर रहे हैं और कौन सी क्रियाएं निरर्थक हैं।

4. समय और शक्ति का सदुपयोग होना

निश्चित पाठ्यक्रम अध्यापक और विद्यार्थी दोनों के कार्य को निश्चित कर देता है। इससे अध्यापकों को यह पता रहता है कि उन्हें विद्यार्थियों को क्या सिखाने में सहायता करनी है और विद्यार्थियों को यह पता रहता है कि उन्हें क्या सीखना है। अध्यापक अथवा विद्यार्थी किसी की भी भटकने की गुंजाइश नहीं रहती। परिणामत: शिक्षा की प्रक्रिया बड़ी सुचारू रूप से चलती है और अध्यापक तथा विद्यार्थी दोनों ही निश्चित समय में निश्चित कार्यों को पूरा करते हैं। इससे समय और शक्ति दोनों का सदुपयोग होता है।

5. मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति होना

निश्चित पाठ्यक्रम से बच्चों की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो सप्रयोजन क्रियाओं में रुचि लेता है और ऐसा कार्य करना चाहता है जिससे उसकी वर्तमान आवश्यकता ओं की पूर्ति होती है और भावी आवश्यकता की पूर्ति की संभावना बढ़ती है। पाठ्यक्रम का निर्माण इन बातों को ध्यान में रखकर ही किया जाता है। इसलिए बच्चे उसे पूरा करने में रुचि दिखाते हैं। इसके अतिरिक्त जब बच्चे एक निश्चित कार्य को एक निश्चित समय में पूरा कर लेते हैं, तो उन्हें बड़ी प्रसन्नता होती है और वह उत्साह से आगे बढ़ते हैं।

पाठ्यक्रम अर्थ परिभाषा आवश्यकता महत्वपाठ्यक्रम का आधारपाठ्यक्रम का क्षेत्र
पाठ्यक्रम के लाभपाठ्य सहगामी क्रियाएंशैक्षिक उद्देश्य स्रोत आवश्यकता
पाठ्यक्रम के उद्देश्यमूल्यांकन की विशेषताएंअच्छे शिक्षण की विशेषताएं
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