पर्यावरण अंग्रेजी भाषा Environment का हिंदी रूपांतरण है अंग्रेजी शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा में Envinor से हुई है जिसका तात्पर्य घिरा हुआ है। सामान्य रूप से पर्यावरण उस परिवेश को कहते हैं जो जीवमंडल के चारों ओर से घेरे हुए होते हैं। किसी स्थान विशेष में मनुष्य के आस-पास भौतिक वस्तुओं (स्थल, जल, मृदा, वायु, रसायनिक तत्व) का आवरण जिसके द्वारा मनुष्य घिरा होता है पर्यावरण कहा जाता है।

पर्यावरण परिभाषाएं
पर्यावरण की परिभाषा अनेक भूगोलवेत्ताओं ने दी है जिनके मत निम्न है-
पर्यावरण उन सभी दशाओं प्रणालियों एवं प्रभाव का योग है जो जीवो, जातियों के विकास, जीवन एवं मृत को प्रभावित करता है।
इनसाइक्लोपीडिया विश्व शब्दकोश के अनुसार
पर्या वरण का अर्थ उन दशाओं के योग से होता है जो मनुष्य को निश्चित समय में निश्चित स्थान पर आवृत्ति करती है।
पार्क्स के अनुसार
जीवो को प्रभावित करने वाले बाह् प्रभावों का योग Environment है जिसमें प्रकृति की भौतिक एवं जैविक शक्तियों सम्मिलित होती हैं जिसमें जीव सदा घिरा रहता है।
ब्रिटेनिक शब्दकोश के अनुसार
Environment एक जीवन के जीवन एवं विकास को प्रभावित करने वाले सभी भाषाओं के प्रभावों का समुच्चय होता है।
सट्रालर के अनुसार
पर्यावरण भूगोल सामान्य रूप से जीवित जीवो के तथा प्राकृतिक पर्यावरण के मध्य तथा मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी स्तर पर विकसित आर्थिक एवं उसके प्राकृतिक Environment के अंतर संबंधों के स्थानिक गुणों का अध्ययन है।
सविंद्र सिंह के अनुसार

पर्यावरण के संघटक
पर्या वरण के संघटकों को तीन प्रमुख प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है जो कि निम्न है-
- भौतिक या अजैविक संघटक- भौतिक संगटक के अंतर्गत समस्त जीवमंडल या उसके किसी भाग के भौतिक पर्यावरण को सम्मिलित किया जाता है। इस भौतिक संगठन के अंतर्गत समान रूप से स्थल मंडल, वायु मंडल तथा जल मंडल को सम्मिलित करते हैं। इन्हें क्रम से स्थल, मृदा, वायु तथा जल संगठन भी कहा जाता है। यदि विश्व स्तर पर समस्त जीव मंडल को एक वृहद स्तर परिस्थितिकी तंत्र के रूप में लिया जाता है तो यह तीनों भौतिक संगठन अर्थात स्थल मंडल, वायुमंडल तथा जल मंडल परिस्थितिकी तंत्र के उपर तंत्र होते हैं यह तंत्र निम्न है-
- स्थल मंडलीय संगठन
- वायुमंडलीय संगठन
- जलीय संगठन
- जैविक संघटक- जीवमंडल/ परिस्थितिकी तंत्र पर्यावरण के जैविक या कार्बनिक का निर्माण तीन उपतंत्रों द्वारा होता है।
- पादप तंत्र
- जन्तु तंत्र
- सूक्ष्मजीव तंत्र

- ऊर्जा संघटक-ऊर्जा संगठन के अंतर्गत सौर्य ऊर्जा एवं भूतापीय उर्जा को सम्मिलित करते हैं। सूर्यताप के विश्व वितरण से स्पष्ट होता है कि सूर्य ताप का अक्षांश रेखा के साथ घनिष्ठ संबंध है। इस प्रकार शुद्ध विकिरण संयुक्त मात्रा के आधार पर उर्जा को तीन मंडलों में विभाजित किया जाता है। 40° उत्तरी से 40° दक्षिणी के अक्षांश के बीच का क्षेत्र उच्च या दिन में क्षेत्र तथा 40 से 90 डिग्री उत्तरी अक्षांशीय क्षेत्र।