परियोजना विधि का आविष्कार सर्वप्रथम अमेरिकी शिक्षा शास्त्री सर विलियम किलपैट्रिक द्वारा किया गया था। यह विधि प्रयोजनवाद की विचारधारा पर आधारित है। ऐसे में आंकड़ों का एकत्रीकरण किसी समस्या को केंद्रित करते हुए सामुदायिक रूप से किया जाता है।
इस विधि में सबसे पहले समस्या का चुनाव किया जाता है फिर चरणबद्ध तरीके से कई छात्र सामुदायिक रूप से तथ्यों की खोज करते हैं तथा उनके निष्कर्ष को एक प्रोजेक्ट के रूप में प्रस्तुत करते हैं। यह विधि साहचर्य और सहयोग के सिद्धांत पर कार्य करती है। इस प्रकार योजना सुरक्षा पर आधारित रचनात्मक कार्य करने की ओर प्रेरित होती है। यह विज्ञान के छात्रों के अतिरिक्त अन्य विषयों के छात्रों के लिए भी समान रूप से उपयोगी हैं। प्रमुख विद्वानों के द्वारा योजना विधि को निम्न प्रकार से परिभाषित किया गया है-
प्रोजेक्ट वह उद्देश्य पूर्ण कार्य है जिसे लगन के साथ सामाजिक वातावरण में किया जाता है।
W H Kilpatrick
प्रोजेक्ट यथार्थ जीवन का वह भाग है जो विद्यालय में प्रदान किया जाता है।
बेलर्ड के अनुसार
यह क्रिया की एक इकाई है जिसमें विद्यार्थियों को योजना और उद्देश्य निर्धारित करने के लिए उत्तरदाई बनाया जाता है।
पारकर के अनुसार
परियोजना विधि के सिद्धांत
शिक्षण योजना की यह विधि निम्नलिखित मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है-
- यथार्थता का सिद्धांत
- अनुभव का सिद्धांत
- स्वतंत्रता का सिद्धांत
- सहकारिता का सिद्धांत
- उपयोगिता का सिद्धांत
- उद्देश्य का सिद्धांत






परियोजना विधि के चरण
किसी भी विषय से संबंधित प्रोजेक्ट को बनाने के लिए क्रमानुसार निम्नलिखित सोपानो या विधियों का प्रयोग किया जाता है।
- परिस्थिति प्रदान करना – किसी समस्या के समाधान को खोजने के लिए अनुकूल परिस्थितियों का होना अति आवश्यक है। इसी प्रकार योजना बनाते समय अध्यापक द्वारा छात्रों को अनुकूल परिस्थिति प्रदान की जाती है। अध्यापक छात्रों की योग्यता को ध्यान में रखते हुए समस्या के प्रति उनकी रुचि उत्पन्न करने में सहायक होता है।
- योजना के उद्देश्य एवं चयन – योजना के उपयुक्त विषय का चयन सफलता में काफी सहायक होता है। अध्यापक द्वारा छात्रों की सूची योग्यता एवं परिस्थिति के अनुरूप योजना के उद्देश्यों का चयन करना चाहिए।
- योजना बनाना – अध्यापक द्वारा विषय के उद्देश्यों का चयन करने के उपरांत संपूर्ण कार्य की योजना बना लेना चाहिए तथा इसको क्रियान्वयन के लिए छात्रों में सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से वितरित कर देना चाहिए।
- क्रियान्वयन – अध्यापक को छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए योजना के विभिन्न चरणों को पूर्ण करने के लिए छात्रों को उत्तरदाई बनाना चाहिए तथा समय से समस्या के विभिन्न पहलुओं का क्रियान्वयन होना चाहिए।
- मूल्यांकन – प्रोजेक्ट का यह एक महत्वपूर्ण पद है इसमें संपूर्ण कार्य पूर्ण हो जाने पर उसे विभिन्न तथ्यों का उद्देश्य के अनुसार मूल्यांकन किया जाता है और इसके आधार पर समस्या के समाधान के रूप में निष्कर्ष को प्रस्तुत करते हैं।
- रिकॉर्डिंग – प्रत्येक छात्र को जो कार्य दिया जाता है उससे संबंधित संपूर्ण तथ्यों को सुरक्षित रखने की विधि रिकॉर्डिंग कहलाती है। जब अध्यापक द्वारा निरीक्षण किया जाता है उस समय प्रोजेक्ट से संबंधित लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाता है। ऐसे में संपूर्ण योजना का एक पूरा विवरण सुरक्षित रखा जाता है।
परियोजना विधि में अध्यापक की भूमिका
परियोजना विधि में विद्यार्थी को सक्रिय करना अति आवश्यक है क्योंकि यह विधि विद्यार्थी केंद्रित होती है। परियोजना विधि में विद्यार्थी और अध्यापक दोनों को भूमिकाओं का अपना महत्व होता है। विद्यार्थियों को प्रेरित करने में अध्यापक की निम्नलिखित भूमिका हो सकती है-
- अध्यापक स्वयं विद्यार्थियों के साथ अध्ययन करता है।
- अध्यापक को सभी विद्यार्थियों के बारे में ज्ञान होना चाहिए और उन विद्यार्थियों के अनुसार ही उन्हें कार्य शॉप पर जाने चाहिए।
- अध्यापक को पर्याप्त अनुभव होना चाहिए।
- इस विधि में अध्यापक एक मार्गदर्शक मित्र तथा सहयोगी की भूमिका निभाता है ना की किसी तानाशाह की
- अध्यापक को विद्यार्थियों के चरित्र और व्यक्तित्व के विकास में सहायक हो ताकि विद्यालय अपने ऊपर कुछ उत्तरदायित्व ले सके।
- अध्यापक को चाहिए कि वह कक्षा में विद्यार्थियों की स्वतंत्रता बनाए रखें तथा उनके डर को दूर करें।
परियोजना विधि की विशेषताएं
परियोजना विधि की प्रमुख विशेषताएं निम्न है
- यह विधि सीखने के विभिन्न नियमों जैसे तैयारी का नियम प्रभाव का नियम तथा अभ्यास के नियम पर आधारित है।
- इस विधि में परिश्रम की मर्यादा का विकास होता है।
- इस विधि में समस्या के समाधान की चुनौती का अवसर मिलता है।
- इस विधि में रचनात्मक और सृजनात्मक क्रियाओं को बढ़ावा मिलता है।
- परियोजना विधि में विभिन्न विषयों के साथ सहसंबंध ढूंढा जा सकता है।
- इस विधि में मानसिक परिधि का विस्तार होता है।
- इस विधि में विषयों को विभिन्न शाखाओं में नहीं बांटना पड़ता।
- परियोजना विधि में विषयों का सहसंबंध अधिकतम हो सकता है।
परियोजना विधि के गुण
परियोजना विधि के निम्नलिखित गुण या लाभ हैं-
- यह विधि मनोविज्ञान पर आधारित है।
- छात्रों में प्रोजेक्ट द्वारा सीखा ज्ञान अधिक समय तक बना रहता है।
- यह छात्रों के मानसिक विकास के लिए उपयुक्त है।
- यह आपस में मिल जुल कर कार्य करने की भावना उत्पन्न करता है।
- विषयों का क्रमबद्ध अध्ययन करने में सहायक है।
- सामाजिकता और प्रजातांत्रिक भावना को बढ़ावा मिलता है।
- समाज के साथ व्यावहारिक तथा घनिष्ठ संबंध रहता है।
परियोजना विधि के दोष
सामान्यत: परियोजना विधि के जहां लाभ हैं वहीं इसकी कुछ हानियां भी हैं जो निम्न है-
- यह विधि अधिक महंगी होती है।
- शिक्षण कार्य व्यवस्थित नहीं हो पाता है।
- छात्रों का उचित मूल्यांकन करने में समस्या होती है।
- श्रम अधिक खर्च होता है।
- उच्च स्तर पर केवल प्रोजेक्ट से शिक्षण नहीं किया जा सकता।
- परियोजनाओं के लिए उपकरणों तथा प्रयोगशालाओं की आवश्यकता होती है।
- योजना के लिए उचित संदर्भ साहित्य का अभाव हो सकता है।
- यह प्रत्येक विद्यालय से संभव नहीं है।






परियोजना व ह्यूरिस्टिक विधि में अन्तर
शिक्षण के क्षेत्र में परियोजना विधि तथा ह्यूरिस्टिक विधि दोनों का ही महत्वपूर्ण स्थान है। उनके उपयोग आज भी प्रासंगिक हैं। उसके दोनों विधियों में प्रमुख अंतर निम्न है-
क्रम संख्या | परियोजना विधि | ह्यूरिस्टिक विधि |
1 | परियोजना विधि का अविष्कार अमेरिकी शिक्षाशास्त्री सर विलियम किलपैट्रिक द्वारा किया गया। | ह्यूरिस्टिक विधि का आविष्कार प्रोफेसर एच. ई. आर्मस्ट्रांग के द्वारा किया गया। |
2 | यह विधि पूर्णत: मनोवैज्ञानिक विधि है। | यह विधि पूर्णता तथ्यों पर आधारित विधि है। |
3 | इस विधि में आंकड़ों का एकत्रीकरण किसी समस्या को केंद्रित करते हुए सामुदायिक रूप से किया जाता है। | ह्यूरिस्टिक विधि में आंकड़ों का एकत्रीकरण किसी समस्या समाधान के लिए व्यक्तिगत रूप से किया जाता है। |
4 | यह विधि सहचर्य एवं सहयोग के सिद्धांत पर कार्य करती है। | यह विधि समस्या समाधान हेतु निरीक्षण एवं चिंतन के सिद्धांत पर कार्य करती है। |
5 | परियोजना विधि में शिक्षक निरीक्षक तथा छात्र अन्वेषक होता है। | ह्यूरिस्टिक विधि में छात्र ही निरीक्षक तथा अन्वेषक होता है। |
6 | योजना विधि में सामाजिकता एवं प्रजातांत्रिक भावना का विकास होता है। | इस विधि में छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। |
7 | इस विधि का प्रयोग सामान्य स्तर के बाल को एवं कक्षाओं के लिए उपयोगी है। | ह्यूरिस्टिक विधि का प्रयोग प्रभावशाली तथा बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है। |
8 | यह विधि अपेक्षाकृत कम खर्चीली है | यह विधि खर्चीली विधि है। |
9 | योजना विधि का समाज के साथ व्यावहारिक संबंध है। | ह्यूरिस्टिक विधि का समाज के साथ व्यावहारिक तथा घनिष्ट संबंध होना आवश्यक है। |
10 | योजना विधि के अंतर्गत विषयों का क्रमबद्ध अध्ययन करना शुगम होता है। | इस विधि के अंतर्गत छात्रों को किसी समस्या का क्रमबद्ध अध्यन करना शुगम है। |