ऐसा कुछ भी जिसमें भार होता है, जो स्थान घेरती है और जिसे हम एक या एक से अधिक इन्द्रियों द्वारा महसूस कर पाते हैं, वह पदार्थ कहलाता है। उदाहरण हवा और पानी, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन, चीनी और रेत, चीनी और स्टील लोहे और लकड़ी, दूध और तेल, CO, और भाप कार्बन और सल्फर, चट्टानों और खनिज आदि। ये विभिन्न प्रकार के पदार्थ हैं जिनके पास आयतन, द्रव्यमान हैं और जो स्थान घेरते हैं। वे ठोस, तरल, गैस और प्लाज्मा के रूप में उपस्थित होते हैं।
पदार्थ
पदार्थ वह है जो स्थान घेरते हैं, जिनका निश्चित द्रव्यमान है, जो दबाव लगा सकते हैं भौतिक प्रतिरोध का उत्पादन करते हैं और जिसका अस्तित्व हमारी इन्द्रियों द्वारा महसूस किया जा सकता है।
पदार्थ की संरचना
पदार्थ की संरचना के आधार पर दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है-
- भौतिक संरचना – इस संरचना में पदार्थ पूरी तरह से उनके अणुओं के बीच मौजूदा आणविक बलों पर निर्भर करता है। भौतिक संरचना के आधार पर पदार्थ को तीन समूह में विभाजित किया गया हैं ठोस, द्रव, गैस।
- रासायनिक संरचना – पदार्थ को तीन समूहों में विभाजित किया गया है-
- तत्व – यह वह मौलिक पदार्थ जो दो या दो से अधिक अलग-अलग घटकों में विघटित या पृथक नहीं हो सकता है, जिनके किसी भी भौतिक या रासायनिक प्रक्रिया के अलग-अलग गुण या विशेषताएँ हैं। इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर तत्व वह पदार्थ है जिसका परमाणु भार बराबर है। ये दो प्रकार के होते हैं— धातु और अधातु।
- यौगिक – वह पदार्थ जो रासायनिक संयोजन द्वारा दो या दो से अधिक तत्वों क एक निश्चित अनुपात में मिलाकर बनाये जाते हैं, यौगिक कहलाते हैं। इस नये बने गि के भौतिक व रासायनिक गुण उसके घटक तत्वों से भिन्न हो सकते है। उदाहरण– पानी, हाइड्रोजन ऑक्सीजन तत्वों से मिलकर बनता है। हाइड्रोजन और आक्सीजन तत्व गैसीय होते है परन्तु इनसे मिल बना नया यौगिक पानी द्रव रूप में होता है।
- मिश्रण – वह पदार्थ जो केवल एक अनिश्चित अनुपात के दो या दो से अधिक शुद्ध तत्वों के भौतिक संयोजन द्वारा बनायी जाती है।



पदार्थ की अवस्थाएँ
किसी भी पदार्थ या द्रव्य द्वारा ग्रहण किया गया विशिष्ट रूप उस पदार्थ की अवस्था कहलाती है, किसी पदार्थ की अलग-अलग अवस्था में अलग-अलग गुण पाए जाते हैं, और अवस्थाओं में इन गुणों के अन्तर के कारण इन्हें अलग-अलग अवस्था के रूप में बांटा जा सकता है। किसी द्रव या पदार्थ को उसकी भौतिक अवस्था के आधार पर तीन अवस्थाओं में बांटा जा सकता है। विज्ञान में पदार्थ की ये तीन अवस्थाएँ निम्न हैं-
ठोस अवस्था
ठोस पदार्थ की वह अवस्था है, जिसमें उसके आकार एवं आयतन दोनों निश्चित होते हैं, जैसे—कुर्सी, मेज, ईंट, पत्थर आदि। जब पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल पृथक्कारी बल से सबल होता है, तो पदार्थ ठोस अवस्था में रहता है। अर्थात् ठोस के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल अधिक होता है।
सबल आकर्षण बल के कारण ठोस पदार्थों के अणु घने रूप में संकुलित होते हैं तथा उनकी स्थितियाँ निश्चित होती है। ठोसों के कण आपस में अत्यधिक निकट होते हैं इस कारण इनमें उच्च घनत्व और असंपीडयता होती है। ठोसों में कणों के उच्च क्रम में व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं। जिसके फलस्वरूप क्रिस्टलों की एक नियमित ज्यामिति होती है।
द्रव अवस्था
द्रव पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें उसका आयतन निश्चित होता है, परन्तु आकार अनिश्चित होता है। जैसे—दूध, पानी, तेल आदि। द्रव पदार्थ की सभी स्थितियों में ऊपरी सतह हमेशा समतल होती है। जब पदार्थ में आकर्षण बल, पृथक्कारी बल से कुछ ही सबल होता है, तो पदार्थ द्रव अवस्था में रहता है। इस तरह द्रव पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल ठोस अवस्था की अपेक्षा कमजोर होता है।
इसी कारण द्रव पदार्थों में अणु कम घने रूप में संकुलित होते हैं तथा ये गति करने के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं। परन्तु ये अणु पदार्थ के अन्दर ही इधर-उधर गति कर सकते हैं। अतः द्रव पदार्थ अपना आकार आसानी से बदल सकते हैं, परन्तु उनका आयतन नहीं बदलता है। इसी कारण द्रव पदार्थ का आयतन निश्चित, वस्तु आकार अनिश्चित होता है। द्रव पदार्थ का घनत्व गैस से अधिक किन्तु ठोस से कम होता है।


गैस अवस्था
गैस पदार्थ की वह अवस्था है, जिसमें उसके आकार और आयतन दोनों अनिश्चित होते हैं जैसे— वायु, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, क्लोरीन आदि। गैस अवस्था में पदार्थ का न कोई आकार होता है और न कोई आयतन। गैसीय पदार्थ को जिस पात्र में रख दिया जाता है वह उसी का आकार एवं आयतन ग्रहण कर लेता है। गैस का कोई पृष्ठ तल नहीं होता है। द्रव में बहने वाला द्रव का गुण पाया जाता है।
जब पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल, पृथक्कारी बल की अपेक्षा काफी कमजोर होता है, जो पदार्थ गैस अवस्था में रहता है। इस तरह गैसीय पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल ठोस एवं द्रव पदार्थ दोनों की अपेक्षा कमजोर होता है। गैसीय पदार्थ के अणु ठोस एवं द्रव पदार्थों के अणुओं की तुलना में एक-दूसरे से काफी दूर-दूर रहते हैं तथा सभी दिशाओं में गति करने के लिये स्वतन्त्र रहते हैं। इसी कारण गैसीय पदार्थ का न तो कोई निश्चित आकार होता है और न ही निश्चित आयतन ।
प्लाज्मा
प्लाज्मा एक आयनीकृत गैस है, जिसमें इलेक्ट्रॉनों का एक निश्चित अनुपात किसी परमाणु या अणु के साथ बंधे होने के बजाय स्वतंत्र होता है। प्लाज्मा में धनावेश और ऋणावेश के स्वतंत्र रूप से गमन करने की क्षमता प्लाज्मा को विद्युत चालक बनाती है जिसके परिणामस्वरूप यह दृढ़ता से विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों से प्रतिक्रिया कर पाता है।
प्लाज्मा के गुण ठोस, द्रव या गैस के गुणों से काफी विपरीत हैं और इसलिए इसे पदार्थ की एक भिन्न अवस्था माना जाता है। प्लाज्मा आमतौर पर, एक तटस्थ गैस के बादलों के रूप ले लेता है, जैसे सितारों में। गैस की तरह प्लाज्मा का कोई निश्चित आकार या आयतन नहीं होता जब तक इसे किसी बंद पात्र में बंद न कर दिया जाए।