नेतृत्व अर्थ महत्त्व विशेषताएं सिद्धांत

नेतृत्व से आशय व्यक्ति के व्यवहार के उस गुण से लगाया जाता है जिसके द्वारा वह मार्गदर्शन करता है और नेता के रूप में उनकी क्रियाओं का संचालन करता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि नेता वह गुण है जिसके द्वारा अनुयायियों के एक समूह से बिना दबाव के बाछित कार्य स्वेच्छापूर्वक कराया जाता है। इस संबंध में विभिन्न विद्वानों ने निम्नलिखित परिभाषाएं दी है –

नेतृत्व से आशय ऐसे व्यक्तियों का संबंध है जिसके अन्तर्गत एक व्यक्ति अथवा नेता दूसरों को संबंधित कार्यों पर स्वेच्छा से साथ-साथ कार्य करने को प्रभावित करता है, ताकि नेता द्वारा इच्छित उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सके।

नेतृत्व से आशय किसी व्यक्ति एवं वर्ग के मध्य ऐसे संबंध से है जिससे कि सामान्य हित के लिए दोनों परस्पर मिल जाते हैं तथा अनुयायियों का समूह उस एक व्यक्ति के निर्देशानुसार ही कार्य करता है।

सामाजिक विज्ञान के शब्दकोष नेतृत्व गुणों का यह संयोजन है जिसके होने से कोई भी अन्य कुछ कराने के योग्य होता है, क्योंकि मुख्यतः उसक प्रभाव द्वारा वे ऐसा करने को तत्पर हो जाते हैं।

किसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु संदेशवाहन के माध्यम द्वारा व्यक्तियों को प्रभावित कर सकने की योग्यता नेतृत्व कहलाती है।

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है, कि नेतृत्व एक ऐसी क्षमता जो अपने अनुयायियों को प्रभावित करता है, उनका मार्गदर्शन करता है तथा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रोत्साहित करता रहता है।

नेतृत्व

प्रशासन में नेतृत्व का महत्व

नेतृत्व के महत्व का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षको के अन्तर्गत किया जा सकता है-

  1. प्रेरक शक्ति – नेतृत्व एक प्रेरक शक्ति होती है जो संस्था के लोगों को उदेश्य प्राप्ति के लिए प्रेरणा प्रदान करती है। प्रबंध को अन्य लोगों से काम लेने की कला माना जाता है बिना कुशल नेतृत्व के दूसरों से कार्य कराना सम्भव नहीं है। नेता अधीनस्थों के प्रेरणाओं में सुधार लाता है, उनको सही सलाह देता है और उनकी सोई हुई योग्यताओं को जगाता है, उनके मनोबल को ऊँचा करता है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि जिस प्रकार बिना विद्युत के मोटर नहीं चल सकती है ठीक उसी प्रकार नेतृत्व के बिना व्यव नहीं चल सकता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है नेतृत्व प्रेरणा का स्रोत है।
  2. सहयोग का आधार – एक अच्छा नेतृत्व सदस्यों में विश्वास एवं सद्भावना का सृजन करता है। एक कुशल नेता अपने विभिन्न साधनो से अपने अनुयायियों का सहयोग प्राप्त करता है। कर्मचारियों से सहयोग दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है प्रथम अधिकार के प्रयोग से और द्वितीय विश्वास जीत कर अधिकार के प्रयोग को कर्मचारियों में विरोध उत्पन्न होता है, इसके विपरीत विश्वास जीतकर नेतृत्व करने से कर्मचारियों से पूरा सहयोग मिलता है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि कुशल नेतृत्व सहयोग का आधार है। कुशल नेतृत्व से अधीनस्थों को योग्यता दिखाने का पूरा मौका दिया जाता है।
  3. सम्भव को यथार्थ बनाना – एक अच्छे नेतृत्व वाला प्रबंधक अपने अधीनस्थों के साथ तालमेल मिलाकर अधीनस्थों को एक दिशा की ओर ले जाता है। अपने नेतृत्व के द्वारा सतुलन और समन्वय पैदा करके सभी साधनों को सक्रिय बना देता है और साधनों का अधिकतम उपयोग करके सम्भव कार्य को यथार्थ में बदल देता है।
  4. समूह में निष्ठा पैदा करना – नेतृत्व संस्था में कार्य करने वाले कर्मचारियों को उद्देश्य के प्रति निष्ठा बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कुशल नेतृत्व कर्मचारियों में व्याप्त निष्क्रियता को खत्म कर देता है तथा सक्रियता को उत्पन्न कर देता है। कुशल नेतृत्व के अभाव में अच्छी से अच्छी योजनाएं लड़खड़ जाती है तथा प्रबंध के किये गये प्रयास व्यर्थ हो सकते हैं। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि कुशल नेतृत्व समूह में निछा पैदा करता है।
  5. व्यक्तित्व का विकास – एक नेता का काम केवल इतना नहीं होता है कि कर्मचारियों से अपना उद्देश्य पूरा करा लिया जाये बल्कि कर्मचारियों के व्यक्तित्व का विकास करना भी उसका उद्देश्य होता है। इस प्रकार एक कुशल नेता अपने अधीनस्थों व अनुयायियों के व्यक्तित्व के विकास में पूरा सहयोग करता है।
  6. उत्साह और लगन के संबंध में कहा है कि “नेतृत्व से इच्छा शक्ति उत्प्रेरित होती है और जिससे लक्ष्य प्राप्ति की स्थिर इच्छाएं लक्ष्य की सफलता के लिए ज्वलंत भावनाओं में प्रेरित हो जाती हैं। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि कुशल नेतृत्व उत्साह और लगन पैदा करता है। विवेक और दूरदर्शिता को जागृत करता है। मनोबल एवं संतोष में वृद्धि करता है। संस्था की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि कर्मचारियों में तीव्र इच्छा शक्ति एवं लगन होनी चाहिए, जो बिना कुशल नेतृत्व के सम्भव नहीं हो सकती।
  7. एकीकरण का माध्यम – कुशल नेतृत्व के अभाव में संघर्ष, भ्रान्तियों और उद्देश्य विरोधी तत्वों को बल मिलता है। इसके विपरीत कुशल नेतृत्व कर्मचारियों के हितो, आचरणों और कार्यों में एकता एवं सामंजस्य पैदा करता है। इस प्रकार एक कुशल नेतृत्व उनके हितों में एकीकरण एवं कार्यों का समन्वय स्थापित करता है।
  8. कुशल संचालन – कुशल नेतृत्व से उच्च प्रबंध की ऐसी सुविधाएं मिल जाती हैं जिससे संस्था का कार्य अनवरत रूप से चलता रहता है अर्थात कमी बाधा उत्पन्न नहीं होती है। कुशल नेतृत्व से संचालन में वह सभी लक्षण प्रतीत होने लगते है जो एक अच्छे संचालन में पाये जाते हैं। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि नेतृत्व से कुशल संचालन होता है।
  9. सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया में सुगमता कुशल नेतृत्व ऐसी चीज होती है जिसकी आवश्यकता उच्च प्रबंध से लेकर फोरमैन तक सभी को रहती है। यदि सभी पदों पर या सभी पदों के लोग कुशल नेतृत्व करें तो सामाजिक परिर्तन की प्रक्रिया में आसानी होती है।
  10. समन्वय की सुलभता – कुशल नेतृत्व के माध्यम से औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन के बीच समन्वय स्थापित किया जा सकता है। संगठन में समन्वय स्थापित हो जाने के बाद संस्था को अपने उद्देश्य प्राप्त करने में आसानी होती है।

नेतृत्व के सिद्धांत

नेतृत्व की विशेषताएँ

नेतृत्व के निम्नलिखित लक्षण या विशेषताएं पाई जाती हैं-

  1. अनुयायियों का होना नेतृत्व का प्रथम लक्षण होता है। नेता का महत्व अनुयायियों संख्या जितनी अधिक होगी उतना ही अधिक होगा।
  2. नेतृत्व में परिस्थितियों का ध्यान रखना आवश्यक होता है क्योंकि नेतृत्व परिस्थितियों पर भी निर्भर होता है।
  3. नेतृत्व में नेता को मानवीय आचरण के प्रति यथार्थवादी व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
  4. नेतृत्व करते समय नेता को अपनी शक्तियों व कमजोरियों का ठीक प्रकार से ज्ञान होना आवश्यक है।
  5. नेतृत्व में नेता जो कहें वही करना चाहिए उसमें कोई अन्तर नहीं होना चाहिए।
  6. नेतृत्व में नेता के आदर्श, चरित्र और आचरण का अनुयायियों पर प्रभाव पड़ता है। इस सम्बन्ध में एल. एफ. उर्विक कहते हैं कि किसी भी नेता के भाषण अथवा उसके लेख उतना अधिक अनुयायियों को प्रभावित नहीं करते हैं जितना कि अनुयायियों को उसका चरित्र और आचरण प्रभावित करता है।
  7. नेतृत्व से नेता और उसके अनुयायियों के हितों में एकता होती है।
  8. नेता नेतृत्व में संस्था के सामान्य लक्षणों की प्राप्ति के लिए अपने अनुयायियों के प्रयासों को समन्वित करता है।
  9. नेतृत्व में नेता और अनुयायियों के पारस्परिक सम्बन्ध एक-दूसरे के प्रति निष्क्रिय नहीं होते उनके पारस्परिक सम्बन्ध क्रियाशील होते हैं।
  10. नेतृत्व एक गतिशील प्रक्रिया है।

अच्छे नेतृत्व के लक्षण

एक अच्छे नेतृत्व के लक्षण निम्न होने चाहिए।

  1. शारीरिक शक्ति
  2. उद्देश्य व निर्देशन की भावना
  3. उत्साह
  4. मैत्रीभाव
  5. तकनीकी कुशलता
  6. बौद्धिक ज्ञान
  7. चारित्रिक बल
  8. शिक्षण चातुर्य
  9. निर्णायकता
  10. विश्वास

इसे अन्य प्रकार से भी वर्णित किया जा सकता है :

  1. अच्छे स्वास्थ्य का होना।
  2. स्फूर्ति और सहनशीलता होना।
  3. बेहतर निर्णय लेने की क्षमता।
  4. समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक विचारधारा।
  5. सहकारिता।
  6. चातुर्य।
  7. उच्च चरित्र आदि।

प्रो. हॉकिंग के अनुसार एक चरित्रवान व्यक्ति अपनी आँखों द्वारा अपनी वाणी द्वारा, अपने हाव-भाव द्वारा, अपने कथन के तत्व द्वारा अपने आदमियों में अपना मन डाल देता है।

नेतृत्व के सिद्धांत

नेतृत्व के सिद्धांत निम्न हैं-

  1. नेतृत्व का सिद्धान्त – इस सिद्धान्त अन्तर्गत यह स्पष्ट होता है कि जो अधिकारी अपने अधीनस्थों के वैयक्तिक हितों का जितना अधि ध्यान रखता है वह अधिकारी उतना ही अधिक प्रभावशाली नेता होता है।
  2. प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण का सिद्धान्त – इस सिद्धान्त द्वारा यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी नेता एवं कर्मचारियों के बीच जितना अधिक व्यक्तिगत व प्रत्यक्ष सम्पर्क होता है उतना ही अधिक प्रभावशाली नेतृत्व होता है।
  3. नियन्त्रण के विस्तार का सिद्धान्त – इस सिद्धान्त में नेतृत्व की प्रभावशीलता में नियन्त्रण का विस्तार सीमित होना चाहिए अथवा उसके अधीनस्थों की संख्या अधिक नहीं होनी चाहिए।
  4. नेतृत्व की तकनीकी का सिद्धान्त – इस सिद्धान्त के अन्तर्गत इस तथ्य की व्याख्या की जाती है कि नेतृत्व की तकनीक उचित परिस्थितियों के अनुरूप एवं आधुनिक है या नहीं, नेतृत्व की प्रभावशीलता के लिए यह जानना आवश्यक होता है।
  5. उद्देश्यों की सामंजस्यता का सिद्धान्त – इस सिद्धान्त के अध्ययन का सार यह है कि संस्था एवं कर्मचारियों के व्यक्तिगतउद्देश्यों में सामंजस्य प्रभावी नेतृत्व द्वारा स्थापित किया जा सकता है।
  6. निर्देशन एवं नेतृत्व का सिद्धान्त – इस सिद्धान्त के अन्तर्गत यह स्पष्ट किया जाता है कि जितना अधिक प्रभावशालीनिर्देशन एवं नेतृत्व होगा उतना ही अधिक कर्मचारियों का योगदान संस्था के लक्ष्यों को प्राप्त करने में होगा।
  7. आदेश की एकता का सिद्धान्त – इस सिद्धान्त के अनुसार एक नेता से कर्मचारियों को निर्देशन व आदेश प्राप्त होते हैं तथा उनम किसी प्रकार का भ्रम नहीं होता है जिससे वे एक साथ निश्चिन्त होकर अच्छा काम करते हैं।
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