नेतृत्व अर्थ प्रकार आवश्यकता

नेतृत्व शब्द अंग्रेजी के लीडरशिप का हिंदी रूपांतरण है जिसका अर्थ है आगे आगे चलना। इस प्रकार जो व्यक्ति कार्य को पूरा करने के लिए तथा दूसरों के मार्गदर्शन के लिए आगे चले वही नेता है। नेतृत्व से एक प्रकार की अनुकरणीयता का बोध होता है जितने अधिक अनुगामी होंगे उतना ही अधिक प्रभावशाली नेतृत्व माना जाएगा।

नेतृत्व

नेतृत्व वह व्यवहारागत गुण है जिससे वह अन्य व्यक्तियों या उनकी क्रियाओं को निर्देशित करता है।

नेतृत्व व्यक्ति के समूह को निश्चित दिशा में ले जाने का साधन है।

विभागीय संगठन का अध्यक्ष नेता नहीं होता बल्कि नेता वह है जो अपने समूह को शक्ति प्रदान कर सकता है जो जानता है कैसे प्रोत्साहित करें तथा कैसे सभी से जो दे सकते हैं को प्राप्त किया जाए।

दूरस्थ शिक्षा, नेतृत्व
नेतृत्व

नेतृत्व के प्रकार

फालेट महोदय ने नेतृत्व को तीन भागों में बांटा है-

  1. व्यक्ति जनित नेतृत्व
  2. पद जनित नेतृत्व
  3. कार्य जनित नेतृत्व

किंबल यंग ने नेतृत्व को 7 वर्गों में विभाजित किया है-

  1. राजनैतिक नेता
  2. प्रजातंत्रात्मक नेता
  3. नौकरशाही नेता
  4. कूटनीतिज्ञ नेता
  5. सुधारक नेता
  6. आंदोलन नेता
  7. सिद्धांतवादी नेता

इसी प्रकार बोगार्डस ने नेता को निम्नलिखित पांच वर्गों में विभक्त किया है-

  1. प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष नेता
  2. सपक्षीय एवं वैज्ञानिक नेता
  3. सामाजिक अधिशासी तथा मानसिक नेता
  4. पैगंबर संत विशेषज्ञ तथा मालिक नेता
  5. स्वेच्छाकारी, करिश्माई, पैत्रक तथा प्रजातांत्रिक नेता
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नेतृत्व

इन सभी प्रकारों से अच्छा मोटे तौर पर नेतृत्व को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है जो इस प्रकार है-

प्रजातांत्रिक नेतृत्व

प्रजातांत्रिक नेतृत्व होता है जिसमें नेता अपने निर्णय सभी या अधिकांश सदस्यों के परामर्श से लेता है। इस प्रकार के नेतृत्व में सभी सदस्यों की राय तथा सुझावों को वंचित महत्व दिया जाता है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार होता है। इस प्रकार के नेतृत्व में सत्ता का विकेंद्रीकरण होता है। इस प्रकार के नेतृत्व में नेता सभी सदस्यों के साथ समानता का व्यवहार करता है। इसके सभी सदस्य समान भागीदारी से कार्य करते हैं।

राजतांत्रिक नेतृत्व

प्रजातांत्रिक नेतृत्व के ठीक विपरीत निरंकुशवादी नेतृत्व होता है। इस प्रकार के नेतृत्व में संपूर्ण सत्ता एक ही व्यक्ति में निहित होती है। अन्य सदस्यों को राय यस सम्मति देने का अधिकार नहीं होता है। इसी प्रकार नेता सभी के साथ समानता का व्यवहार नहीं करता है। सत्ता का भी विकेंद्रीकरण ना हो कर सकता कुछ ही हाथों में सिमट कर रह जाती है।

नेतृत्व

नेतृत्व की आवश्यकता

नेतृत्व की आवश्यकता क्यों होती है? यह नेतृत्व के कार्यों पर निर्भर करता है और नेतृत्व के कार्य ही नेतृत्व के महत्व को स्पष्ट करते हैं। नेतृत्व के निम्न कार्य है-

  1. उद्देश्य निर्धारण – नेतृत्व का सबसे प्रथम कार्य है अपने समूह तथा समूह के कार्यों के उद्देश्यों का निर्धारण करना। उद्देश्य ही समूह के व्यवहार तथा कार्यों को दिशा प्रदान करते हैं। कक्षा में शिक्षक नेतृत्व करता है इसलिए कक्षा में वह कक्षा क्रियाओं के उद्देश्य निर्धारित करता है।
  2. संगठन करना – नेतृत्व का दूसरा कार्य समस्त कार्य प्रणाली का संगठन करना है। इसके लिए वह सभी प्रकार के संसाधनों की व्यवस्था भी करता है।
  3. नीति निर्धारण – नेतृत्व या नेता का एक कार्य नीतियों का निर्धारण करना भी है। नेता समूह के लिए आदर्श, कार्यप्रणाली, दायित्व तथा नीति का निर्धारण करता है। उसके अनुयाई इन्हीं आदर्शों तथा नीतियों का पालन करते हुए कार्य करते हैं।
  4. समन्वय करना – नेतृत्व का ही यह कर्तव्य है कि वह विभिन्न क्रियाओं, संगठनों, प्रणालियों तथा उद्देश्यों में परस्पर समन्वय स्थापित करे।
  5. नियंत्रण करना – नेता अपने समूह के सदस्यों के कार्यों तथा व्यवहारों पर नियंत्रण कर यह सुनिश्चित करता है कि समूह के कार्य तथा व्यवहार निर्धारित नीतियों एवं उद्देश्यों के अनुरूप हो। वह इस बात पर भी नियंत्रण करता है कि समूह के सदस्यों के अंतरिक्ष संबंध समूह के आदर्शों के अनुसार होता कि सदस्यों के पारस्परिक संबंधों का ताना-बाना टूटने न पाए।

प्रजातांत्रिक व निरंकुशवादी नेतृत्व में अंतर

प्रजातांत्रिक व निरंकुशवादी नेतृत्व में निम्न अंतर पाया जाता है-

क्रम संख्याप्रजातांत्रिक नेतृत्वनिरंकुशवादी नेतृत्व
1.सर्वोच्च सत्ता एक हाथ में ना होकर उसका विकेंद्रीकरण होता है।सर्वोच्च सत्ता एक ही हाथ में रहती है।
2.निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं।नेता अकेला ही स्वयं निर्णय लेता है।
3.नेता को शक्तियां स्वयं समूह के अंदर से प्राप्त होती हैं।नेता शक्तियां बाल शक्ति के आधार पर अर्जित करता है।
4.सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता है।यहां पक्षपातपूर्ण व्यवहार देखने को मिलते हैं।
5.यहां शोषण के अवसर नहीं होते तथा समूह किसी पर निर्भर ना हो पर स्वतंत्रता के साथ कार्य करता है।यहां शोषण की भावना होती है तथा नेता समूह को अपने ऊपर आश्रित कर लेता है।
6.अधिकतम सदस्यों की सहभागिता से काम होता है।नेता अपनी इच्छा से कार्य करता है।
7.लक्ष्य पूर्ति के लिए क्या विधियां अपनाई जाए यह सबकी सहमति से निश्चित होता है।लक्ष्य पूर्ति की नीतियां तथा विधियों का निर्धारण नेता करता है।
8.प्रशंसा व निंदा का कोई ठोस आधार होता है।प्रशंसा एवं निंदा का कोई ठोस आधार नहीं होता है।
9.असफलताओं के लिए सभी अपने को दोषी मानते हैं।असमानताओं के लिए नेता को या एक दूसरे को दोषी माना जाता है।
10.नेता पर इतनी अधिक निर्भरता नहीं होती है।नेता पर निर्भरता बहुत अधिक होती है।
11.व्यक्ति संगठन के लिए महत्वपूर्ण है।व्यक्ति का कोई महत्व नहीं, वह त्यागने लायक है।
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