निर्धनता का सामाजिक प्रभाव क्या है? निर्धनता अनेक सामाजिक बुराइयों को जन्म देती है। निर्धनता के समाज पर अनेक प्रभाव पड़ते हैं। जिन्हें निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है-

निर्धनता का सामाजिक प्रभाव
निर्धनता समाज को और अधिक निर्धन करती है। निर्धनता का सामाजिक प्रभाव निम्न है-
- अपराधों में वृद्धि
- भिक्षावृत्ति
- चरित्र का पतन
- शारीरिक प्रभाव
- मानसिक प्रभाव
- गरीबी, गरीबी को उत्पन्न करती है
1. अपराधों में वृद्धि
निर्धनता एक अभिशाप है जो कि अपराधों में वृद्धि करती है। सामान्यतया जब कोई व्यक्ति ईमानदारी से धन नहीं कमा पाता है, तो वह अपराध करने लगता है। क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने परिवार को कष्ट में नहीं रख सकता है। अतः इसका निवारण करने के लिए उसकी प्रवृत्ति अपराधिक हो जाती है। यह अपराध निम्न प्रकार के हो सकते हैं – चोरी, डकैती, राह जनि, सेंधमारी रिश्वत आदि।
2. भिक्षावृत्ति
निर्धनता भिक्षावृत्ति के लिए भी उत्तरदाई है। क्योंकि गरीब लोगों के पास पर्याप्त साधन नहीं होते हैं, व्यवसाय प्रशिक्षण और शिक्षा का अभाव होता है। शारीरिक शक्ति के अभाव में यह लोग कठिन परिश्रम नहीं कर पाते हैं। प्रकार के लोग अपना जीवन यापन भिक्षावृत्ति द्वारा ही करते हैं।
3. चरित्र का पतन
निर्धनता चरित्र का भी पतन करती है। निर्धनता के कारण जब परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती है तब घर की स्त्रियों को भी जीव का की कोर्ट में बाहर निकलना पड़ता है। बहुत से व्यक्ति उनकी मजबूरी का लाभ उठाकर उन्हीं कार्यों के लिए मजबूर कर देते हैं। इस प्रकार काफी स्त्रियां वेश्यावृत्ति में लिप्त हो जाती हैं। (निर्धनता का सामाजिक प्रभाव)

4. शारीरिक प्रभाव
निर्धनता का शारीरिक प्रभाव यह पड़ता है कि यह अनेक रोगों को जन्म देती है। क्षय रोग को निर्धनता की ही बीमारी माना गया है। निर्धनता में क्षय रोग की अधिकता के कारण निर्धनता व क्षय रोग का सहसंबंध बताया जाता है।
लम्बी गरीबी और कार्य न कर पाने की क्षमता लोगों को निर्धन बना देती हैं। होने के कारण लोग चिकित्सा की सुविधाएं नहीं जुटा पाते हैं। इस प्रकार उनका शरीर क्षीण होता चला जाता है। निर्धनता के कारण कुछ लोगों को तो पर्याप्त भोजन भी नहीं मिल पाता, जिसके कारण मृत्यु दर भी अधिक हो जाती है। इस प्रकार निर्धनता व्यक्ति के शरीर को प्रभावित करती है। (निर्धनता का सामाजिक प्रभाव)
5. मानसिक प्रभाव
जनता छूट और कुपोषण को जन्म देती है जो की मानसिक स्थिति को प्रभावित करती है, गरीबी कुपोषण के लिए और कुपोषण मानसिक कमियों के लिए उत्तरदाई है। राबर्ट्स ने अनेक गरीब बच्चों का परीक्षण किया है, तो उनका बौद्धिक स्तर निम्न पाया। इसका मुख्य कारण निर्धनता है।
इसके लिए कुपोषण तथा निम्न सामाजिक स्थिति उत्तरदाई है जो गरीबी की देन है। मस्तिष्क का सु जाक तथा छूत के रोगों के बीच घनिष्ठ संबंध है।
क्षमता कम करने निराशा उत्पन्न करने तथा असामंजस्य उत्पन्न करने के लिए उत्तरदाई है।
जे• वी• हरी•

6. गरीबी, गरीबी को उत्पन्न करती है
निर्धनता एक कुचक्र है लोग निर्धन इसलिए हैं क्योंकि वह बीमार हैं और लोग बीमार इसलिए रहते हैं क्योंकि वह निर्धन है। निर्धन व्यक्ति के पास धना भाव होने के कारण उसे पर्याप्त भोजन प्राप्त नहीं हो पाता है, जिसके कारण उसकी कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। परिणामस्वरूप वह निर्धन ही रहता है। इस संबंध में एक प्रमुख विद्वान का कहना है कि
कोई देश इसलिए निर्धन है कि वह निर्धन है।
7. निर्धनता और पारिवारिक विघटन
निर्धनता के कारण परिवार के सभी सदस्यों को काम करना पड़ता है, जिसके कारण माता-पिता का बच्चों पर पूर्ण नियंत्रण नहीं रह पाता है। पिता से मुक्ति पाने के लिए स्त्रियां कभी-कभी वेश्यावृत्ति तक में भी उतर आती हैं। निर्धनता के कारण परिवार के सदस्यों में आपस में तनाव रहता है जिसके कारण उसमें आपसी संघर्ष भी होते हैं। निर्धनता से परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा भी गिर जाती और सदस्यों में हीनता व निराशा की भावना उत्पन्न होने लगती है। (निर्धनता का सामाजिक प्रभाव)
इस प्रकार की स्थिति में परिवार को सुचारु रुप से चलाना संभव हो जाता है। उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि निर्धनता सभी सामाजिक बुराइयों की जड़ है।