निरीक्षण विधि का उपयोग छोटे बच्चों और शिशुओं की समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। बाल मनोविज्ञान के समस्याओं के अध्ययन में इस विधि का सर्वप्रथम उपयोग जर्मनी में हुआ। अमेरिका में वाटसन ने इस विधि का उपयोग बालकों के प्राथमिक संवेगो के अध्ययन में किया।

निरीक्षण नेत्रों द्वारा सावधानी से किए गए अध्ययन को सामूहिक व्यवहार जटिल सामाजिक संस्थाओं और किसी पूर्ण वस्तु को बनाने वाली प्रथम इकाइयों का निरीक्षण करने के लिए एक विधि के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

यंग के अनुसार

निरीक्षण को उचित रूप से वैज्ञानिक पूछताछ की श्रेष्ठ विधि कहा जा सकता है। ठोस अर्थ में निरीक्षण में कानून और वाणी की अपेक्षा नेत्रों का उपयोग होता है।

मौसर के अनुसार

गेसेल ने इस विधि में मूविंग पिक्चर कैमरा का उपयोग किया और व्यवहार चित्रों के विश्लेषण के बालकों के व्यवहार के संबंध में शुद्ध परिणाम प्राप्त किए। इस अध्ययन में उन्होंने एक तरफा दिखाई देने वाले पदों का उपयोग किया।

इनके द्वारा सिर्फ निरीक्षक बालक को देखते हैं बालक निरीक्षक को नहीं। निरीक्षण विधि में इस प्रकार एकतरफा दिखाई देने वाले कैमरे का उपयोग निरीक्षण कक्ष में किया जाता है।

निरीक्षण विधि
निरीक्षण विधि

निरीक्षण विधि के पद

निरीक्षण विधि के मुख्य पद निम्न है

  1. उपयुक्त योजना
  2. व्यवहार का निरीक्षण
  3. व्यवहार को नोट करना
  4. विश्लेषण
  5. व्याख्या और सामान्यीकरण

1. उपयुक्त योजना

निरीक्षण विधि द्वारा अध्ययन करने से पहले निरीक्षण करता को अध्ययन व्यवहार और समस्या के संबंध में उपयुक्त योजना बना लेनी चाहिए या निश्चय कर लेना चाहिए। कि किन लोगों का निरीक्षण करना है और किस प्रकार के व्यवहार का निरीक्षण करना है। निरीक्षण के लिए क्षेत्र समय उपकरण आदि के संबंध में पहले ही योजना बना लेनी चाहिए। पहले योजना बना लेने से यह सुनियोजित हो जाता है और इससे शुद्ध आंकड़े के संकलन में सहायता मिलती है।

2. व्यवहार का निरीक्षण

निरीक्षण करते समय निरीक्षण करता व्यवहार के उन बच्चों का निरीक्षण अधिक ध्यान से करता है। जो उसकी अध्ययन समस्या से संबंधित है एवं पूर्व योजना के अनुसार हैं। वह निरीक्षण के साथ-साथ विभिन्न उपकरणों की सहायता से व्यवहार को भी नोट करता है।

3. व्यवहार को नोट करना

निरीक्षण करता है व्यवहार को नोट करने के लिए भी उपकरणों का उपयोग करता है। जैसे मूवी कैमरे के उपयोग से किसी प्रकार के व्यवहार के निरीक्षण को सरलता से नोट किया जा सकता है। व्यवहार से संबंधित संवादों को टेप रिकॉर्डर की सहायता से नोट किया जा सकता है।

4. विश्लेषण

समस्या से संबंधित व्यवहारों के विश्लेषण को नोट करने के बाद अध्ययन करता प्राप्त निजी क्षणों को यदि संभव होता है तो अंकों में बदलता हैं। प्राप्त अंकों की सूची बनाने का कार्य करता है। फिर विभिन्न सांख्यिकी विधियों के आधार पर आंकड़ों का विश्लेषण भी करता है।

5. व्याख्या और सामान्यीकरण

निरीक्षण व्यवहार का विश्लेषण करने के पश्चात व्यवहार की व्याख्या की जाती है। यदि संभव होता है तो व्यवहार की व्याख्या विभिन्न सिद्धांतों के आधार पर की जाती है अथवा व्यवहार के कारणों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया जाता है। सामान्य रूप में देखा जाता है कि नमूना से प्राप्त परिणाम सामान्य जनसंख्या पर लागू होते हैं।

निरीक्षण विधि

निरीक्षण विधि के प्रकार

निरीक्षण विधि के मुख्य प्रकार निम्न है-

  1. सरल अथवा अनियंत्रित निरीक्षण विधि
  2. व्यवस्थित अथवा नियंत्रित निरीक्षण विधि
  3. सहभागी निरीक्षण विधि

निरीक्षण विधि का महत्व

निरीक्षण विधि का शिक्षण जगत में विशेष महत्व है

  1. निरीक्षण विधि का उपयोग उस समय अधिक होता है जब किसी अध्ययन करता को इस विधि के आधार पर परिकल्पनाए बनानी हो।
  2. इस विधि के सहायता से पारस्परिक संबंधों का अध्ययन करना सरल होता है।
  3. अन्य विधियों की अपेक्षा यहां एक सरल विधि है।
  4. इस विधि द्वारा प्राप्त परिणाम अधिक विश्वसनीय होते हैं।
  5. नियंत्रित और वैज्ञानिक निरीक्षकों द्वारा प्राप्त परिणाम वस्तुनिष्ठ होता है क्योंकि इस विधि का उपयोग जब वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है। तब व्यवहार संबंधी क्या, कैसे और क्यों इत्यादि प्रश्नों का निश्चित उत्तर प्राप्त होता है।
  6. इस विधि से समस्याओं का अध्ययन वैज्ञानिकों द्वारा किया जाता है। जिसके कारण प्राप्त परिणाम विश्वसनीयता और सार्वभौमिक होते हैं।
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