निगमनात्मक विधि भौतिक विज्ञान शिक्षण की मुख्य विधि है। इसका उपयोग भौतिक विज्ञान के शिक्षण में विशेष रूप से होता है क्योंकि इनमें विविध प्रकार के नियमों, सूत्रों एवं नियमों पर प्रयोग करके विषय का ज्ञान प्राप्त कराया जाता है। इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है
निगमनात्मक विधि
निगमनात्मक विधि शिक्षण अध्ययन व तर्क की विधि कहलाती है। जिसमें छात्र सामान्य सिद्धांत के विशिष्ट अनुप्रयोग की ओर अग्रसर होते हैं और निष्कर्षों के लिए वैधता प्रदर्शित होती है।
शिक्षा शब्दकोश के अनुसार
निगमनात्मक शिक्षण में सर्वप्रथम परिभाषा या नियम का सीखना सुनिश्चित किया जाता है फिर सावधानीपूर्वक उसका अर्थ स्पष्ट किया जाता है और तथ्यों के प्रभाव से उसे पूर्ण रूप से स्पष्ट किया जाता है।
निगमनात्मक विधि के गुण
निगमनात्मक विधि के गुण निम्न है-
- इस पद्धति द्वारा छात्रों में अमूर्त विचारों को समझने की क्षमता का विकास होता है।
- यह विधि भूगोल शिक्षण हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- यह विधि सामान्य नियम या सिद्धांत के सत्य की जांच करने हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- इस विधि में समय कम लगता है।
- निगमन विधि शिक्षक के कार्य को सरल बनाती है क्योंकि इसके शिक्षक को अपने कथन का प्रमाण प्रस्तुत नहीं करना पड़ता।



निगमनात्मक विधि के दोष
इस विधि के दोष निम्न है-
- इस विधि से छात्रों को अस्पष्ट एवं अपूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है।
- यह विधि का मनोवैज्ञानिक है क्योंकि इसमें सामान्य से विशिष्ट की ओर चलते हैं।
- इस विधि से छात्रों को रटने की आदत पड़ती है।
- इस विधि के द्वारा तर्क शक्ति एवं विचार शक्ति का विकास होता है।