धार्मिक असामंजस्यता – धर्म से समाज में नियंत्रण स्थापित होता है। धर्म से समाज में एकता संगठन व सामंजस्य की स्थापना होती है। एक से अधिक धर्म के अनुयाई साथ साथ रहने के कारण सांप्रदायिक विवाद उत्पन्न होते हैं। बहुधर्मी वाले समाज में धार्मिक असामंजस्यता उत्पन्न होता है तथा समाज की एकता भंग होती है।
हमारे देश में विभिन्न धर्मों के अनुयाई लोग होने के कारण सांप्रदायिक विवाद उत्पन्न होते रहते हैं। हमारे देश में धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक संघर्ष पैदा होते हैं।
धार्मिक असामंजस्यता की विशेषताएं
धार्मिक अ सामंजस्यता का वर्णन नीचे किया गया है-
- धार्मिक समूहों से संबंधित होना – धार्मिक अ सामंजस्यता धार्मिक समूह, संगठन या संप्रदाय से संबंधित होती है। प्रत्येक धर्म के मानने वाले स्वयं को अपने धर्म संगठन का सदस्य मानते हैं।
- श्रेष्ठता की भावना विद्यमान होना – प्रत्येक धर्म के लोग अपने धर्म को श्रेष्ठ मानते तथा दूसरे धर्म को नीचा मानते हैं जिससे उनके मन में दूसरे धर्म के प्रति नफरत का भाव बना रहता है।
- दूसरे धर्म की उपेक्षा करना – एक धर्म के मानने वाले दूसरे धर्म के संस्कार आदर्श देवी देवता व वेशभूषा की उपेक्षा करते हैंं। इस कारण से धार्मिक अ सामंजस्यता उत्पन्न होता है।
- नुकसान पहुंचाने का भय – एक धर्म के मानने वाले लोग दूसरे धर्म के मानने वाले लोगों से भयभीत रहते हैं कि कहीं दूसरे धर्म वाले उसके शरीर धन धार्मिक स्थान को नुकसान न पहुंचा दें।






धार्मिक असामंजस्यता के कारण
धार्मिक असामंजस्यता के कारण निम्न रूप में स्पष्ट किए गए हैं।
- ऐतिहासिक कारण – भारत का इतिहास गवाह है कि सख्त भूल कुषाण पठान मुसलमान आज के समय में भी संप्रदाय तनाव रहा है। ब्रिटिश शासकों ने फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई हिंदुस्तान तथा पाकिस्तान का विभाजन धार्मिक असामंजस्यता का ही परिणाम है।
- मनोवैज्ञानिक कारण – भारत में मुसलमान या सोचते हैं हिंदू उनका शोषण किया करते हैं वे हिंदुओं से डरते हैं जिससे धार्मिक असामंजस्यता उत्पन्न होती है।
- भौगोलिक कारण – धार्मिक भौगोलिक संकीर्ण विचारधारा के कारण धार्मिक असामंजस्यता क्षमता का विवाद उत्पन्न होता है।
- राजनीतिक स्वार्थ – हमारे देश में चुनाव में धार्मिक व जाति संबंधी भावनाओं को भड़का कर मत प्राप्त किए जाते हैं भारत में अनेक राजनीतिक दल सांप्रदायिकता के आधार पर ही बने हैं।



