दहेज उस धन या संपत्ति को कहते हैं जो विवाह के समय कन्या पक्ष द्वारा वर पक्ष को दिया जाता है। हिंदू विवाह से संबंधित विभिन्न समस्याओं में से दहेज समस्या एक भीषण समस्या है।
दहेज वह संपत्ति है जो विवाह के अवसर पर लड़की के माता-पिता या अन्य निकट संबंधियों द्वारा दी जाती है।
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दहेज प्रथा उत्पत्ति के कारण
दहेज प्रथा की उत्पत्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
- बाल विवाह – बाल विवाह अत्यंत बुरी प्रथा है जिसके कारण लड़के या लड़कियों को स्वयं अपने जीवनसाथी चुनने का अवसर नहीं मिलता और लड़के के माता-पिता दहेज लेकर उनकी शादी कर देते हैं।
- जीवनसाथी चुनने का सीमित क्षेत्र – जाति और उप जातियों में विवाह होने से उपयुक्त पर मिलना कठिन होता है, जिससे वर्गमूल या दहेज प्रथा का प्रादुर्भाव होता है।
- कुलीन विवाह – कुलीन विवाह होने के कारण उच्च कुल में लड़कों की काफी कमी होती है और लड़की वालों को ऊंचे कुल में बढ़-चढ़कर दहेज देने के लिए बाध्य होना पड़ता है।
- हिंदू लड़कियों में विवाह अनिवार्य है – हिंदुओं में लड़कियों का विवाह करना अनिवार्य होता है। जिसका लाभ लड़के वालों के पिता अधिक से अधिक उठाते हैं और अत्यधिक दहेज की मांग करते हैं।
दहेज प्रथा के लाभ
दहेज प्रथा के लाभ अथवा गुण निम्नलिखित हैं-
- दहेज के कारण अशिक्षित अयोग्य व कुरूप कन्याओं का विवाह भी बड़ी आसानी के साथ हो जाता है।
- दहेज प्रथा के कारण बाल विवाह प्रथा का अंत हो गया क्योंकि दहेज देने की असमर्थता के कारण कन्याओं की आयु काफी बढ़ जाती है।
- दहेज देने की असमर्थता के कारण कन्याओं की शादी काफी देर से हो पाती है। जिससे उन्हें पढ़ने का पूर्ण अवसर प्राप्त होता है, यही कारण है कि आज देश में शिक्षण नारियों का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है।
- कन्याओं को दहेज में इतना सामान व धन मिल जाता है कि यदि उन्हें परिवार से अलग भी कर दिया जाता है तो उन्हें अपनी गृहस्थी जमाने में कोई परेशानी नहीं होती।
- दहेज अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहित करता है, जिससे भावनात्मक एकता और राष्ट्रीय एकता को बल मिलता है।

दहेज की हानियां
दहेज प्रथा की अनेक हानियां है, जो निम्न है-
- दहेज के कारण स्त्रियों की सामाजिक स्थिति गिर जाती है, उसका जन्म अपशकुन माना जाता है।
- दहेज की अधिक मांग होने के कारण कई व्यक्ति कन्या को पैदा होते ही मार डालते हैं।
- दहेज एकत्र करने एवं योग्य वर की तलाश में माता-पिता चिंतित रहते हैं। माता पिता में विवाह एवं दहेज की चिंता के कारण कई बीमारियां पैदा हो जाती है।
- कम दहेज देने पर कन्या को ससुराल में अनेक प्रकार के कष्ट दिए जाते हैं। दोनों परिवारों में तनाव और संघर्ष पैदा होता है।
- दहेज जुटाने के लिए व्यक्ति कई अपराधों की ओर उन्मुख होता है रिश्वतखोरी, चोरी, गबन, आत्महत्या, भ्रष्टाचार आदि।
- दहेज देने के लिए कन्या के पिता को रकम उधार लेनी पड़ती है या अपनी जमीन, जेवरात, मकान आदि को गिरवी रखना पड़ता है।
- दहेज के अभाव में लड़कियों का देर तक विवाह ना होने पर कुछ लड़कियां अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति अनैतिक तरीकों से करती हैं, इससे भ्रष्टाचार बढ़ता है।
- कन्या के लिए दहेज जुटाने के लिए परिवार को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में कटौती करनी पड़ती है, फल स्वरुप जीवन-स्तर गिर जाता है।
- दहेज प्राप्त करने के लिए एक व्यक्ति कई विवाह करता है, इससे बहू पत्नीत्व का प्रचलन बढ़ता है।
- दहेज के अभाव में कई लोग अपने वैवाहिक संबंध कन्या पक्ष से समाप्त कर लेते हैं।
दहेज प्रथा के निवारण के उपाय
दहेज प्रथा के निवारण के उपाय निम्नलिखित हैं-
- समाज से अंतरजातीय विवाहों का प्रतिबंध हटा कर इनकी छूट दे देनी चाहिए। जिससे कोई भी लड़की किसी भी जाति में विवाह कर सकती है। इस प्रकार योग्य लड़कों का अभाव कम हो जाएगा और दहेज प्रथा का अंत होगा।
- दहेज प्रथा को रोकने का प्रचार पत्र-पत्रिकाओं में फिल्मों द्वारा किया जाना चाहिए क्योंकि आज के युग में फिल्मों का काफी अधिक महत्व है और यह व्यक्ति को अत्यधिक प्रभावित करते हैं। इसके साथ ही साथ पत्र-पत्रिकाओं द्वारा भी दहेज प्रथा को रोकने का प्रचार किया जाना चाहिए।
- लड़कों एवं लड़कियों को पूर्ण रूप से शिक्षित किया जाना चाहिए क्योंकि कुछ लोग शिक्षा एवं ज्ञान के अभाव में दहेज मांगते हैं। यदि वे शिक्षित होंगे तो उनमें बुद्धि का विकास होगा और दहेज की बुराई को समझ सकेंगे।
- कुछ जातीय संगठनों ने दहेज प्रथा पर रोक लगाई है, उन्होंने विवाह के व्यय को सीमित किया है। इससे भी दहेज प्रथा के प्रचलन को रोकने में सहायता मिली है।
- विवाह के संबंध में माता-पिता की समितियों का तो युवक तथा युवतियां स्वागत करें किंतु दहेज संबंधी विचारों का खुलकर विरोध करें। यदि इस पर भी माता-पिता ना सुने तो बिना दहेज के विवाह की घोषणा करें।


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