डायट के माध्यम से प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों, औपचारिकेत्तर तथा प्रौढ़ शिक्षा के कार्यकर्ताओं को उनके शैक्षिक उत्तरदायित्व के प्रति जागरूक किया जाता है। नई शिक्षा नीति 1986 में प्राथमिक स्तर की शिक्षा के विकास तथा अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के क्रियान्वयन हेतु सन 1988 में जिला स्तरीय या मंडलीय शिक्षा तथा प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई।
डायट
डायट के माध्यम से प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों, औपचारिकेत्तर तथा प्रौढ़ शिक्षा के कार्यकर्ताओं को उनके शैक्षिक उत्तरदायित्व के प्रति जागरूक किया जाता है। ग्राम तथा नगर में शिक्षा से संबंधित व्यक्तियों को शैक्षिक पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रही प्रगति से परिचित कराना है। प्राथमिक शिक्षा को सार्वजनिक बनाने तथा शिक्षकों में आत्मविश्वास स्वाभिमान एवं व्यवसाय के प्रति निष्ठा का भाव उत्पन्न करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।






डायट का संबंध
डायट का संबंध राज्य स्तर पर एससीईआरटी तथा प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय से है। राष्ट्रीय स्तर पर एनसीईआरटी तथा नीपा जैसे संस्थान अपने शैक्षणिक अनुसंधान तथा विचारों से इसे लाभान्वित करेंगे।
पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक सेवा पूर्व तथा सेवारत अध्यापकों के प्रशिक्षण तथा शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों से परिचित कराने का कार्य डायट की जिम्मेदारी होगी। यह आवासीय संस्था होगी जहां रहकर अध्यापक गण साहित्य तथा अन्य क्षेत्रों में भाग लेकर सामूहिक सहयोग तथा मंडलीय शिक्षा तथा प्रशिक्षण संस्थान में अध्यापक शिक्षा तथा प्रशिक्षण कार्य के सामूहिक सहयोग तथा मंडली शिक्षा तथा अनुसंधान का कार्य भी होगा।
इससे संस्थान द्वारा विभिन्न विषयों के लिए पाठ्यक्रम की रचना तथा मूल्यांकन की पद्धतियां का निर्धारण करने में भी अध्यापक की सहायता की जाएगी। औपचारिकेत्तर तथा प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे व्यापक ओं की आवश्यकता के अनुरूप कार्यक्रम पाठ्यचर्या तथा शिक्षण सामग्री के प्रयोग आदि के प्रशिक्षण हेतु कार्य गोष्ठियों का संचालन विधायक के विशेषज्ञ करेंगे।