डाटाबेस आवश्यक डाटा का संकलन होता है जिसे विभिन्न एप्लीकेशन सिस्टमों द्वारा बाँटा जा सकता है-
- यह बहुसंख्यक अनुप्रयोगों के महत्व पर जोर देता है।
- स्थानिक डाटाबेस एक एजेन्सी के लिए सामान्य संसाधन बन जाता है।
डाटाबेस का उपयोग किसी प्रोग्राम से डाटा के भौतिक स्टोरेज से पृथक्करण के लिए किया जाता है। अर्थात् प्रोग्राम / स्वतन्त्र डाटा।
- यूजर अथवा प्रोग्रामर अथवा अनुप्रयोग विशेषज्ञ को यह जानने की आवश्यकता नहीं होती कि डाटा को किस प्रकार स्टोर किया गया है।
- ऐसे विवरण उपयोगकर्ता के लिए पारदर्शी होते हैं।
डाटा बेस में सिस्टम के अन्य संघटकों की प्रभावित किए बिना डाटा को बदला जा सकता है। उदाहरण के लिए
- डाटा आइटम के फार्मेट को बदलना (समाकल से वास्तविक, गणितीय प्रचालन)।
- फाइल संरचना को बदलना (डाटा की आन्तरिक रूप से पुनर्गणित करना) ।
- एक डिवाइस से अन्य को पुनःस्थापित करना उदाहरण के लिए आप्टिकल से मेग्नेटिक स्टोरेज, टेप से डिस्क में।

डेटाबेस का चित्रण
- डाटाबेस यूजर एवं प्रोग्रामर के लिए स्वतः ही अलग अलग चित्रण (view) प्रस्तुत कर सकता है। ये डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर (DBA) द्वारा बनाए एवं व्यवस्थित किए जाते हैं।
- आन्तरिक डाटा प्रतिनिधित्व (आन्तरिक चित्रण) को समान्यतया यूजर अथवा एप्लीकेशन प्रोग्रामर द्वारा नहीं देखा जाता है।
- अवधारणात्मक चित्रण अथवा अवधारणात्मक अन्वति या वर्गीकरण (Schema) वह प्राथमिक साधन है जिसके द्वारा DBA डाटाबेस का निर्माण व प्रबन्ध करता है।
- DBMS अनुप्रयोग पर निर्भर रहते हुए प्रोग्रामर एवं यूजर के लिए अवधारणात्मक अन्वति या वर्गीकरण का बहुसंख्यक चित्रण प्रस्तुत कर सकता है। इन्हें वाध्य चित्रण अथवा अन्वति (external view or schema) कहते हैं।
डाटावेस मेनेजमेन्ट सिस्टम
डाटाबेस मेनेजमेन्ट सिस्टम एक सॉफ्टवेयर पैकेज होता है जो डाटावेस में डाटा का निर्धारण परिवर्तन, पुनःप्राप्ति एवं प्रबन्ध करता है। सामान्यता यह डाटा का स्वयं परिवर्तन करता है तथा डाटा फार्मेट, फील्ड नाम, रिकार्ड संरचना एवं फाइल संरचना करता है। यह डाटा को मान्य करने एवं बदलने के लिए नियमों को परिभाषित करता है। डी बी एम एस द्वारा यूजर को डाटा रखरखाव के लिए प्रोग्राम करता है। डाटाबेस के साथ अन्तर्क्रिया करने के लिए डी बी एम एस पैकेज में चतुर्थ पीढ़ी क्वेरी भाषाएँ उपयोग की जाती हैं।
डाटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम की टेक्नोपेडिया वर्णित करता है। डाटाबेस एक अनुप्रयोग का पिछला छोर होता है। डी बी एम एस द्वारा डी बी ए से निर्देश प्राप्तकिए जाते है तथा आवश्यक परिवर्तन करने के लिए सिस्टम को तद्नुसार निर्देश देता है। ये कमाण्ड सिस्टम में विद्यमान डाटा को लोड पुनः प्राप्त या संशोधित कर सकते हैं। डी बी एम एस सदैव डाटा स्वतन्त्रता प्रदान करता है। भण्डारण तन्त्र एवं फॉर्मेट में होने वाला कोई परिवर्तन सम्पूर्ण अनुप्रयोग को सुधारे बिना किया जाता है।

डाटाबेस संगठन के प्रकार
डाटाबेस संगठन मुख्य रूप से निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं।
1. सम्बन्धात्मक डाटाबेस
इसमें डाटा को तार्किक रूप से स्वतन्त्र तालिकाओं में संगठित किया जाता है। तालिकाओं के बीच सम्बन्ध को विभाजित डाटा के माध्यम से दिखाया जाता है। एक तालिका का डाटा अन्य ऐसी तालिकाओं का संदर्भ कर सकता है जो उनके मध्य लिंक के युग्मन का रखरखाव करता है। यह लक्षण संदर्भ सम्बन्धी समाकलन (सम्बन्धात्मक डाटाबेस सिस्टम में एक महत्वपूर्ण अवधारणा) के रूप में संदर्भित किया जाता है। विभिन्न क्रियाओं जैसे सिलेक्ट एवं ज्वाइन को इन तालिकाओं में किया जा सकता है। डाटाबेस संगठन का यह सर्वाधिक व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाला सिस्टम है।
2. समतल डाटाबेस
इसमें डाटा को स्थिर संख्या वाले फील्ड के साथ एकल प्रकार के रिकॉर्ड में संगठित किया जाता है। डाटा के पुनरावर्तक स्वभाव के कारण यह डाटावेस अधिक गलतियों को समाप्त कर देता है।
3. ऑब्जेक्ट ओरिएन्टेड डाटाबेस
ऑब्जेक्ट ओरिएन्टेड प्रोगामिंग अवधारणाओं की समतुल्यता के अनुसार संगठित किया जाता है। आब्जेक्ट . डाटा की में डाटा एवं विधियाँ सम्मिलित होती है जबकि क्लासेस ग्रुप आब्जेक्ट में इसी प्रकार की डाटा एवं विधियाँ होती हैं।
4. सोपानिक डाटाबेस
इसमें डाटा को सोपानिक सम्बन्धी के साथ संगठित किया जाता है। यदि एक से अधिक सम्बन्ध का उल्लंघन किया है तो यह जटिल हो जाता है।

डेटाबेस उपागम के लाभ
डाटाबेस उपागम के निम्नलिखित लाभ है-
- डाटा की निरर्थकता को कम करना।
- भण्डारित सूचनाओं जैसे एक ही ग्राहक हेतु विभिन्न विभागों में अलग अलग पते के सम्बन्ध में असंगतता की समस्या को कम करना ।
- डाटा की एकता एवं गुणवत्ता का रखरखाव व करना।
- डाटा का स्वयं प्रपत्रीकरण अथवा विवरण देने वाला बनना। 15. असंगतताओं से बचना ।
- सॉफ्टवेयर विकास की लागत घटाना ।
- सुरक्षा टूल को सम्मिलित करना।