टोली शिक्षण – भारतीय परंपरागत शिक्षा प्रणाली की तुलना में यह एक नया प्रत्यय है। ऐसे प्रविधि में दो या दो से अधिक शिक्षक मिलकर समूह में पाठ योजना तथा शिक्षण उद्देश्यों को तय करते हैं। सामूहिक रूप से ही विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान की जाती है। सभी शिक्षक सामूहिक रूप से मिलकर किसी विशिष्ट प्रकरण की जिम्मेदारी लेते हैं।
ऐसे में शिक्षण विधियों की योजना तथा उनके क्रियान्वयन की प्रक्रिया लचीली रखी जाती है ताकि छात्रों की योग्यता एवं रूचि के अनुसार योजना में परिवर्तन किया जा सके। ऐसे में सभी प्रकार के शिक्षक मिलकर कार्य करते हैं इसीलिए सभी शिक्षकों की अपनी-अपनी प्रमुख विशेषताओं का छात्रों को इकट्ठा लाभ प्राप्त होता है। इसके द्वारा शिक्षण कार्य को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
टोली शिक्षण
टोली शिक्षण संगठन का एक रूप है जिनमें कई शिक्षक अपने साधनों सूचियों और दक्षता ओं को इकट्ठा करके विद्यार्थियों की आवश्यकताओं तथा स्कूल की सुविधाओं के अनुसार उन्हें प्रस्तुत करते हैं और उपयोग में लाते हैं।
डेविड वारविक के अनुसार
टोली शिक्षण वह व्यवस्था है जिसमें दो या दो से अधिक शिक्षक अपने सहयोगियों के साथ शिक्षक नियोजन करते हैं, मूल्यांकन करते हैं तथा अनुदेशन करते हैं और शिक्षकों की विशेष दक्षताओं का लाभ उठाते हुए 2 कक्षाओं से अधिक छात्रों का शिक्षण करते हैं।
जे लायड ट्रंप के अनुसार
टोली या दल शिक्षण एक अनुदेशनात्मक व्यवस्था है, जिसमें शिक्षण दल तथा विद्यार्थी एक साथ कार्य करते हैं। इसमें दो या दो से अधिक शिक्षक उत्तरदायित्व के साथ अनुदेशन करते हैं।
शेपलिन के अनुसार



टोली शिक्षण की विशेषताएं
टोली शिक्षण की विशेषताएं निम्नलिखित हैं
- यह एक शिक्षण विधि है।
- टोली शिक्षण में दो या दो से अधिक शिक्षक मिलकर पढ़ाते हैं।
- यह सहयोग की भावना पर निर्भर करता है।
- इसमें शिक्षण उद्देश्य की प्राप्ति का उत्तरदायित्व एक शिक्षक पर ना होकर सामूहिक होता है।
- टोली शिक्षण में पाठ योजना व्यवस्था व मूल्यांकन आज कार्य सामूहिक रूप से किए जाते हैं।
- इस विधि में शिक्षक अपने कार्यों का स्वयं निर्धारण करते हैं।
- यह एक लचीली विधि है।
- इसमें छात्रों की रुचि व क्षमताओं के अनुसार योजना बनाई जाती है।
- इसका उद्देश्य अनुदेशन की गुणवत्ता में वृद्धि करना है।
- छात्रों एवं शिक्षकों में परस्पर सहयोग की भावना जागृत होती है।


टोली शिक्षण के उद्देश्य
टोली शिक्षण प्रायः निम्न उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया जाता है-
- उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करते हुए भौतिक विज्ञान शिक्षण स्तर में सुधार लाना
- शिक्षक वर्ग में सहयोग एवं सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना
- भौतिक विज्ञान की शिक्षकों की सूचियों योग्यताओं एवं क्षमताओं का अधिक से अधिक लाभ उठाना
- भौतिक विज्ञान की शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के आयोजन में समय और विद्यार्थियों की संख्या में पर्याप्त लचीलापन लाकर उसे अधिक प्रभावशाली बनाना
- विशेष रूप से योग्य अनुभवी तथा भौतिक विज्ञान विषय में पंडित कहे जाने वाले शिक्षकों की सेवाओं से अधिक विद्यार्थियों को लाभान्वित करना।
- विद्यार्थियों और विद्यालय की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षण की व्यवस्था करना और भौतिक विज्ञान ओके किन्हीं विशेष या प्रकरणों की शिक्षण संबंधी उनकी कठिनाइयों को दूर करना।
- भौतिक विज्ञान शिक्षण प्रक्रिया में होने वाली गलतियों पाई जाने वाली कठिनाइयों तथा अपव्यय पर रोक लगाना।
- टोली शिक्षण का उद्देश्य शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाना होता है।
- टोली शिक्षण में शिक्षकों की आपसी दूरी समाप्त हो जाती है।
- टोली शिक्षण में शिक्षक अपनी क्रियाओं को स्वयं निर्धारित करते हैं।