जापान भूपृष्ठीय रचना – जापान को प्राकृतिक प्रदेशों के निर्धारण में उच्चावच संरचना अपवाह के सम्मिलित भौतिक तत्वों के साथ ही जलवायु और जैविक तत्वों जैसे प्राकृतिक वनस्पति तथा जंतुओं को भी सम्मिलित किया जाता है। प्राकृतिक प्रदेशों की संकल्पना प्राकृतिक तत्वों की समरूपता पर आधारित होती है। एक प्राकृतिक प्रदेश के भीतर उच्चावच, जलवायु, मिट्टी, प्राकृतिक वनस्पति आज प्राकृतिक तत्वों की समरूपता या एकरूपता पाई जाती है। इसी प्राकृतिक समरूपता का प्रभाव मानव जीवन तथा मानवीय क्रियाओं में भी देखने को मिलता है।
जापान भूपृष्ठीय रचना
जापान भूपृष्ठीय रचना लगभग सभी जगह समान रूप से पाए जाते हैं। इनमें मुख्य स्थल रूप निम्न हैं-
- जापान पहाड़िया एवं पर्वत
- जापान के मैदान
- जापान के तटीय प्रदेश
- जापान के ज्वालामुखी

1. जापान पहाड़िया एवं पर्वत
जापान मुख्य रूप से एक पर्वतीय प्रदेश है। इस देश के लगभग 85% भाग पर पर्वत श्रेणियां फैली हुई है। यहां के पर्वतों में फोसा-मैग्ना मुख्य पर्वत है। यह जापान के मध्यवर्ती घाटी में स्थित है। यहां के अधिकांश पर्वतों में चोटियों का अभाव है। आप जापान भूपृष्ठीय रचना Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
जापान में पहाड़ियों और पर्वत के अंतर्गत वह भाग आता है जिसका ढाल 15° से अधिक है। इसी के परिणामस्वरूप जापान में लगभग 85% क्षेत्र पर पहाड़िया और पर्वत फैले हुए हैं। जापान का सर्वोच्च ऊंचाई वाला भाग मुख्य रूप से हशू द्वीप के मध्यवर्ती प्रदेश में पूरब से पश्चिम की ओर फैला हुआ है। यहां एक दर्जन शिखर 3000 मीटर से अधिक ऊंचे हैं। यहां ऐसा कहा जाता है कि जापान के पर्वतीय क्षेत्रों को जल में छाया रूप में देखा जा सकता है। यहां स्पष्ट रूप से दो पर्वत श्रंखला में समानांतर रूप से फैली हुई हैं-
- पश्चिमी तट के पास
- पूर्वी तट के पास
दक्षिणी जापान के पर्वतों में फ्यूजीयामा प्रसिद्ध पर्वत है। जिसकी ऊंचाई 3776 मीटर है।

2. जापान के मैदान
जापान में कई समतल ढाल वाले मैदान हैं। यह मैदान जापान के 15% भाग को घेरे हुए हैं। यहां के तीन मैदान कान्टो, किनकी व नोबी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ये मैदान निवास व कृषि के लिए उपयोगी हैं। उपर्युक्त तीनों मैदानों में कान्टो सबसे बड़ा मैदान है। इसका क्षेत्रफल 14,750 वर्ग किमी है। इस मैदान में दो करोड़ से ज्यादा जनसंख्या निवास करती है। आप जापान भूपृष्ठीय रचनाअ Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
क्रम संख्या | मैदान | द्वीप | क्षेत्रफल (लाख हेक्टेयर) |
---|---|---|---|
1. | काण्टो | हान्शू | 13.0 |
2. | नोबी | हान्शू | 1.90 |
3. | किनकी | हान्शू | 1.25 |
काण्टो मैदान
यह मैदान जापान का सबसे महत्वपूर्ण मैदान है जो हान्शू द्वीप के पूर्वी तट पर स्थित है। इस मैदान में जापान के टोकियो तथा याकोहामा दो प्रसिद्ध नगर एवं औद्योगिक केंद्र स्थित है। टोकियो संसार का दूसरा बड़ा महासागर है जिसकी आबादी 1 करोड़ से अधिक है। इस मैदान में 40 से अधिक ऐसे नगर हैं जिनकी आबादी 8000 से अधिक है।

नोबी मैदान
नोबी मैदान बीवा झील तथा आइस खाड़ी के पूर्व में स्थित है। किसो नदी इस मैदान का निर्माण करती हुई प्रशांत महासागर में मिल जाती है। काण्टो और किनकी प्रदेशों के मध्य में स्थित नोबी मैदान में जापान की अधिक जनसंख्या निवास करती है। इस मैदान का क्षेत्रफल 1.9 अरब हेक्टेयर है। यहां की आबादी 50,00,000 से अधिक है। इस मैदान में सबसे बड़ा नगर नगोया स्थित है। जिसकी जनसंख्या 20,00,000 से अधिक है।
किनकी मैदान
जापान का ओसाका नगर इस मैदान में स्थित है। यहां मैदान वकासा खाड़ी तथा बीवा झील के दक्षिण में स्थित है। इसका निर्माण टोरो नदी द्वारा हुआ है। इस मैदान में जापान का प्रमुख औद्योगिक प्रदेश ओसाका-कोबे-क्योटा स्थित है। जिसे हानशिन औद्योगिक प्रदेश कहते हैं। इस मैदान की आबादी एक करोड़ से भी अधिक है।
इन मैदानों पर जापान की 80% जनसंख्या निवास करती है। जापान के सभी उद्योग धंधों का विकास इन्हीं मैदानों में हुआ है।
3. जापान के तटीय प्रदेश
यहां के क्षेत्रफल के अनुपात में जापान का तट काफी लंबा है। यहां 14 वर्ग मील क्षेत्र पर 1 मील लंबा तट है। यहां की अधिकांश जनसंख्या मछुआरे के रूप में समुद्र तट पर ही अपना जीवन यापन करती है। तटरेखा की कुल लंबाई 27,200 किमी• है। यहां की तटरेखा मोडदार पर्वतों के अक्ष के सहारे फैली है। यहां का प्रशांत तट काफी कटा-फटा तट है जबकि अटलांटिक तट सीधा है।

4. जापान के ज्वालामुखी
जापान में सबसे अधिक ज्वालामुखी हान्सू दीप में है।इस देश का एक चौथाई क्षेत्र ज्वालामुखी निक्षेप से बना है। यहां के अधिकांश सक्रिय ज्वालामुखी 4 पेटी में मिलते हैं-
- पूर्वी होकैडो पेटी
- पश्चिमी होकैडो पेटी
- फोसा-मैग्ना पेटी
- क्यूसू-ट्यूक पेटी
जापान के मध्यवर्ती घाटी क्षेत्र में उत्तर से दक्षिण तक लगभग 500 ज्वालामुखी पर्वत हैं। जिनमें 60 जागृत ज्वालामुखी हैं।
ट्रिवार्था के अनुसार
यहां के अधिकांश मिश्रित ज्वालामुखी जो लावा तथा राख से बने हैं। फ्यूजीयामा यहां का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी पर्वत है। जो समुद्र तट से 3,778 मीटर ऊंचा है। यहां के निवासी इसे पवित्र पर्वत के रूप में मानते हैं। यह यहां का सबसे ऊंचा बिंदु है। होकैडो दीप के मध्य में भी ज्वालामुखी पर्वतों की एक गांठ पाई जाती है, यहां के लगभग 27%भाग पर ज्वालामुखी चट्टानें फैली हुई हैं।
यहां कुछ ज्वालामुखी परिपोषित शंकु वाले भी हैं। जिसमें माउंट आसो, माउंट आकान, टोया, माउंट उजू मुख्य है। आप जापान भूपृष्ठीय रचना Hindibag पर पढ़ रहे हैं।

यहां परजीवी शंकु के रूप में माउंट सोर्सिंगजान ज्वालामुखी है। इससे आज भी वाष्प, सल्फर तथा कार्बन कैसे निकलते हैं। माउंट असामा एक सक्रिय ज्वालामुखी है। 1912 में इसमें तेजी से विस्फोट हुआ था। 1783 के विस्फोट के समय 12,000 लोग मारे गए थे। जापानी लोगों ने गर्म स्रोतों वाले ज्वालामुखी पेटियों के सहारे नगरों का विकास किया है। यहां माउंट आसो एक ऐसा कालडेरा है यहां 40,000 व्यक्ति रहते हैं। क्यूसू में कई सल्फर के स्रोत हैं। इन स्रोतों से निकलने वाले जल तथा उष्मा का प्रयोग वाणिज्यक रूप से किया जाता है।
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