जापान की जलवायु – महाद्वीप एवं समुद्री वायु राशियां, चक्रवात, हरीकेन तथा मानसून हवाएं जापान की जलवायु को प्रभावित करती हैं। यहां की जलवायु शीतोष्ण मानसूनी है। शीतोष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में स्थित होने के कारण यहां की जलवायु पर धरातल की अपेक्षा सामुद्रिक दशाओं का प्रभाव अधिक पड़ता है। इसी कारण शीत ऋतु में तापमान अधिकतम नहीं हो पाता है। सामान्य रूप से यहां की जलवायु पर ग्रीष्मकालीन तथा शरदकालीन मानसून का प्रभाव अधिक रहता है।

जापान की जलवायु
जापान की जलवायु को विभिन्नताओं के आधार पर अनेक जलवायु प्रदेशों में बांट सकते हैं। डडले स्टाम्प ने जलवायु के आधार पर यहां के क्षेत्रों को चार भागों में बांटा है-
- उत्तरी जापान तथा होकैडो जलवायु प्रदेश
- पूर्वी जापान जलवायु प्रदेश
- पश्चिमी जापान या आंतरिक जलवायु प्रदेश
- दक्षिणी जापान या बाह्य जलवायु प्रदेश
उत्तरी जापान तथा होकैडो जलवायु प्रदेश
उत्तरी जापान में उच्च अक्षांशों का प्रभाव स्थाई रूप से मिलता है। यह जापान का सबसे ठंडा भाग है। यहां 130 दिन भुरभुरी बर्फ पड़ती है। यहां लंबी शीत ऋतु होती है। सभी जगह बर्फ जम जाती है और तापमान 9°C तक पहुंच जाता है। ग्रीष्म ऋतु का औसत तापमान 18°C रहता है। यहां साधारण वर्षा होती है, वर्षा का वार्षिक औसत 75 सेमी है। वर्षा सर्दियों में अधिक होती है।
पूर्वी जापान जलवायु प्रदेश
यह जलवायु प्रदेश हान्शू द्वीप के उत्तरी भाग में पाया जाता है यह निम्न अक्षांश पर स्थित होने के कारण यहां की जलवायु होकैडो की अपेक्षा गर्म है। यहां का औसत तापमान 25°C से अधिक रहता है। अधिक ऊंचाई के कारण इस प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी भागों के ताप में काफी अंतर रहता है। पश्चिमी भाग में शीतकाल में वर्षा होती है जबकि पूर्वी तट पर ग्रीष्म काल में अधिक वर्षा होती है।

पश्चिमी जापान या आंतरिक जलवायु प्रदेश
यह जलवायु प्रदेश हान्शू द्वीप के उत्तरी पश्चिमी भाग पर स्थित है। त्यूसेसीवो धारा यहां के तापमान को कम नहीं होने देती है। इस जलवायु की मुख्य विशेषताएं यह है कि यहां शीतकाल से अधिक वर्षा होती है। ग्रीष्म काल में मध्यम गर्मी पड़ती है तथा ग्रीष्म काल में सामान्य वर्षा होती है। यहां सर्दी का औसत तापमान 3°C रहता है और ग्रीष्म ऋतु का औसत तापमान 22°C रहता है। वर्षा का वार्षिक औसत 100 सेमी है।
दक्षिणी जापान या बाह्य जलवायु प्रदेश
इस जलवायु प्रदेश के अंतर्गत क्यूशू, शिकोकू तथा हान्शू का दक्षिणी भाग आता है। यहां साधारण सर्दी, तेज गर्मी तथा अत्यधिक वर्षा होती है। यहां शीत ऋतु का औसत तापमान 7°C रहता है। ग्रीष्म ऋतु का औसत तापमान 27°C रहता है। वर्षा अधिकतर दक्षिणी पूर्वी मानसूनों द्वारा होती है। वर्षा का वार्षिक औसत 200 सेमी है।
जापान के जलवायु विभाग
जापान के विभिन्न भागों में जलवायु संबंधी अंतर अधिक देखने को मिलता है, इसी अंतर के कारण जापान की जलवायु को 10 विस्तृत जलवायु विभागों में विभक्त किया जा सकता है जो इस प्रकार हैं-
- उत्तरी होकैडो
- दक्षिणी होकैडो तथा उत्तरी हान्शू का प्रशांत तटीय भाग
- दक्षिणी होकैडो तथा उत्तरी हान्शू का जापान सागरीय तट
- मध्य हान्शू का जापान सागरीय तट
- मध्य हान्शू का प्रशांत तटीय भाग
- मध्य हान्शू का आंतरिक भाग
- दक्षिण हान्शू का जापान सागरीय तट
- आंतरिक सागर तटीय भाग
- पश्चिमी क्यूशू
- दक्षिणी क्यूशू तथा दक्षिणी शिकोकू

जापान की जलवायु की क्षेत्रीय विविधता के कारण
- जापान शीतोष्ण एवं शीत दोनों वायु समूहों के संपर्क में रहता है।
- जापान के एक तरफ एशिया महाद्वीप और दूसरी तरफ प्रशांत महासागर है जिसके कारण यहां की जलवायु मानसून और टाइफून दोनों से प्रभावित रहती है।
- जापान द्वीपीय स्थिति में होने के कारण यहां के दीपों की जलवायु पर सागर समकारी प्रभाव डालते हैं। अतः यहां की जलवायु पर सागरीय प्रभाव पड़ता है।
- यहां पर गर्म क्यूरोशिवो की धारा दक्षिणी क्यूरोशिल तथा हान्शू के तटों से प्रभावित होता है। दूसरी तरफ ठंडी, ओखोटस्क धारा पूर्वी होकैड़ो तथा उत्तरी पूर्वी हान्शू के तटों की जलवायु को प्रभावित करती है।
- जापान का धरातल यहां की प्रादेशिक जलवायु भिन्नता को प्रभावित करता है।
जापान की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक
जापान की जलवायु को प्रभावित करने वाले निम्न कारक है-
- स्थिति – जापान की स्थिति महासागरीय तथा महाद्वीपीय वायुराशियों के बीच है। इन वायु राशि के प्रभाव से जापान में ग्रीष्म काल में टोक्यो का अधिकतम दैनिक तापमान 40° सेंटीग्रेड तथा होकैडो में असाहीगावा का तापमान शीतकाल में -41° सेंटीग्रेड हो जाता है। यहां की जलवायु पर चार राशियों का प्रभाव पड़ता है।
- ध्रुवीय महाद्वीपीय वायुराशि
- ध्रुवीय समुद्री वायुराशि
- उष्ण कटिबंधीय समुद्री वायुराशि
- उष्ण कटिबंधीय महाद्विपीय वायुराशि
- अक्षांशीय विस्तार – यह 31° से 45° उत्तरी अक्षांशों के मध्य स्थित है। यहां देशान्तरीय विस्तार कम और अक्षांशीय विस्तार अधिक है।
- जापान की द्वीप प्रकृति – जापान की जलवायु महासागरीय प्रकार की है क्योंकि यह चारों ओर से समुद्र से घिरा है। समुद्र का जल न तो तापमान बढ़ने देता है और न घटने देता है।

- महासागरीय धाराएं – जापान की जलवायु पर गर्म तथा शीतल दोनों प्रकार की जल धाराओं का प्रभाव रहता है। दक्षिण से क्यूरोशिवो जलधारा, उत्तर से क्यूराइल इन दोनों गर्म और ठंडी धाराओं के मिलने से होकैडो के पूर्वी तथा हांशु के उत्तरी पूर्वी तट पर कोहरा पाया जाता है।
- स्थलाकृति-ग्रीष्म ऋतु में जापान सागर का तटीय प्रदेश प्रशांत तटीय प्रदेशों की तुलना में शुष्क रहता है।क्योंकि जापान सागर तटीय प्रदेश दक्षिणी पूर्वी हवाओं के दृष्टि छाया प्रदेश में पड़ता है।अतः जापान सागर को उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की आकृति महाद्वीपीय प्रभाव से वंचित रखती है।
- जापान की जलवायु पर ग्रीष्मकालीन तथा शरद कालीन मानसूनो का प्रभाव अधिक पड़ता है।
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