चीन स्थिति भूवैज्ञानिक संरचना – चीन एशिया महाद्वीप के पूर्व तथा प्रशांत महासागर के पश्चिम में स्थित एक विशाल देश है। एशिया महाद्वीप का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा तथा विश्व में रूस तथा कनाडा के बाद तीसरा बड़ा देश है। यह भारत के उत्तर एवं उत्तर पूर्व में स्थित 18° उत्तरी अक्षांश से लेकर 54° उत्तरी अक्षांश तक तथा 74° पूर्वी देशांतर से लेकर 134° पूर्वी देशांतर के मध्य फैला हुआ है। इस की स्थल सीमा की लंबाई 15,000 किलोमीटर है एवं तटरेखा लगभग 11,000 किलोमीटर लंबी है। चीन की परिधि 26,000 किलोमीटर से अधिक है।


चीन स्थिति भूवैज्ञानिक संरचना
चीन उत्तरी पूर्वी गोलार्ध में स्थित है, जिसका कुल क्षेत्रफल 95,97,000 वर्ग किलोमीटर है जोकि यूरोप महाद्वीप के क्षेत्रफल के लगभग बराबर है। स्थलीय सीमा उत्तर में सोवियत रूस, मंगोलिया, दक्षिण में हिंद चीन, वर्मा तथा भारत, पूर्व में कोरिया तथा प्रशांत महासागर तथा पश्चिम में सोवियत रूस, अफगानिस्तान तथा भारत तक स्थित है। चीन के प्रमुख पर्वतों में क्यानशान, अल्टाई, नानशान, याबलोनाम, स्टेनोवाय इत्यादि प्रमुख पर्वत हैं। इसके पूर्व में अनेक सागर जापान सागर, पीत सागर, पूर्वी चीन सागर तथा दक्षिण चीन सागर स्थित है।
चीन भूवैज्ञानिक संरचना
चीन में 1916 में भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग की स्थापना हुई। संरचना की दृष्टि से चीन की वर्तमान उपराष्ट्रीय संरक्षण को मैसिफ या शील्ड कहा जाता है। इन प्राचीन भूखंडों को तीन भागों में विभाजित किया गया है।
- तिब्बतिया
- गोबिया
- केथेसिया


यह तीनों भूखंड अति प्राचीन पूर्व कैंब्रियन महाकल्प के हैं। इन तीनों प्राचीन भूखंडों में परतदार चट्टानें परिलक्षित होती है। इनकी संरचना में नीस और शिष्ट चट्टानों का विशेष योगदान है। मेसाजोइक महाकल्प के ट्रियासिक कल्प में वलन क्रिया शुरू हुई जिससे निम्न प्रकार की चार पर्वत श्रेणियां उत्पन्न हुई।
- तानू एवं केंताई श्रेणी
- येनसांन तथा खिंगन श्रेणी
- सिनलिंग श्रेणी
- नानलिंग श्रेणी
प्लीस्टोसीन कल्प में लोटास का मुख्य नीक्षेप शुरू हुआ जो आज भी मंद गति से हो रहा है। यहां के रिटर्न विद्वानों का मत है कि चीनी हिम काल से अछूता रहा है। यहां हिमनद के परिणाम स्वरूप यू आकार की घाटियों की रचना केवल दो स्थानों में देखने को मिलती है।
- शेन्सी प्रान्त के टांटुग बेसिन
- क्यांगसी प्रान्त की लूशान पहाड़ियां

