चीन भूपृष्ठीय रचना – चीन एशिया महाद्वीप के पूर्व तथा प्रशांत महासागर के पश्चिम में स्थित एक विशाल देश है। एशिया महाद्वीप का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा तथा विश्व में रूस तथा कनाडा के बाद तीसरा बड़ा देश है। यह भारत के उत्तर एवं उत्तर पूर्व में स्थित 18° उत्तरी अक्षांश से लेकर 54° उत्तरी अक्षांश तक तथा 74° पूर्वी देशांतर से लेकर 134° पूर्वी देशांतर के मध्य फैला हुआ है। इस की स्थल सीमा की लंबाई 15,000 किलोमीटर है एवं तटरेखा लगभग 11,000 किलोमीटर लंबी है। चीन की परिधि 26,000 किलोमीटर से अधिक है।

चीन भूपृष्ठीय रचना
भूपृष्ठीय रचना में चीन की विशालता एवं भू वैज्ञानिक संरचना उत्तरदाई है। मुख्य रूप से भूपृष्ठीय रचना में कई प्रकार की विविधताएं दिखाई देती है। इन विविधताओं को हम तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं।
- उत्तरी चीन
- मध्य चीन
- दक्षिणी चीन
उत्तरी चीन
इस क्षेत्र में नॉनशान एवं सिंगलिंग पर्वत श्रेणियों के मध्य में पवनों द्वारा निक्षिप्त लोयस मिट्टी का मैदान स्थित है तथा पूर्व में ह्वांगहो नदी बहती है। लोयस मिट्टी की रचना में छोटे-छोटे बारी कणों का योगदान है। ह्वांगहो नदी ने चीन के पीले मैदान की रचना की है। मिट्टी के निरंतर नीचे के कारण नदी की तलहटी समीपवर्ती भूमि से भी ऊंची उठ गई है। यदि अकस्मात बाढ़ आ जाती है तो नदी का मार्ग बदल जाता है। इस प्रकार मार्ग बदलना इस नदी का स्वभाव है।
1952 से पहले यह अपना मुहाना पीले सागर में बनाती थी लेकिन अब 400 किलोमीटर उत्तर की ओर चिहली की खाड़ी पर अपना मुहाना बनाती है। ह्वांगहो नदी की कुल लंबाई 4350 किलोमीटर है। यह नदी को सू प्रान्त से S आकार बनाती हुई बहती है। अंत में इस नदी का संगम वी हो से टुंगक्कान नामक स्थान पर होता है। इस नदी का बेसिन 15.5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।

यह नदी एक उपजाऊ मैदान का निर्माण करती है, फिर भी बाढ़ की घटनाओं के कारण या चीन का दुख (Sorrow of China) कहलाती है। लोयस मैदान में यह ह्वांगहो नदी संकरी व गहरी घाटी बनाती है। दूसरी तरफ वी हो नदी की घाटी में बाढ़ का भय नहीं है, इसलिए यहां जनसंख्या का घनत्व भी अधिक है। इसी कारण वी हो घाटी को चीन का पालना कहते हैं।
भूपृष्ठीय अंतर के कारण उत्तरी चीन को 6 भौतिक भागों में बांट सकते हैं। जो निम्न है-
- लोयस का मैदान
- मंगोलिया का पठार
- उत्तर में लोयस का पठार तथा दक्षिण में वी हो घाटी
- उत्तरी चीन का पीला मैदान
- शातुंग प्रायद्वीप एवं पहाड़ी क्षेत्र
- ह्वांगहो तथा यांगटिसीक्यांग बेसिन

मध्य चीन
चीनी भाषा में शान का अर्थ पर्वत तथा क्यांग का अर्थ नदी से है। इसलिए मध्यवर्ती चीन का भूपृष्ठीय रचना में सिंगलिंग शान तथा यांगटिसीक्यांग का महत्वपूर्ण योगदान है। यांगटिसीक्यांग नदी तिब्बत के पठार से निकलती है। आगे यह जेचवान पठार में बाहरी घाटी का निर्माण करती है। इस क्षेत्र में नदी द्वारा लाल बेसिन को सिंचाई के लिए जल की सुविधा प्रदान की जाती है। यांगटिसीक्यांग बेसिन में जनसंख्या का घनत्व अधिक पाया जाता है। इस नदी में परिवहन की सुविधा है। मध्य चीन को हम पांच भागों में विभाजित कर सकते हैं।
- सिंगलिंग पर्वतीय क्रम
- जेचवान प्रांत का पश्चिमी भाग जोकि एक पठार है।
- लाल बेसिन, जो जेचवान प्रांत के पूर्वी भाग में स्थित है।
- यांगटिसी बेसिन के मध्य में भू-भ्रंश घाटी
- यांगटिसी का डेल्टाई प्रदेश

दक्षिणी चीन
इस क्षेत्र के पश्चिम में यून्नान का पठार है जो यून्नान प्रांत में ही फैला हुआ है। यह पठार रवेदार शैलों द्वारा बना है। यहां बहुमूल्य खनिज प्राप्त किए जाते हैं। दक्षिणी चीन में सीक्यांग का बेसिन विशेष महत्वपूर्ण है। यांगटिसी की तरह ही सीक्यांग का भी निर्माण उपजाऊ मिट्टियों द्वारा हुआ है। दक्षिणी चीन को निम्न चार खंडों में विभाजित कर सकते हैं।
- यून्नान का पठार
- दक्षिणी चीन का उबड़ खाबड़ पहाड़ी क्षेत्र
- सिक्यांग एवं सहायक नदियों का बेसिन एवं डेल्टाई क्षेत्र
- दक्षिण पूर्वी तटीय क्षेत्र
