चीन कृषि विशेषताएं – 1911 की क्रांति के बाद चीन की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई। इसी बीच जापान ने भी चीन पर आक्रमण कर दिया। जिसके परिणाम स्वरूप चीन की कृषि पूरी तरह से अव्यवस्थित हो गई। उन्हें गेहूं और चावल का अधिक मात्रा में आयात करना पड़ता था। 1949 में क्रांति शुरू हो गई, जिससे वहां की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन किया गया तथा परिणाम स्वरूप भूमि सुधार, कृषि उत्पादक सहकारी समितियां एवं कृषि नियोजन कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

चीन में कृषि योग्य भूमि
एशिया में अन्य देशों की भांति चीन के निवासियों का भी कृषि प्रमुख धंधा है। देश की लगभग 70% जनसंख्या का अपरोक्ष रूप से कृषि द्वारा ही भरण पोषण होता है। कहा जाता है कि चीन की संस्कृति का आधार ही मिट्टी है। यहां एक तरफ जनजीवन का मिट्टी से घनिष्ठ संबंध दृष्टिगोचर होता है और दूसरी ओर देश में कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल बहुत कम है। आप चीन कृषि विशेषताएं Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
चीन में लगभग 200 करोड़ हेक्टेयर भूमि में कृषि होती है। जिसमें 160 करोड हेक्टेयर भूमि में खाद्यान्नों का उत्पादन होता है। कृषि भूमि के ऊपर जनसंख्या का भार यहां अधिक है। चीन की समस्त भूमि के लगभग 8% भाग पर वन है। जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ वनों की मात्रा कम हो रही है। समतल भूमि के जंगल धीरे-धीरे कृषि भूमि में बदल गए हैं। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि की दशा सुधारने की ओर विशेष प्रयत्न किए गए हैं जिसके फलस्वरूप कृषि का प्रारूप ही बदल गया है।

चीन में कब्रिस्तानों द्वारा कृषि योग्य भूमि का 2% भाग घिरा हुआ है। पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा कब्रिस्तान की भूमि के क्षेत्रफल को कम किया गया है। यहां सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार किया गया है। शुष्क कृषि योग्य भूमि पर सिंचाई के उपयुक्त साधन प्रदान कर कृषि उत्पादन को बढ़ाया जा रहा है। इस प्रकार चीनी किसान लोग कठिन श्रम करते हुए जनसंख्या के भरण पोषण में लगे हुए हैं। आप चीन कृषि विशेषताएं Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
चीन कृषि विशेषताएं
चीन किसानों का देश है। भारत की तरह चीनी सभ्यता की उत्पत्ति मिट्टी से हुई है। कम से कम तीन चौथाई चीनी निवासी प्रत्यक्ष रूप से मिट्टी से ही अपनी आजीविका चलाते हैं। चीन कृषि विशेषताएं वास्तव में यहां के किसानों की विशेषता है। चीन के किसान लोग कठिन श्रम करते हुए एक विशाल जनसंख्या के भरण-पोषण में लगे हुए हैं। चीन कृषि विशेषताएं इस प्रकार है-
- चीनी कृषि चीनी किसान के लिए एक प्रकार का बगीचा होता है। जहां वे 1 साल के भीतर बहुत सी फसलों का उत्पादन करते हैं।
- यहां की अधिकांश भूमि में सघन कृषि की जाती है जिसके द्वारा कम भूमि में अधिक फसल उत्पादन किया जाता है। क्योंकि यहां अधिक जन भार के कारण ऐसा करना अनिवार्य है।
- चीनी लोग कृषि भूमि में उवर्रता बढ़ाने के लिए खादों का प्रयोग अधिक करते हैं।
- यहां की कुछ जमीन से वर्ष में 3 फसलें तक उगाई जाती है। साथ ही साथ योग्य भूमि को कृषि योग्य बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- वर्षा की अनिश्चितता के कारण यहां की कृषि में सिंचाई का अधिक महत्व है।
- चीन के कृषक श्रम के रुप में मानवीय श्रम को अधिक महत्व दिया जाता है।
- चीन के किसान अपने घर के नजदीक अधिकांश जमीन पर शाक सब्जी उगाते हैं।
- चीन में पैदा होने वाली मुख्य दो फसलें खाद्यान तथा वाणिज्य फसलें हैं। खाद्यान्न में धान, गेहूं, मक्का, जौ उत्पन्न किए जाते हैं और वाणिज्य फसलों में कपास, चाय, रेशम एवं तंबाकू पैदा की जाती है। फलों में नारंगी एवं नारियल मुख्य हैं।

चीन की इतनी विशाल जनसंख्या की उदरपूर्ति के लिए खाद्यान्नों का महत्व सबसे अधिक है। चीन में साम्यवादी सरकार द्वारा कृषि विकास के लिए विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में विशेष प्रयत्न से कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। आप चीन कृषि विशेषताएं Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
चीन कृषि उपलब्धियां
- चीन विश्व का सबसे अधिक चावल उत्पन्न करता है। जिसमें दक्षिणी चीन को चावल का कटोरा कहा जाता है।
- चीन विश्व की लगभग 22% चाय उत्पादित करता है। जोकि चीन, जापान, भारत, श्रीलंका, ग्रेट ब्रिटेन तथा रूस का राष्ट्रीय पेय है।
- चीन में विश्व का लगभग 17% गेहूं उत्पन्न होता है। यह विश्व का तीसरा गेहूं उत्पादक देश है।
- चीन विश्व का तीसरा कपास उत्पादक देश है। यहां विश्व की 19% कपास का उत्पादन होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद इसका कपास उत्पादन में दूसरा स्थान है।