चीन की मिट्टियां – मिट्टी पर्यावरण की उपज है। मिट्टी को निर्मित करने में 4 संघटक व 4 मंडलों का योगदान है। जैसे स्थलमंडल से चट्टान चूर्ण, वायुमंडल से वायु या गैस, जलमंडल से जल तथा जीवमंडल से ह्यूमस प्राप्त होता है। इन सभी के मिश्रण से मिट्टी बनती है। जिसे मृदा मंडल कहते हैं। चीन में भौम्याकृति, जलवायु, चट्टान एवं प्राकृतिक वनस्पति की विविधता है।

चीन की मिट्टियां
चीन में विभिन्न प्रकार की मिट्टी पाई जाती है। इन विविधताओं के आधार पर चीन को तीन प्रमुख मृदा कटिबंधों में बांट सकते हैं-
- पूर्वी चीन के नम प्रदेश के वन प्रदेश की मिट्टी
- उत्तरी पश्चिमी शुष्क प्रदेश की प्रेयरी मरुस्थलीय मिट्टी
- तिब्बत पठार तथा शीतल प्रदेश की उच्च पर्वतीय मिट्टी
क्षेत्रीय अंतर के अनुसार मिट्टी को दो वर्गों में विभाजित कर सकते हैं-
- उत्तर चीन की मिट्टी – इस मिट्टी में सोने की मात्रा अधिक होती है। इसीलिए इसे पेडीकोल मिट्टी कहते हैं। उत्तर चीन की मिट्टी में जीवाश्म की मात्रा अधिक होती है।
- दक्षिण चीन की मिट्टी – दक्षिणी चीन की मिट्टी में एल्युमिनियम एवं लोहा की प्रधानता है। इसीलिए इसे पेडाल्फर मिट्टी कहते हैं। दक्षिण क्षेत्र की मिट्टी का निर्माण रासायनिक प्रक्रिया द्वारा होता है।
चीन की मिट्टियां विभाजन
मिट्टियों के विभाजन का आधार अधिकतर भौगोलिक रहता है। इसे के अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन ने किसी देश की मिट्टी का वर्गीकरण उसके रासायनिक तथा भौतिक गुणों के आधार पर किया है। कई विद्वानों द्वारा चीन की मिट्टी का विभाजन किया गया है। उनमें थोर्प और चार्ल्स एफ शाॅ का विभाजन विशेष उल्लेखनीय है।

पेडीकोल मिट्टियां
- मरुभूमि की मिट्टी
- चरनोजम और काली मिट्टी
- चेस्टनट मिट्टी
- सियाचियांग की मिट्टी
- चूनायुक्त मिट्टी
- नमकीन एवं क्षारीय मिट्टी
पेडाल्फर मिट्टी
- भूरी पाॅडजाॅलिक मिट्टियां
- जानडुंग बादामी मिट्टी
- लाल मिट्टी
- पीला मिट्टी
- चूना रहित कॉप मिट्टी
चीन की मिट्टियां भौगोलिक प्रदेश
चीन में मिलने वाले मृदा प्रकारों को भौगोलिक स्थिति के आधार पर मुख्य मृदा को विभिन्न भागों में विभाजित किया गया है, जो निम्न है-
- लाल मिट्टी – वर्षा अधिक होने के कारण मिट्टी में उपस्थित लौह अंश के कारण ही यह मिट्टी लाल रंग की हो जाती है। यह दक्षिणी चीन के उपोष्ण एवं आद्र जलवायु के क्षेत्र में पाई जाती है। इसे लेटराइट मिट्टी भी कहते हैं। इस मिट्टी के क्षेत्र में अपरदन अधिक होता है। जिसके कारण यह कम उपजाऊ मिट्टी है।
- भूरी मिट्टी – इसे क्लेवन मिट्टी भी कहते हैं। यह वह क्षेत्र है जहां ग्रीष्म ऋतु का फ्यूज और शीत ऋतु पर्याप्त ठंडी होती है वर्षा 100 से 125 सेंटीमीटर के बीच में होती है।
- वन प्रदेशीय मिट्टी – यह मिट्टी दक्षिणी चीन में स्थित पहाड़ी क्षेत्र में पाई जाती है। यहां चौड़ी पत्ती वाले वनों की अधिकता है। जिसकी शुष्क पत्तियों ने मिट्टी में मिलकर मिट्टी को उपजाऊ बना दिया है।

- बाढ़ क्षेत्र की मिट्टी – यह मिट्टी यांगटिसी तथा हवाई नदी घाटियों के निचले भाग में पाई जाती है। यह उपजाऊ मिट्टी है। प्रतिवर्ष बाढ़ आने के कारण मिट्टी में उवर्रा शक्ति बनी रहती है।
- लोयस मिट्टी – मुलायम मिट्टी होने के कारण इस क्षेत्र के मिट्टी का अपरदन अधिक हुआ है। इस मिट्टी में चूने की मात्रा अधिक पाई जाती है, किंतु आद्रता की मात्रा कम रहती है। लेकिन जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा है वहां अच्छी फसलें पैदा की जाती है।
- मरुस्थलीय मिट्टी – भीतरी मंगोलिया के मरूभूमि क्षेत्र में यह पीले एवं भूरे रंग की मिट्टी पाई जाती है। यहां वर्षा 50 सेंटीमीटर से कम होती है। यह केवल पशु चारण के लिए उपयुक्त है।
चीन की मिट्टियां क्षरण
चीन में वनस्पतियों का अभाव है। देश की आबादी बढ़ने के कारण यहां की लकड़ी की कटाई हुई है। यहां की नदियों में बाढ़ें अधिक आती हैं। अतः नदी के जल में काम मिट्टी के पर्याप्त मात्रा होती है। काॅप मिट्टी का अधिकांश भाग नदी के द्वारा समुद्र में जमा हो जाता है। अर्थात बाढ़ से उपजाऊ मिट्टी की अधिकांश मात्रा समुद्र के अंदर चली जाती है। यहां पर सबसे ज्यादा अपरदन लोयस मिट्टी का होता है। लोयस मिट्टी के क्षेत्र में वर्षा की मात्रा कम होती है, जिसके कारण मिट्टी सूखी रहती है।

जिसके फलस्वरूप मिट्टी की शक्ति क्षीण होती है और मृदा अपरदन आसानी से हो जाता है। 1954 ईस्वी की वर्षा ऋतु में सेंसी प्रदेश की कृषि भूमि के ऊपर 10 सेंटीमीटर मिट्टी का अपरदन हुआ था। यांग्जी घाटी में वायु अपरदन नहीं के बराबर होता है। पर्वतों के ढालों पर वेदिका बनाने से यहां पर मृदा अपरदन की मात्रा कम हुई है। योजना के अनुसार वृक्षारोपण से 5 करोड़ 20 लाख एकड़ जमीन की अपरदन से बचाने की योजना है। इसी कारण यहां के उत्तरी पश्चिमी चीन में वृक्षारोपण तेजी से हो रहा है। आप चीन की मिट्टियां Hindibag पर पढ़ रहे हैं।