वैसे तो गणित प्रयोगशाला विद्यालय से विद्यालय में अलग-अलग रूप से व्यवस्थित की जाती है। विद्यालय में गणित प्रयोगशाला होने से विद्यार्थियों को प्रयोगशाला विधि से और अधिक से अधिक सीखने का अवसर मिल जाता है। एक गणित की प्रयोगशाला में निम्न सुविधाएं होना चाहिए।
गणित प्रयोगशाला
एक गणित की प्रयोगशाला में निम्न सुविधाएं होना चाहिए।
1. विभागीय सदस्य
गणित अध्यापक या विभागाध्यक्ष और उसके विभाग सदस्य विद्यालय कार्यक्रम में गणित प्रयोगशाला के प्रत्यय में सहायता करने हेतु उचित एवं तैयार हो। प्रारंभ में प्रयोगशाला स्थापना के समय विभाग के केवल एक या दो सदस्यों की आवश्यकता होती है, परंतु प्रयोगशाला को गणित अधिगम केंद्र के रूप में परिवर्तित करना संपूर्ण विभाग सदस्यों के सहयोग के ऊपर निर्भर करता है।

2. गणित प्रयोगशाला की भौतिक सुविधाएं
नवीन विद्यालयों में गणित प्रयोगशाला हेतु एक विशिष्ट स्थान होना चाहिए। तथा उसकी योजना में समस्त सुविधाओं एवं दशाओं को स्थान प्रदान करना चाहिए। प्रयोगशाला कच्छ में जुड़ी होनी चाहिए तथा परिवर्तनशील भाग के द्वारा इससे अलग की गई होनी चाहिए। इससे जब भी आवश्यकता पड़ेगी तो विस्तृत समूह अनुदेशन हेतु एक बड़ा भाग प्राप्त हो जाएगा। प्रयोगशाला 800 वर्ग फुट की एक बड़ी कक्षा के रूप में होनी चाहिए।
3. गणित प्रयोगशाला के फर्नीचर
गणन केन्द्र
दीवार के साथ 10 इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर के लिए मैच की ऊंचाई तक स्थाई सुरक्षित स्थान होना चाहिए जिससे छात्र व्यक्तिगत रूप से भी इनका प्रयोग कर सकें।
खेल केंद्र
खेल केंद्र पर एक 30″×72″ की माप की बहु उद्दे शीय मेज रखी जाए।
मापन केंद्र
मापन केंद्र में एक 30″×70″ की माप की बहु उद्दे शीय मेज होनी चाहिए।
पाठन केंद्र
पाटन केंद्र पर नीचे कारपेट बिछा हो तथा एक आरामदायक सोफा या कुछ आरामदायक कुर्सियां एक छोटी व नीची मेज रखी जाए।
फाइल रखने की अलमारी
कम से कम 2 अलमारी हो तथा संसाधनों की आवश्यकता अनुसार संख्या बढ़ाई जा सकती है।
स्टोर
यह या तो प्रयोगशाला का हिस्सा या उससे जुड़ा हुआ अलग कुछ होना चाहिए परंतु होना अवश्य चाहिए।
अलमारियां
गणित प्रयोगशाला में पाठन सामग्री, कार्य पुस्तिकाओं, किट्स, खेलो तथा अन्य सामानों को रखने हेतु उचित स्थान देना चाहिए।
4. उपकरण
- गणितीय प्रयोगशाला में एक गणना केंद्र होना चाहिए जिसमें वैद्युत कैलकुलेटर के साथ साथ इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर भी होना चाहिए।
- गणित प्रयोगशाला में विभिन्न मापन यंत्र फीता, मीटर, भार मशीन आदि होना चाहिए।

गणित शिक्षण में प्रयोगशाला का महत्व
गणित शिक्षण में प्रयोगशाला का एक विशेष महत्व है। गणित शिक्षण में प्रयोगशाला का होना गणित के उद्देश्यों की पूर्ति भी करता है। गणित शिक्षण में प्रयोगशाला का महत्व निम्न प्रकार है:
- प्रयोगशाला प्रयोगशाला में बालक स्वयं करके सीखते हैं जिससे उनका बयान अधिक स्थाई हो जाता है।
- इसके द्वारा बालक क्रियात्मक एवं व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करते हैं।
- प्रयोगशाला में कार्य करते समय छात्र गणित के अध्ययन में अधिक रूचि लेते हैं।
- प्रयोगशालाप्रयोगशाला के द्वारा छात्रों में रचनात्मक एवं अनुसंधानात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
- छात्रछात्र गणित के प्रयोग करने में आनंद की अनुभूति करते हैं क्योंकि प्रयोग करने से उनकी जिज्ञासाओं की संतुष्टि होती है।
- छात्रों के विभिन्न प्रकार की गणितीय कुशलता ओं का विकास होता है।
- छात्रों में आगमनात्मक चिंतन का विकास होता है।
- छात्रों में आत्मविश्वास आत्मनिर्भरता परिश्रम तथा प्रयोग करने की योग्यता का विकास होता है।
- छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है।
गणित प्रयोगशाला में कार्य करते समय सावधानियां
- प्रयोग में लाए जाने वाले उपकरण या सामग्री के संबंध में अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
- उपकरणों को सावधानीपूर्वक काम में लाना चाहिए लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
- प्रदर्शन मेज की व्यवस्था उचित ढंग से करनी चाहिए। जिससे छात्रों को परेशानी ना हो।
- प्रयोग करने में समय का भी ध्यान रखना चाहिए।
- प्रयोग करने के पश्चात सभी उपकरणों को यथा स्थान साफ करके रखना चाहिए।
- सभी छात्रों को प्रयोगशाला में कार्य करने का अवसर मिलना चाहिए।

गणित प्रयोगशाला की आवश्यकता
प्रयोगशाला में बालक स्वयं करके सीखने का प्रयास करता है जिससे उसका ज्ञान स्थाई हो जाता है। जबकि सैद्धांतिक ज्ञान केवल रखने पर बल देता है यह अस्थाई होता है। प्रयोगशाला का ज्ञान बालक में रुचि उत्पन्न करता है।
प्रयोगशाला का गणित के शिक्षण में बहुत महत्व है जो निम्न है:-
- प्रयोगशाला में बालक स्वयं करके सीखते हैं जिससे उनका ज्ञान अधिक स्थाई हो जाता है।
- इसके द्वारा बालक क्रियात्मक एवं व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करते हैं।
- प्रयोगशाला में कार्य करते समय छात्र गणित के अध्ययन में अधिक रूचि लेते हैं।
- प्रयोगशाला के द्वारा छात्रों में रचनात्मक एवं अनुसंधान आत्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
- छात्र गणित का प्रयोग करने में आनंद की अनुभूति करते हैं क्योंकि प्रयोग करने से उनकी जिज्ञासाओं की संतुष्ट होती है।
- छात्रों के विभिन्न प्रकार की लड़की को सुविधाओं का विकास होता है, जैसे आकृति, चित्र, मॉडल बनाने की कुशलता, माप तोल की कुशलता आदि।
- छात्रों में आगमनात्मक चिंतन का विकास होता है।
- छात्रों में आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता, परिश्रम तथा प्रयोग करने की योग्यता का विकास होता है।
- छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है।