होमवन ने कहा है कि गणित सभ्यता का प्रतिबिंब है। मानव जाति की उन्नति तथा सभ्यता के विकास में गणित का विशेष योगदान रहा है। इसमें गणित की प्रकृति अत्यधिक महत्वपूर्ण है। गणित घटनाओं का विज्ञान है। गणित विज्ञान विषयों का आधार है। गणित बच्चों में तार की दृष्टिकोण को पैदा करता है। इसका ज्ञान चरित्र निर्माण तथा नैतिकता के विकास में सहायक होता है। इसकी मदद से बच्चों में अनुशासन संबंधित गुण या विशेषता का विकास होता है।।

The study of mathematics is so easy that it is for snow real mental discipline.
Hamilt
Mathematics is the queen of Science.
Everything around you is numbers, everything around you is mathematics.
Without mathematics, there’s nothing you can do. Everything around you is mathematics. Everything around you is numbers.
Shakuntala Devi

गणित की प्रकृति
गणित की प्रकृति कैसी है वो हम लोग निम्न बिंदुओ से समझ सकते हैं।
- गणित की अपनी भाषा होती है। भाषा का तात्पर्य उसके पद प्रत्यय सूत्र संकेत सिद्धांत विशेष प्रकार के होते हैं जो कि उनकी भाषा को जन्म देते हैं। इसके उदाहरण लंबाई चौड़ाई त्रिभुज लाभ हानि कोष्टक संख्याएं किलोग्राम आदि हैं।
- गणित में संख्या स्थान मापन आदि को अध्ययन किया जाता है। इनका अध्ययन अन्य विषयों में बाहर से प्रयोग किया गया है। प्रारंभ में इसका विकास गणित से ही हुआ था।
- गणित में वातावरण में पाए जाने वाले वस्तुओं के आपस में संबंध तथा संख्यात्मक निष्कर्ष निकाले जाते हैं क्योंकि यह निष्कर्ष विशेष संख्या से संबंधित होते हैं इसलिए इन पर भरोसा किया जा सकता है।
- गणित विषय के ज्ञान का आधार हमारी ज्ञानेंद्रियां होती हैं। जिन पर विश्वास किया जा सकता है क्योंकि इस ज्ञान का एक निश्चित आधार होता है।
- गणित का ज्ञान समस्त जगत में समान धूप का होता है तथा उसका सत्यापन किसी भी स्थान तथा समय पर किया जा सकता है। यह ज्ञान समय तथा स्थान के साथ परिवर्तित नहीं होता है।
- गणित में ज्ञान ठीक स्पष्ट तार्किक एक क्रम में होता है। जिससे उसको एक बार समझने पर आसानी से भुलाया नहीं जा सकता।
