क्षेत्रीय असमानता के कारण – भारत में असमानता अर्थात आय तथा सम्पत्ति में पाई जाने वाली असमानता का मुख्य कारण जमींदारी प्रथा तथा भूमि के स्वामित्व में पाई जाने वाली असमानता है। स्वतन्त्रता से पहले देश में जमींदारी प्रथा पाई जाती थी। इसके फलस्वरूप भू-स्वामित्व में सारी असमानता पाई जाती थी।
क्षेत्रीय असमानता के कारण
क्षेत्रीय असमानता के कारण निम्नलिखित हैं-
- प्रति व्यक्ति आय
- निर्धनता रेखा के नीचे जनसंख्या
- विद्युतीकरण
- प्रति व्यक्ति कृषि उत्पादन
- शहरीकरण
- यातायात एवं संचार
- औद्योगीकरण
- वित्त का अभाव
- राजनीतिक दबाव
1. प्रति व्यक्ति आय
इसका प्रयोग प्रायः प्रान्तों की आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। कृषि वृद्धि एवं औद्योगिक विकास की अन्तर्राज्य असमानताओं के स्तर ने प्रति व्यक्ति आय की भिन्नताओं में योगदान दिया है।
2. निर्धनता रेखा के नीचे जनसंख्या
निर्धनता रेखा से नीचे की जनसंख्या भी क्षेत्रीय असन्तुलन और असमानताओं का निर्माण करती है। वर्ष 2011-12 में निर्धनता रेखा से नीचे लोगों का प्रतिशत हिमाचल प्रदेश में 8.10 प्रतिशत तथा बिहार में 33.1 प्रतिशत था। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 25.7 प्रतिशत और शहरों में गरीबी 13.7 प्रतिशत है और पूरे भारत में यह संख्या 21.9 प्रतिशत है।








3. विद्युतीकरण
विकास के लिए विद्युत एक परम आवश्यकता है तथा वे प्रान्त जहाँ विकास प्रक्रिया ठीक नहीं है उनके तीव्र विकास में अडचने पड़ती है। हरियाणा और पंजाब में शत-प्रतिशत विद्युतीकरण प्राप्त किया जा चुका है, परन्तु असम, बिहार, राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश यह क्षेत्र से अभी भी पीछे है।
4. प्रति व्यक्ति कृषि उत्पादन
कृषि उत्पादन की पैदावार और तकनीके भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न है। पंजाब और हरियाणा के प्रान्तों ने कृषि उत्पादन में उन्नति की है, जबकि असम उडीसा और नागालैण्ड जैसे प्रान्त अब भी बैलगाड़ी के युग में उत्पादन की प्राचीन विधियों और पिछडी हुयी कृषि में रहते हैं।
5. शहरीकरण
यह भी आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण संकेतक है, महाराष्ट्र, तमिलनाडु गुजरात और कर्नाटक जैसे प्रान्तों में शहरी जनसंख्या अधिक है जबकि उड़ीसा, असम, नागालेण्ड और हिमाचल प्रदेश में कम है। आप क्षेत्रीय असमानता के कारण Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
6. यातायात एवं संचार
क्षेत्रीय असन्तुलनों का एक और महत्वपूर्ण संकेतक यातायात और संचार, बैंक, बीमा, सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा शिक्षा आदि है। पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में ये सुविधाएँ भलीभाँति उपलब्ध है जबकि हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, आसाम, बिहार व उडीसा में इनका अभाव है।
7. औद्योगीकरण
विभिन्न प्रान्ता में आद्योगीकरण का प्राप्त स्तर भिन्न-भिन्न है। बिहार, उडीसा, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कुल आय में उद्योगों का भाग केवल 10 से 12 प्रतिशत है, जबकि महाराष्ट्र बंगाल और हरियाणा में यह बहुत ऊँचा है। कृषि पर अत्यधिक निर्भरता ने औद्योगीकरण को क्षति पहुँचायी है।
8. वित्त का अभाव
वित्त का अभाव भी किसी क्षेत्र के निर्विघ्न विकास में एक बाधा है। वित्तीय संस्थाएँ विभिन्न विकास योजनाओं के लिए धन देने में झिझकती हैं,क्योंकि उन्हें ऋण की वापसी के सम्बन्ध में आशंका रहती है। फलतः ये क्षेत्र पिछड़े रहते हैं। आप क्षेत्रीय असमानता के कारण Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
9. राजनीतिक दबाव
प्रायः यह देखा जाता है कि राजनीतिक बल विकास प्रक्रिया में अनावश्यक हस्तक्षेप करते हैं। वास्तव में वह अपने इलाको में वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए विकास की दिखावे वाली परियोजनाएँ लाना चाहते हैं। इस प्रकार के हस्तक्षेप से किसी क्षेत्र के आवश्यक विकास में बाधा पड़ती है।