केंद्र सरकार की शैक्षिक सलाहकार समितियां

केंद्र सरकार की शैक्षिक सलाहकार समितियां – केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत शिक्षा विभाग है जो केंद्रीय सरकार के शिक्षा विषयक कार्यों और उत्तर दायित्वों का निर्वहन करता है। शिक्षा विभाग के कार्य काफी विस्तृत है। इस दृष्टि से केंद्रीय सरकार ने शिक्षा विभाग के विभिन्न क्षेत्रों को समुन्नत बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के परामर्शदाता मंडलों, परिषदों और समितियों की स्थापना की है जो केंद्र सरकार को संबंधित क्षेत्र में परामर्श देते रहते हैं।

जैसे – विश्वविद्यालय अनुदान आयोग उच्च शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र सरकार को परामर्श देने का कार्य करता है। परामर्शदाता मंडल परिषदों और समितियों के कारण केंद्र सरकार को अपने शैक्षणिक दायित्व और कार्यों को पूर्ण करने में काफी सहयोग प्राप्त होता है।

मैकाले का विवरण पत्र 1835, केंद्र सरकार की शैक्षिक सलाहकार समितियां
केंद्र सरकार की शैक्षिक सलाहकार समितियां

केंद्र सरकार की शैक्षिक सलाहकार समितियां

केंद्र सरकार की शैक्षिक सलाहकार समितियां एवं मंडल परिषद निम्नलिखित हैं-

  1. शिक्षा का केंद्रीय परामर्शदाता मण्डल
  2. अखिल भारतीय प्रारंभिक शिक्षा परिषद
  3. अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षा परिषद
  4. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
  5. अखिल भारतीय प्राविधिक शिक्षा परिषद
  6. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद
  7. राष्ट्रीय ग्रामीण उच्च शिक्षा परिषद
  8. राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान
  9. राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद

1. शिक्षा का केंद्रीय परामर्शदाता मण्डल

केंद्र सरकार का यह सबसे पुराना परामर्शदाता मंडल है। शिक्षा संबंधी विषयों में प्रांतीय सरकारों को सलाह देने के लिए इसकी स्थापना 1921 ईस्वी में की गई थी। 1923 में इसको रिट्रेसमेंट कमेटी की सिफारिश पर विघटित कर दिया गया था। परंतु हर्टाग समिति की सिफारिश के परिणाम स्वरूप इसको 1935ई• मैं पुनः स्थापित किया गया और अब तक कार्य कर रहा है।

यह मंडल मंत्रालय की समस्त क्रियाओं की महत्वपूर्ण धुरी है। जिसके चारों ओर संपूर्ण कार्यक्रम फैला हुआ है। इसका संगठन इस प्रकार किया गया है-

  1. केंद्रीय शिक्षा मंत्री
  2. भारत सरकार का शिक्षा परामर्शदाता
  3. भारत सरकार द्वारा मनोनीत 15 सदस्य जिनमें 4 महिलाएं
  4. संसद के 5 सदस्य जिनमें दो राज्यसभा और तथा तीन लोक सभा के सदस्य
  5. भारत सरकार के विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों में अंतर विश्वविद्यालय मंडल द्वारा चुने हुए 2 सदस्य
  6. अखिल भारतीय प्राविधिक शिक्षा परिषद के 2 सदस्य को स्वयं परिषद मनोनीत करती है।
  7. प्रत्येक राज्य सरकार का एक प्रतिनिधि जो शिक्षा मंत्री होता है।
  8. मंडल का सचिव उसको केंद्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। सामान्यता केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का शिक्षा सचिव ही इसके सचिव का कार्य करता है।
प्रौढ़ शिक्षा
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दूरस्थ शिक्षा लक्षण

केंद्रीय परामर्श मण्डल के कार्य

केंद्रीय परामर्श मंडल के दो प्रमुख कार्य हैं-

  1. किसी भी शिक्षा संबंधी प्रश्न पर जो केंद्रीय सरकार द्वारा उसके समक्ष प्रस्तुत किया जाए, परामर्श देना।
  2. भारत सरकार के शैक्षिक विकास से संबंधित महत्वपूर्ण सूचनाओं एवं परामर्श को एकत्रित करना तथा उनकी जांच करके अपनी सिफारिशों के साथ भारत सरकार तथा राज्य सरकारों को प्रस्तुत करना।

इस मंडल की वर्ष में एक बार बैठक अवश्य होती है वह अपनी बैठक में देश की प्रमुख शैक्षिक समस्याओं पर विचार विमर्श करता है तथा उनके संबंध में अपने सुझाव प्रदान करता है। केंद्रीय परामर्शदाता मण्डल अपनी 4 स्थाई समितियों प्राथमिक तथा बेसिक शिक्षा समिति, सामाजिक शिक्षा समिति, माध्यमिक शिक्षा समिति तथा उच्च शिक्षा समिति के द्वारा कार्य करता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड को शिक्षा के प्रबंध में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने का दायित्व सौंपा गया था। जो की शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए आवश्यक परिवर्तनों को सुनिश्चित करेगा और कार्यान्वयन संबंधी देखरेख में निर्णायक भूमिका अदा करेगा। बोर्ड उपयुक्त समितियों के माध्यम से एवं मानव संसाधन विकास के विभिन्न क्षेत्रों के बीच संपर्क तथा समन्वय के लिए बनाए गए प्रक्रमों के माध्यम से कार्य करेगा।

केंद्र सरकार की शैक्षिक सलाहकार समितियां

2. अखिल भारतीय प्रारंभिक शिक्षा परिषद

इस परिषद की स्थापना सन 1957 में शिक्षा तथा वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय द्वारा की गई थी। इस परिषद की स्थापना का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के विभिन्न प्रकार के कदम उठाना है। केंद्रीय सरकार प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में अपने दायित्व का निर्वाह इसी परिषद के माध्यम से करती है। इस क्षेत्र में राज्य सरकारों एवं स्थानीय निकायों का निर्णय एवं पथ प्रदर्शन करती है।

3. अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षा परिषद

अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षा परिषद की स्थापना 1955 में की गई थी। स्थापना का मुख्य उद्देश्य यह था कि वह देश में माध्यमिक शिक्षा की उन्नति के लिए एक विशेष संस्था के रूप में कार्य करे। उस समय इस परिषद के सदस्यों की संख्या 22 थी और उसका चेयरमैन भारत सरकार का शिक्षा परामर्शदाता था। इस परिषद को दो प्रकार के कार्य सौंपे गए।

  1. परामर्श संबंधी
  2. कार्यपालिका संबंधी
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केंद्र सरकार की शैक्षिक सलाहकार समितियां

यह परिषद माध्यमिक शिक्षा के सभी क्षेत्रों में भारत सरकार तथा राज्य सरकारों की सलाह देने वाली संस्था होने के साथ-साथ स्वयं इस क्षेत्र में माध्यमिक शिक्षा के प्रसार एवं उन्नति के लिए कदम उठाने की भी अधिकारी थी। इस परिषद ने 1955-58 तक इसी रूप में कार्य किया। परंतु 1958 में इस परिषद का पुनर्गठन किया गया इसके कार्यपालिका संबंधी कार्यों को एक दूसरी संस्था को सौंप दिया गया और इसको माध्यमिक शिक्षा परिषद से संबंधी रखा गया।

अब उन्हें संगठित माध्यमिक शिक्षा परिषद का कार्य केवल परामर्श देने तक ही सीमित है। इस परिषद में निम्नलिखित निकायों को प्रतिनिधित्व प्राप्त है

  1. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय
  2. केंद्रीय वित्त मंत्रालय
  3. अखिल भारतीय प्राविधिक शिक्षा परिषद
  4. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
  5. अखिल भारतीय शिक्षा समुदायों का संघ
  6. प्रशिक्षण महाविद्यालयों का समुदाय
  7. अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षा परिषद
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