ओजोन क्षरण – ओजोन शब्द यूनानी शब्द ओजो से बना है। जिसका अर्थ होता है गंध। ऑक्सीजन का बदला हुआ रूप ओजोन है। ओजोन O3 मैं ऑक्सीजन O2 से एक परमाणु अधिक होता है। ओजोन गैस का रंग नीला तथा गंध तीखी होती है। ओजोन मंडल में यह ऑक्सीजन पर सूर्य की पराबैंगनी किरणों की क्रिया से पैदा होती है। हवा या आक्सीजन में धीरे-धीरे विद्युत गुजारने पर भी हम ओजोन गैस उत्पन्न कर सकते हैं।


सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणें ओजोन परत को लगातार छेद कर पृथ्वी तक पहुंचने में लगी हैं। ओजोन परत के विघटन से या न होने से अनेक दुष्प्रभाव मनुष्य जीवन तथा उससे संबंधित क्रियाकलापों पर पड़ते हैं।
- कई प्रकार की फसलों की मात्रा और गुणवत्ता में कमी
- भवनों की सामग्री का क्षय
- स्मोग के बनने में योगदान
- मनुष्य पर कई जानलेवा रोगों का आक्रमण
- समुद्रीय परितंत्र का विघटन से अनेक वनस्पति एवं जलचरों के समाप्त होने की आशंका
स्मोग धुएं, विषैली गैसें, वायु में तैरते अनेक तत्व व कार्बन के कड़ और पानी की भाप की मिली जुली वह पर्त है। जो पृथ्वी से कुछ ऊंचाई पर वायुमंडल में एक आवरण सा बनाकर कुछ आवासीय भागों को ढक लेती है। कुछ देर बाद ही ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों को सांस लेने की कठिनाई शुरू होती है और दम घुटने लगता है।


यह विषैला धुआं स्वसन क्रिया को बुरी तरह प्रभावित करता है। दम घुटने लगता है और यदि काफी लंबी अवधि तक इसमें फंस जाए तो मर भी सकता है। अस्थमा के रोगी को तो यह कुछ मिनट भी सहन नहीं है। आप ओजोन क्षरण Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
ओजोन क्षरण के कारण
पृथ्वी से लगभग 50 किलोमीटर पर ओजोन का आवरण है जिसे ओजोन परत या ओजोन कवच कहते हैं या ओजोन परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है। ये पराबैंगनी किरणों जीवधारियों के लिए हानिकारक होती है।
ओजोन क्षरण की जानकारी सबसे पहले 1960 में हुई। 1984 में वैज्ञानिकों के एक दल ने दक्षिणी ध्रुव के ऊपर ओजोन छिद्र का पता लगाया। इस शरण का प्रमुख कारण क्लोरोफ्लोरोकार्बन से उत्पन्न होने वाले क्लोरीन परमाणु थे। इसके अतिरिक्त हैलोजन गैसे हैं हाइड्रोक्लोरो फ्लोरो कार्बन, कार्बन टेट्राक्लोराइड, मैथिल क्लोरोफॉर्म, नाइट्रस ऑक्साइड ओजोन परत क्षरण के प्रमुख कारक हैं।


क्लोरोफ्लोरोकार्बन क्लोरीन, फ्लोरीन व कार्बन परमाणुओं के योगिको का संगठन होता है। जिसका प्रयोग प्रायः शीतलक यंत्रों में प्रशीतलक के रूप में किया जाता है। क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस को पराबैंगनी किरणों में तोड़कर क्लोरीन गैस बना देता है। यह क्लोरीन परमाणु ही ओजोन परत का क्षरण करते हैं। आप ओजोन क्षरण Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
ओजोन क्षरण के व्यापक प्रभाव
ओजोन की मात्रा मापने के लिए डाब्सन ओजोन स्पेक्ट्रोमीटर नामक यंत्र का प्रयोग किया जाता है। विगत दशकों में ओजोन परत में क्षति से सूर्य की पराबैंगनी किरणों का दुष्प्रभाव मानव, सूक्ष्म प्राणी, पेड़ पौधे सहित समस्त परिस्थितिकी पर पड़ रही है। ओजोन क्षय का सबसे हानिकारक पहलू यह है कि समताप मंडल में उपस्थित ओजोन पृथ्वीवासी जीवधारियों के लिए रक्षा कवच का कार्य करती है क्योंकि यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों के अधिकांश भाग का अवशोषण कर लेती है।
परंतु क्षोभमंडल में इसकी उपस्थिति जीवधारियों के लिए खतरनाक है। क्षोभमंडल में किसकी उपस्थिति पौधों की पैदावार तक विपरीत प्रभाव और जंतुओं पर विकिरण जैसा प्रभाव दिखाती है। इससे आयु में कमी हो सकती है। इस प्रकार समताप मंडल ओजोन यदि जीवधारियों की मित्र है तो क्षोभमण्डलीय ओजोन उनकी शत्रु है। इस प्रकार ओजोन परत के क्षरण के निम्नलिखित प्रभाव है-


- ओजोन परत का क्षरण और पराबैंगनी किरणों का विकिरण जीव जंतुओं के लिए बहुत खतरनाक है इसके संपर्क में आने से मनुष्य में त्वचा कैंसर रोग, आंख की बीमारी तथा संक्रामक रोग खेलते हैं मानव त्वचा में एक प्रतिनिधि संस्था है जो पराबैंगनी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है। त्वचा पर अत्यधिक पराबैंगनी किरणें टकराने से त्वचा की प्रतिरोधी क्षमता नष्ट हो जाती है जिसके परिणाम स्वरूप त्वचा कैंसर तथा कई अन्य बीमारियां फैलती है।
- पराबैंगनी विकिरण का प्रभाव वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड तथा कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा पर पड़ेगा। जिससे वायुमंडल में विभिन्न गैसों की स्थिति भी प्रभावित होगी। जिसका असर उत्पादन तथा पौधों के नष्ट होने की प्रक्रिया पर भी पड़ेगा।
- पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से तापमान बढ़ जाएगा। इसके विपरीत समताप मंडल का तापमान कम हो जाएगा और धीरे-धीरे आने वाले 30 वर्षों में पराबैंगनी किरणों में 20% तक की वृद्धि हो जाएगी। इससे जलवायु में परिवर्तन होगा।
- ओजोन के क्षरण का वनस्पतियों तथा जीव जंतुओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। ताप बढ़ने से प्रकाश संश्लेषण की क्षमता में और जल उपयोगी क्षमता में कमी आ जाएगी। जिसके कारण पौधे सूख जाएंगे, समुद्री जीव, मछलियां तथा पशुओं की प्रजातियां मर जाएंगी।