एक अच्छे परामर्शदाता में किसी एक विशेषता का समावेश न होकर अनेक गुणों एवं विशेषताओं का समावेश होता है। एक परामर्शदाता के गुणों एवं विशेषताओं के बारे में हार्डी महोदय का कहना है-
यदि कोई व्यक्ति उन विशेषताओं की सूची तैयार करें जिनका परामर्शदाता में होना आवश्यक है तो सूची सर्वोत्तम गुणों के संग्रह में समान हो सकती है।
केलर के अनुसार एक परामर्शदाता में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है-
- गहरा विशिष्ट ज्ञान
- साक्षात्कार, परीक्षण तथा नियोजन की तकनीक में कुशलता।
- अच्छी आधार शक्ति।
- विवेकशीलता, उत्साह एवं संवेदनशीलता, सहानुभूति।

एक अच्छे परामर्शदाता के गुण
कुछ मुख्य विद्वानों के अनुसार एक अच्छे परामर्शदाता में निम्नलिखित गुणों एवं विशेषताओं का होना आवश्यक है-
- परामर्शदाता को छात्रों की सभी प्रकार की सूचियों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए पूर्ण रूप से प्रशिक्षित होना चाहिए।
- परामर्शदाता की विभिन्न व्यवसाय से संबंधित संपूर्ण जानकारी आवश्यक है। साथ ही उसे विभिन्न विषयों एवं भविष्य में उत्पन्न होने वाले नए नए रोजगार के बारे में गहन एवं विशिष्ट ज्ञान होना चाहिए।
- परामर्शदाता को अपने छात्रों के प्रति तथा परामर्श चाहने वाले के प्रति नम्र होना चाहिए।
- परामर्शदाता को विद्यालय के भौतिक साधनों, मानवीय साधनों तथा विभिन्न व्यवसाय से संबंधित पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए।
- एक अच्छे परामर्शदाता को मानव व्यवहार के मूल सिद्धांतों के बारे में पूरी जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है।
- एक अच्छे परामर्शदाता को आसपास के सामाजिक, भौतिक, व्यावसायिक तथा सांस्कृतिक वातावरण के बारे में गहन सामान्य ज्ञान होना चाहिए।
- परामर्शदाता में कितनी शैक्षिक योग्यता होनी चाहिए कि बाल एवं किशोर मनोविज्ञान से वह पूरी तरह परिचित हो।
- परामर्शदाता को छात्रों की विभिन्न प्रकार की समस्याओं को समझने तथा जानने के लिए कार्य का स्वयं अनुभव होना चाहिए।

एक अच्छे परामर्शदाता के कार्य
परामर्शदाता बहुत से कार्य और सेवाओं का निर्वहन करता है, जिनमे से कुछ निम्न हैं-
- व्यक्तिगत परामर्श – परामर्शदाता विद्यालय में अलग से समय निर्धारित कर छात्रों को उनकी शैक्षिक और व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान के लिए परामर्श प्रक्रिया को पूरा करता है।
- सामूहिक परामर्श – परामर्शदाता छात्रों के छोटे-छोटे समूह बनाकर उनको समस्याओं के समाधान हेतु प्रेरित करता है। छात्रों के विचारों और आवश्यकताओं को समझकर शैक्षिक योजना का निर्माण करता है।
- अर्पण कार्य – परामर्शदाता एक अर्पण कार्यकर्ता की भांति कार्य करता है। वहां छात्रों की समस्या के समाधान हेतु उनके परिवार और अन्य स्रोतों से प्राप्त अभिलेखों के साथ परामर्शी को अन्य परामर्शदाता के पास भी भेज सकता है तथा दूसरों से प्राप्त करता है।
- परामर्शदाता छात्र की योग्यता और आवश्यकता के अनुरूप शिक्षकों और अभिभावकों को सलाह व सुझाव देता है।
- छात्रों की अभिवृद्धि रुचि, योग्यता क्षमता के अनुरूप उन्हें रोजगार परक विषयों के चयन करने में सहायता प्रदान करता है ताकि भविष्य में जीवन में सफल हो सके।
- परामर्शदाता अपने कार्यों और सेवाओं द्वारा छात्र, परिवार, शिक्षकों, प्रधानाचार्य एवं चिकित्सकों के मध्य समन्वय स्थापित करने का कार्य करता है। उदाहरण के तौर पर परामर्शदाता विद्यालयों में मानवीयकृत परीक्षण के सत्र के आयोजन के लिए छात्रों शिक्षकों और प्रशासकों के मध्य समन्वय का कार्य करता है।
- मूल्यांकन के द्वारा परामर्शी की क्रियाओं और सफलता की प्रभाव वक्ता का मापन किया जाता है।

- शोधकार्य – परामर्शदाता निरंतर शोधकार्य में संलग्न रहता है तथा उस कार्य का उपयोग भावी परिस्थितियों में परामर्शदाता स्वयं अथवा अन्य परामर्श को द्वारा परामर्श सेवा में किया जाता है। इन कार्यों के अतिरिक्त परामर्शदाता निम्न कार्य करता है-
- परामर्शदाता को अपने क्षेत्र अथवा सीमा के बाहर नहीं जाना चाहिए।
- परामर्शदाता का लक्ष्य सेवार्थी को समस्या से परिचित कराना है
- परामर्शदाता को किसी वस्तु को सही करने वाले के रूप में कार्य करना चाहिए।
- परामर्शदाता को सेवार्थी के समक्ष समस्त संभावनाओं को प्रस्तुत कर देना चाहिए।
- अंतिम निर्णय सेवार्थी को लेने में सहयोग करना।
- परामर्शदाता को सेवार्थी की समस्या पर विभिन्न दृष्टिकोणों से विचार करना चाहिए।
- विभिन्न व्यवसायों से संबंधित सूचनाओं को एकत्रित करना
- समुचित भौतिक परिस्थितियां तथा सेवाएं उपलब्ध कराना
- उचित अनुमोदन तथा प्रक्रिया का अनुसरण करना
- सेवार्थी से संबंधित विभिन्न आंकड़ों का संकलन करना।