उद्देश्यों द्वारा प्रबंध

इस प्रबंध को लक्ष्यों द्वारा प्रबंध, मिशन द्वारा प्रबन्ध, प्रयोजन द्वारा प्रबंध, परिणामों द्वारा प्रबंध इत्यादि नामों से जाना जाता है। यह आधुनिक प्रबंध का आधुनिक सिद्धान्त है। इसके अन्तर्गत कार्यों को प्रबंध के विभिन्न स्तरों पर निर्धारित किया जाता है, फिर व्यवसाय के उद्देश्यों को पूर करने के लिए निर्देशन दिया जाता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि यह एक आधुनिक प्रबंध की नवीनतम तकनीक है। इसमें एक व्यूह की रचना की जाती है।

संस्था का उच्च अधिकारी उद्देश्यों को निर्धारित करता है और फिर उन्हीं उद्देश्यों के आधार पर प्रबंधकों का उद्देश्य निर्धारित किया जाता है। फिर इसके बाद प्रबंधकों के कार्यों का मूल्यांकन भी इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया जाता है। इसीलिये इसे उद्देश्यों द्वारा प्रबंध कहते है। इस संबंध में विभिन्न विद्वानों में विभिन्न प्रकार की परिभाषाएं दी है, जिनमें से कुछ परिभाषाएं निम्नवत हैं-

इस पद्धति के अन्तर्गत प्रत्येक प्रबंधक के लिए सम्पूर्ण वर्ष या कुछ नियत अवधि के लिए लक्ष्य निर्धारित कर दिये जाते हैं, जिनको प्राप्त करना अनिवार्य होता है। निर्धारित अवधि के बाद उपलब्धियों का मापदण्डों के अनुसार मूल्यांकन किया जाता है।

उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध अभिप्रेरणा की एक पद्धति है जो कर्मचारी एवं उनके अधिकारियों कर्मचारियों के भावी निष्पादन के लक्ष्य निर्धारण की स्वीकृति देती है।

उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध प्रणाली है जिसके अन्तर्गत संस्था के आधारभूत उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न विभागों के प्रभारी अधिकारियों के बीच उनके कर्तव्यों व अधिकारों का विभाजन किया जाता है।

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सबसे पहले अधिकारी वर्ग संस्था के उद्देश्य निर्धारित करते हैं और उसके बाद इन्हीं उद्देश्यों के आधार पर प्रबंधकों के उद्देश निर्धारित किये जाते हैं और अंत में इन्ही उद्देश्यों के आधार पर प्रबंध के कार्यों का मूल्यांकन किया जाता है।

उद्देश्यों द्वारा प्रबंध की विशेषताएं

  1. उद्देश्यों का निर्धारण – उद्देश्य संस्था तथा उसके कर्मचारियों के उद्देश्य पहले से ही निर्धारित कर दिये जाते है उनी वितारपूर्वक समझा दिये जाते है।
  2. उद्देश्य के निर्धारण में टीम भावना – उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध के अन्तर्गत जब व्यवसाय एवं कर्मचारियों के उददेश्य निर्धारित किये जाते है तो यह कार्य केवल अधिकारियों द्वारा नहीं किया जाता बल्कि अधीनस्थों के साथ मिलकर टीम भावना से किया जाता है।
  3. निश्चित अवधि – उद्देश्यों द्वारा प्रवन्धके उद्देश्यों का निर्धारण एक निश्चित अवधि के लिए हो सकता है जो पाँच वर्ष तक हो सकती है।
  4. निष्पादन स्तर का निर्धारण – उद्देश्यों के द्वारा प्रबन्ध के अन्तर्गत प्रबन्धकों के निष्पादन स्तर इस प्रकार निर्धारित किये जाते है कि व्यवसाय के आधारभूत उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक हो।
  5. संगठनात्मक ढाँचा – उद्देश्यों द्वारा प्रबन के अन्तर्गत व्यवसाय का संगठनात्मक ढाँचा इस प्रकार बनाया जाता है कि उसके अन्तर्गत प्रत्येक अपने निर्णय लेने के लिए स्वतन्त्र होता है तथा वे अपने निर्णयों में परिवर्तन करने के लिए मी स्वतन्त्र होते है जिससे उपक्रम की उत्पादकता में वृद्धि की जा सके।
  6. अभिप्रेरणा – उद्देश्यों द्वारा प्रथा के अन्तर्गत अधिकारियों एवं अधीनस्थों को अभिप्रेरणाएं दी जाती है जिससे अधिकारी उचित समय पर सही ढंग से निर्णय लेने में सक्षम हो सके तथा अधीनस्थ इन निर्णयों का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन कर सके।
  7. प्रशिक्षण – इस विधि के अन्तर्गत प्रबन्ध के सभी स्तरों पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है जिससे उपक्रम के उद्देश्यों को सुगमता से प्राप्त किया जा सके।

उद्देश्यों द्वारा प्रबंध के लाभ

उद्देश्यों द्वारा प्रबंध के लाभ निम्नलिखित है-

  1. कुशल निष्पादन – उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध की पद्धति से पूरी संस्था में लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए माहौल बन जाता है, इससे प्रबंधकीय निष्पादन में सुधार होता है। उपक्रम की समस्त क्रियायें उद्देश्यों पर आधारित होने के कारण सुचारु रूप से चलती रहती है।
  2. लाभदायकता – उद्देश्यों द्वारा प्रबंध के अन्तर्गत उपक्रम के प्रबन्धकों की क्रियायें केवल लाभदायक क्रियाओं पर आकर केन्द्रित हो जाती है।
  3. कार्य संतुष्टि – उद्देश्यों द्वारा प्रबंध से सभी कर्मचारियों को अपने-अपने कार्यों से संतुष्टि प्राप्त होती है जिससे कर्मचारियों में अच्छी भावना का विकास होता है और नैराश्य भावना का विकास नहीं हो पाता है। जिसकी वजह से सभी कर्मचारी खुश रहते है।
  4. प्रभावी निर्णय – उद्देश्यों द्वारा प्रबंध का मूल उद्देश्य निर्णयन में अधीनस्थों की सहभागिता को बढ़ाना होता है ताकि प्रभावशाली निर्णय लिये जा सके।
  5. समन्वय – उद्देश्यों द्वारा प्रबंध में उपक्रम की समस्त क्रियाओं मे समन्वय विद्यमान रहता है।
  6. निष्पादन के आधार पर वेतन एवं पदोन्नति – इस विधि के अन्तर्गत कर्मचारियों के द्वारा किये गये कार्य की वार्षिक समीक्षा की जाती है और उनका मूल्यांकन किया जाता है और उसी के आधार पर पदोन्नति व वेतन वृद्धि आदि के निर्णय लिये जाते हैं।
  7. समूह भावना – उद्देश्यों द्वारा प्रबंध के अन्तर्गत समूह के के सदस्य अपने उद्देश्यों का निर्धारण अपने वरिष्ठों से मिलकर तय करते हैं। इससे संस्था में समूह भावना विकसित होती है जिससे कुशल निष्पादन होता हैं।
  8. उच्च मनोबल – उद्देश्यों द्वारा प्रका करने में संस्था के कर्मचारियों का मनोबल हमेशा ऊंचा बना रहता है। इसका प्रभाव यह होता है कि सभी कर्म ‘उद्देश्यों को मली प्रकार समझते हैं और उसके अनुसार कार्य करते हैं।
  9. नियंत्रण – उद्देश्यों द्वारा प्रबंध करने से स्वीकृत योजना पर प्रभाग नियंत्रण बना रहता है तथा सभी कार्य उद्देश्यानुसार पूरे होते रहते हैं।
  10. अभिप्रेरणा – उद्देश्यों द्वारा प्रबंध करने के परिणामस्वरूप कर्मचारियों के साथ प्रबंधकों को भी अभिप्रेरणाएं मिलती है और इस विधि के अन्तर्गत कर्मचारी स्वप्रेरित होकर कार्य करते रहते हैं जिसका मुख्य लाभ संस्था को मिलता है।
  11. अधिकारों का भारार्पण – उद्देश्यों द्वारा प्रबंध करने से अधिकारो के भारार्पण का कार्य आसान हो जाता है। अधिकारों का भारत विकेन्द्रीकरण होने से संगठन और अधिक प्रभावशाली हो जाता है।
  12. उत्तरदायित्व की भावना – इस विधि को अपनाने से प्रत्येक कर्मचारी में उत्तरदायित्व की भावना का विकास होता है, जिसके कारण अधिक लगन एवं निता के साथ अपने उत्तरदायित्व को निभाता है, क्योंकि उसे पता रहता है। उसकी क्रियाओं की समीक्षा की जायेगी।
  13. श्रेष्ठ संचार व्यवस्था – उद्देश्यों प्रबंध विधि के अन्तर्गत संचार व्यवस्था उच्च श्रेणी की होती है जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन ब है और संस्था को लाभ मिलता है।
  14. प्रभावी प्रबन्धकीय विकास – इस विधि से प्रभावी प्रबन्धकीय विकास होता है जिसके कारण उपक्रम की प्रबंधकीय योग्यता स्तर ऊँचा हो जाता है।

उद्देश्यों द्वारा प्रबंध के दोष या सीमाएँ

उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध प्रणाली में अनेक अच्छाइयों होने के बावजूद कुछ दोष पाये जातेहै।जो निम्नलिखित है:

  1. उद्देश्यों के निर्धारण में कठिनाई – उद्देश्यों द्वारा प्रबंध प्रणाली का सबसे बड़ा दोष यह है कि इसमें उद्देश्यों के निर्धारण करने में सुभ सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए प्रबंधकों एवं कर्मचारियों से सहयोग पड़ता है, जिसकी वजह से उद्देश्यों के निर्धारण करने की प्रक्रिया कठिन हो जाती है
  2. समन्वय की समस्या – उद्देश्यों द्वारा दूसरी समस्या समन्वय की समस्या है, क्योंकि किसी भी संस्था में दीर्घकालीन एवं अल्पकाल उद्देश्यों में समन्वय स्थापित करना मुश्किल हो जाता है।
  3. लोच का अभाव – वर्तमान में परिस्थितियाँ प्रतिदिन तेजी से बदल रही हैं। ऐसी स्थिति में योजना कोई भी हो लोचपूर्ण होनी चाहिए। उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध प्रणाली में परिवर्तन करना कठिन होता है। कभी-कभी तो उद्देश्यों में परि करना असम्भव हो जाता है, जिसका परिणाम यह होता है कि जो संस्था अपने उद्देश समयानुसार परिवर्तन नहीं कर पाती है, पीछे रह जाती है। यह इस प्रणाली का सबसे बड़ा दोष है।
  4. कर्मचारियों को अभिप्रेरित करने में असमर्थ – उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध की प्रणाली अपने कर्मचारियों को अभिप्रेरित कर असमर्थ रहती है। इस विधि के अन्तर्गत कर्ममारियों से अधिक से अधिक कार्य करने कीबनाई जाती है जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन में तो पूर्ति हो सकती है लेकिन उत्पादकता में नहीं। इस विधि में कर्मचारियों पर कार्य का दबाव भी अधिक रहता है। इस प्रकार यह सिद्धान्त कर्मचारियों को अभिप्रेरित करने में असमर्थ रहता है।
  5. योग्य एवं प्रशिक्षित प्रबन्धकों का अभाव उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध में योग्य एवं प्रशिक्षित प्रबन्धकों की आवश्यकता होती है, लेकिन प्रायः देखने में यह आता है कि संस्था में जो प्रबन्ध एवं अधिकारी पहले से ही मौजूद होते हैं, उन्हीं के द्वारा नियोजन किया जाता है। यह प्रणाली उसी दशा में सफल हो सकती है जब कर्मचारियों को तकनीक का पर्याप्त ज्ञान हो। कर्मचारियों में योग्यता एवं कुशलता न होने के कारण सहयोग के स्थान पर टकराव होता है।
  6. अधिक समय लेने वाली तकनीक उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध करने में विभिन्न स्तरों पर उद्देश्यों को निर्धारित करना पड़ता है जिसकी वजह से बहुत समय बर्बाद होता है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार की सभाएं करने में एवं मूल्यांकन करने बहुत समय लगता है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि यह प्रणाली अधिक समय लेने वाली प्रणाली है।
  7. गुणात्मक उद्देश्यों की बलि उदेश्यों द्वारा प्रबन्ध करने में गुणात्मक उद्देश्यों की भी अनदेखी कर दी जाती है अर्थात् गुणात्मक उद्देश्यों को कोई महत्व नहीं दिया जाता है।
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments