उच्च शिक्षा समस्याएं – भारत में विभिन्न स्तरों की शिक्षा के उद्देश्य निश्चित करने का कार्य सर्वप्रथम वुड के घोषणा पत्र में किया गया। इसके बाद भारत में जो भी शिक्षा आयोग गठित किए गए सभी ने विभिन्न स्तरों की शिक्षा के उद्देश्य स्पष्ट करने का कार्य जारी रखा। 15 अगस्त 1947 को देश की स्वतंत्रता के उपरांत 1948 में भारत सरकार ने राधाकृष्णन आयोग का गठन किया।

उच्च शिक्षा समस्याएं
उच्च शिक्षा समस्याएं

उच्च शिक्षा समस्याएं

उच्च शिक्षा का प्रसार हमारे देश में इसी एक तथ्य से प्रमाणित हो जाता है कि आज हमारे देश में 160 विश्वविद्यालय हैं। इन विश्वविद्यालयों द्वारा शिक्षा का प्रसार करने में निम्न कठिनाइयां आती हैं-

1. नए विश्वविद्यालय

आज हमारे देश में 160 विश्वविद्यालय हैं परंतु आज भी कभी-कभी नए विश्वविद्यालय की मांग बढ़ती है। यह एक विचार पूर्ण तथ्य है कि क्या हमें और विश्वविद्यालयों की आवश्यकता है हमारे देश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्तियों का अनुपात 1:40 है, जबकि इंग्लैंड तथा अमेरिका जैसे देश में यह अनुपात क्रमशः 1:12 तथा 1:3 है।

इस तथ्य के साथ हमें यह भी देखना है कि इन राष्ट्रों के मुकाबले में हमारी जनसंख्या भी तीन या चार गुनी है। यदि सर्वेक्षण को आधार बनाया जाए तो इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि हमें सिंगल फैकेल्टी यूनिवर्सिटी की आवश्यकता अधिक है। जिन क्षेत्रों में इस प्रकार की सुविधाओं का मूलभूत ढांचा पहले से ही विद्यमान है, वहां पर इस प्रकार की यूनिवर्सिटी को आसानी से स्थापित किया जा सकता है।

जैसे जमशेदपुर में खनिज विकास, सेवाग्राम में बुनियादी शिक्षा, कानपुर तथा अहमदाबाद में टेक्सटाइल इंजीनियरिंग तथा रुड़की में इंजीनियरिंग आदि से संबंधित यूनिवर्सिटी की स्थापना हो सकती है। वास्तव में नए विश्वविद्यालयों की स्थापना के साथ-साथ उनके अधिक नियोजन की भी आवश्यकता है, बिना पूर्ण आर्थिक नियोजन के यह विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो सकते हैं।

Indira Awas Yojana, उच्च शिक्षा समस्याएं
उच्च शिक्षा समस्याएं

विश्वविद्यालय संप्रभुता

2. सरकार तथा विश्वविद्यालय

हमारे संविधान में कहा गया है कि शिक्षा राज्य का विषय है संविधान निर्मात्री समिति ने राज्य को उसके क्षेत्र में उच्च शिक्षा करने की व्यवस्था पर जोर दिया है। कुछ लोगों का ख्याल था कि उच्च शिक्षा केंद्र का विषय होना चाहिए। राज्यों को माध्यमिक शिक्षा तक का उत्तर दायित्व सौंपना चाहिए।

विश्वविद्यालय आयोग 1948 इस पक्ष में नहीं था की उच्च शिक्षा को केंद्र को सौंपा जाए। इसके दो प्रमुख कारण थे-

  1. स्टीरियोटाइप शिक्षा का होना।
  2. राज्य सरकार माध्यमिक तथा प्राथमिक शिक्षा का उत्तरदायित्व ले।

इससे केंद्र और राज्य के मध्य गंभीर असंतुलन होगा।

3. राज्य सरकार तथा विश्वविद्यालय

भारतीय विश्वविद्यालय दो प्रकार से राज्य पर निर्भर रहते हैं।

  1. विश्वविद्यालयों का निर्माण राज्य सरकार के द्वारा हुआ है तथा विश्वविद्यालय अपनी व्यवस्था तथा अपने विधान के लिए राज्य सरकार पर आश्रित रहते हैं।
  2. यह विश्वविद्यालय राज्यों से आवर्तक तथा अन आवर्तक अनुदान सहायता प्राप्त करते हैं, इसका परिणाम विधायकों पर निर्भर होता है।
उच्च शिक्षा समस्याएं
उच्च शिक्षा समस्याएं

4. विश्वविद्यालय संप्रभुता

पिछले कुछ समय से इस प्रकार की घटनाएं प्रकाश में आई हैं जिससे विश्वविद्यालयों की संप्रभुता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। सरकार के द्वारा विश्वविद्यालयों की नीतियों व व्यवस्था में हस्तक्षेप करा जा सकता है, इससे विश्वविद्यालय की संप्रभुता तथा कर्मचारियों का स्वाभिमान भी क्षतिग्रस्त होता है। (उच्च शिक्षा समस्याएं)

उपकुलपति को राज्यपाल मुख्यमंत्री तथा यहां कि राज्य के मंत्रियों तक के आदेशों का पालन करना पड़ता है। इस संबंध में 14 जून 1958 को एक एक्ट पारित हुआ जिस के निर्देशन में एक यूनिवर्सिटी एक्ट की स्थापना हुई जो विश्वविद्यालय को परामर्श देने का कार्य करती है। इस एक्ट के अनुसार विश्वविद्यालय की संप्रभुता प्रजातंत्र में शिक्षा तथा शिक्षा में प्रजातंत्र है।

Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments