इस्लाम दर्शन – इस्लाम शब्द का शाब्दिक अर्थ है शांति, शांति प्राप्त का मार्ग व विनम्रता। धार्मिक अर्थ में इस्लाम शब्द का अर्थ ईश्वर की इच्छा को पूर्णता मानना होता है। इस्लाम धर्म एवं दर्शन कुरान पुस्तक में वर्णित है। कुछ अन्य ग्रंथ भी इस्लाम धर्म बौद्ध दर्शन के सिद्धांतों को स्पष्ट करते हैं जैसे तौरत, इंजील, जिब्रील, सहीफे जिनकी चर्चा कुरान में ही हुई।

इस्लाम दर्शन का अर्थ

भारत के मध्य युग में इस्लाम का आगमन हुआ जिसने भारतीय समाज संस्कृत एवं विचारधारा के चिंतन के नए तत्व देकर शिक्षा दर्शन का सूत्रपात किया। यह पहला विदेशी धर्म था जिसने भारतीय समाज एवं जीवन के प्रत्येक पक्ष के सिद्धांतों के अनुकूल शिक्षा का संगठन किया गया और इसके अर्थ उद्देश्य पाठ्यक्रम विधि संस्था विद्यालय अध्यापक एवं उनके संबंध में नई अवधारणाएं बनी जिन्हें संगठित रूप से इस्लामी शिक्षा दर्शन कहते हैं।

इस्लाम दर्शन में ज्ञान की प्राप्ति पर बल दिया गया है भारतीय लोगों के अतिरिक्त संसार के सभी मनुष्यों ने ज्ञान को जीवन का प्रकार समझा और अंतिम लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास किया एवं मार्गदर्शन प्राप्त किया और इसी को शिक्षा का नाम दिया शिक्षा की यही धारणा इस्लाम शिक्षा दर्शन में भी देखने को मिलती है कुरान की शुरुआत अल्लाह की इबादत से होती है।

जिससे सही दिशा पर चलने की प्रार्थना की गई है इसमें शिक्षा का अर्थ ज्ञान एवं तथा विधायक से लिया गया है जो पैगंबर से प्राप्त हो इस्लाम में शिक्षा का अर्थ कुरान में दिया गया इनमें से है जिसे पढ़ने सीखने और धारण करने तथा व्यवहार में प्रयोग करने का समन्वित नाम ही शिक्षा है।

इस्लाम दर्शन की विशेषताएं

इस्लाम दर्शन में निम्नलिखित विशेषताएं देखने को मिलती है-

  1. स्वर्ग नरक व पाप पुण्य में विश्वास – इस्लाम दर्शन इस्लाम धर्म पर आधारित है अतएव वह भी उसके मतो एवं आचार विचार को अपनाए हुए है। किस धर्म के मानने वाले स्वर्ग नरक तथा पाप और पुण्य में विश्वास करते हैं।
  2. इस्लाम दर्शन पाक आचरण पर बल देता है– इस्लाम धर्म व दर्शन एक ऐसी जिंदगी के लिए जोर देते हैं जिसमें उसे मानने वालों के लिए कुछ फर्ज है; जैसे – अल्लाह की इबादत, रोजा, जकात, परहेज, प्रतिज्ञा पालन आखिरी रात फरिश्तों पैगंबरों किताबों पर ईमान आदि।
  3. इस्लाम दर्शन जीवन में शांति का संदेश देता है– इस्लाम धर्म जीवन में शांति के लिए जोर देता है इसीलिए उनके दर्शन में या विशेषता पाई जाती है कुछ अशिक्षित मुस्लिम इस धर्म के विचारों को अपनी दृष्टि से देखते हैं तथा उनकी गलत व्याख्या करते हैं।
  4. इस्लाम दर्शन कर्मवादी दृष्टिकोण रखता है– कुरान में लिखा है कि यदि तुम अल्लाह के सिवाय किसी की इबादत नहीं करोगे और माता पिता के साथ सलूक से पेश आओगे और रिश्तेदारों, अनाथ और दीन दुखियों के साथ भी और लोगों के साथ भले तौर पर मुलामियत से बात करोगे और नमाज कायम करोगे और जकात दोगे तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा।
  1. इस्लाम दर्शन ज्ञान वादी दृष्टिकोण रखता है– इस्लाम धर्म अनिवार्यता कुरान का ज्ञान धर्म है कुरान इस्लाम के मानने वालों के लिए ज्ञान का भंडार है पैगंबर मोहम्मद साहब ने इसी प्रसंग में कहा है कि “प्रत्येक मर्द और औरत मुसलमान का धार्मिक कर्तव्य है ज्ञान की प्राप्ति और ज्ञान की प्राप्ति जन्म से मृत्यु तक होनी चाहिए।”
  2. इस्लामी दर्शन में ईश्वर को सर्वगुण संपन्न कहा जाता है कुरान के अनुसार ईश्वर अल्लाह विभिन्न गुणों से युक्त है यद्यपि इस्लामी दर्शन में ईश्वर निर्गुण निराकार माना जाता है फिर भी इसके विभिन्न गुण माने गए हैं।
  3. इस्लाम दर्शन व्यक्ति में भी विभिन्न गुण होना बताता है– कुरान की विभिन्न आयतों के अनुसार मनुष्य में अनेक गुण पाए जाते हैं। इस्लाम दर्शन व्यक्ति को अपने सही कर्तव्य की ओर ले जाता है। सही कर्तव्य का मार्गदर्शन सुधा चरण श्रद्धा और खुदा की मेहरबानी से होता है।
  4. इस्लामी दर्शन में त्रैकता पर बल दिया जाता है– इस्लाम धर्म उसके दर्शन का आधार है इसलिए वह त्रैकता मैं विश्वास रखता है इसके अनुसार तीन चीजों में हर एक मुसलमान का विश्वास होना जरूरी है अल्लाह पैगंबर और फरिश्ता यह तीनों दोजक नर्क से दूर रखते हैं और मनुष्य जीवन का अंतिम लक्ष्य प्राप्त करता है।
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