इकाई योजना का सर्वप्रथम विकास एच सी मॉरीसन ने किया यह प्रविधि गेस्टाल्ट मनोविज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित मानी जाती है। इकाइ योजना बीसवीं शताब्दी की देन है। सन 1920 से 1935 के मध्य इसके अनेक रूप सामने आए किंतु इसका व्यापक प्रयोग 1929 के बाद ही शुरू हुआ। इस योजना का विकास ऐसी मारीसन ने किया परंतु इकाई शब्द को लाने का श्रेय हरबर्ट महोदय का है।
इकाई योजना
साधारण अर्थ में दैनिक पाठों के योग को ही इकाई के नाम से जाना जाता है। जिस प्रकार दैनिक योजना में एक शीर्षक पद्धति के लिए 35 मिनट के कलांश हेतु पाठ योजना निर्मित करते हैं उसी प्रकार पूरे अध्याय की एक योजना बनाई जाती है जिसमें यह इंगित किया जाता है कि पूरे अध्याय में शिक्षकों के अंतर्गत कितने कलांशों में तथा कौन से दिन पढ़ाना है। इसे ही इकाई योजना के नाम से जाना जाता है।

इकाई योजना शिक्षक द्वारा इकाई की विषय वस्तु को कक्षा में प्रस्तुत करने की क्रमबद्ध तैयारी है शिक्षक किसी निश्चित क्रम में इकाई की विषय वस्तु को कक्षा में प्रस्तुत करने का मानस बनाता है। इस विषय वस्तु को क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत करने की कार्य योजना और इसको उपायों के रूप में प्रस्तुत किया जाना ही इकाइ योजना है। अतः उक्त इकाइयों का एकीकृत प्रस्तुतीकरण ही इकाइ योजना है। अधिगम अनुभवों के सृजन के लिए अपेक्षित शिक्षक शिक्षार्थी क्रियाओं की क्रम बद्ध व्यवस्था की रूपरेखा इकाइ योजना में सम्मिलित है।
इकाई योजना की विशेषताएं
इकाई योजना की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
- इकाइ योजना की व्यवस्था उद्देश्य की प्राप्त की दृष्टि से होती है। मॉरीसन का कथन है कि का योजना की क्रियाओं की व्यवस्था इस प्रकार होनी चाहिए। जिससे उद्देश्यों का बोध स्पष्ट रूप से ही हो सके। शिक्षक को अपनी क्रियाओं से उद्देश्यों की जानकारी हो सके।
- इसमें का स्वरूप बोधगम्य तथा व्यापक होता है।
- इसमें सार्थक क्रियाओं का एकीकरण इस प्रकार किया जाता है कि संपूर्ण व्याख्या हो सके।
- इसमें क्रियाओं से आरंभ करने तथा समाप्त करने के स्थलों की जानकारी होती है।
- इकाई योजना में विविध प्रकार की सभी शिक्षकों को सूचित किया जाता है।
- इसमें मूल्यांकन के लिए आधार प्रस्तुत करती है।
- एक अच्छी का योजना धन शक्ति और समय की दृष्टि से मितव्ययी होती है।

इकाई योजना का महत्व
इकाई योजना का महत्व अग्रवत प्रकार से होता है-
- इकाई योजना के द्वारा ज्ञान को एक पूर्ण इकाई के रूप में स्वीकार किया जाता है।
- इसमें में वातावरण को महत्व दिया जाता है। इस प्रकार पाठ योजना विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत की जाती है कि बालकों को स्वयं का अनुभव प्राप्त हो सके। जिससे बालक वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं।
- इकाई योजना में विद्यार्थियों की रुचि योग्यता और आवश्यकता पर पूर्णरूपेण ध्यान दिया जाता है।
- इसमें धन शक्ति और समय के दृश्य कम खर्चीली होती है।
- इकाई योजना के साथ पालक प्रत्यय पर स्वामित्व प्राप्त कर लेते हैं।
- इसमें के द्वारा अध्यापक को शिक्षण क्रियाओं में वांछित एवं उपयोगी क्रियाओं की जानकारी भी हो जाती है।
Ese heading ke aadhar pr likhna tha