आर्थिक विकास का अर्थ शुद्ध राष्ट्रीय आय में दीर्घकालीन वृद्धि को सूचित करने वाली प्रक्रिया से है। दूसरे शब्दों में आर्थिक विकास हुआ प्रक्रिया है जिसके द्वारा अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय मैं दीर्घकालीन और सतत वृद्धि होती है। आर्थिक विकास को न्यू प्रकार परिभाषित किया जाता है।
आर्थिक विकास एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा दीर्घकाल में किसी अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।
मायर या वोल्डविन के अनुसार
आर्थिक विकास का संबंध इस उद्देश्य से होता है जो एक देश के द्वारा अपनी वास्तविक आय बढ़ाने हेतु समस्त उत्पादन साधनों का प्रयोग करता है।
पाल एडवर्ल्ड के अनुसार
आर्थिक विकास का अर्थ प्रति व्यक्ति आय उत्पादन से लगाया जाता है वादन की वृद्धि एक और उपलब्ध प्राकृतिक साधनों पर तथा दूसरी और माननीय व्यवहार पर निर्भर करती है।
डब्लू ए लेविस के अनुसार

आर्थिक विकास के साधन के रूप में शिक्षा में योगदान
शिक्षा और आर्थिक विकास का आपस में बहुत पुराना संबंध है सच्चा विश्वास और सामाजिक शक्ति एवं एकता को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ आर्थोपार्जन क्रिया के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। किसी भी देश का आर्थिक विकास में देश के प्राकृतिक साधनों पर निर्भर करता है अधिकांश लोगों का यह मानना है कि देश में जितने अधिक प्राकृतिक साधन उपलब्ध होंगे वह देश उतना ही अधिक उन्नति शील होगा।
लेकिन आज के युग में ऐसा नहीं है बहुत से देश है जहां प्रगति साधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने के बावजूद व पिछड़े हुए हैं। हातिम का इसका तात्पर्य देश की राष्ट्रीय आय सामग्री उत्पादन की मात्रा तथा सेवाओं परिणाम उत्तरोत्तर वृद्धि करने से है। इसके लिए पूरी साधन श्रम संगठन तथा साहस की आवश्यकता होती है।
उत्पादन में प्राकृतिक साधन तथा मानवीय साधन दोनों जरूरी है। विकास का प्रयोजन मनुष्य के जीवन स्तर को ऊंचा करना है। आर्थिक विकास के लिए उनमें आत्मविश्वास प्रकृति व्यापार समझने की शक्ति और उसका सामना करने की योग्यता उत्पन्न करके समाज में एक नए पर्यावरण का निर्माण करना होगा उसके लिए शिक्षा आवश्यक होगी आधुनिक भारत में शिक्षा का प्रथम उद्देश्य भी आर्थिक विकास का होना चाहिए।
आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण कारक वस्तुओं की उत्पादकता तथा उनकी गुणवत्ता को बढ़ाना है। यह कार्य शिक्षा वस्तुओं में सीधे सुधार करने की अपेक्षा मनुष्य में सुधार करती है। इसलिए शिक्षा आर्थिक विकास में प्रत्यक्ष के साथ-साथ परोक्ष भी पहुंचती है। शिक्षा समाज में आर्थिक तथा सामाजिक समाज का विकास करती है। जिससे निरक्षरता, जनसंख्या वृद्धि, अपव्यय आवश्यकताओं को सीमित रखना बचत तथा मित्रता जैसी बातों को समाज में जागृत कर के आर्थिक विकास में सहायता करती है।


संयुक्त राज्य अमेरिका के आर्थिक विकास पर अनुसंधान कर के एडवर्ड एफ डेनिसन ने निम्नलिखित महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले, जो आर्थिक विकास के रूप में शिक्षा के योगदान को स्पष्ट करते हैं-
- अच्छी शिक्षा प्राप्त व्यक्ति के कम शिक्षित प्राप्त व्यक्ति की अपेक्षा अधिक अच्छा कार्य करने की संभावना है वह कार्य को शीघ्रता से भी कर लेता है और कम पर्यवेक्षण की आवश्यकता होती है।
- अतिरिक्त शिक्षा प्राप्त व्यक्ति नए विचारों को पाने के लिए आर्थिक तत्पर रहता है और कार्य को अधिक अच्छे ढंग से करने के प्रति सजग रहता है।
- अतिरिक्त शिक्षा प्राप्त व्यक्ति को व्यवसाय का चयन करने की अधिक आजादी रहती है वह विवेक का प्रयोग करके अच्छा व्यवसाय चुनता है तथा अधिक आर्थिक उन्नति करता है।
- आज के व्यवसाय कम शिक्षित व्यक्तियों के बस की बात नहीं है, आज व्यवसाय के अनुसार उसकी तकनीक का ज्ञान आवश्यक है।
शिक्षा पर विनियोग राष्ट्रीय आय बढ़ाने में निम्न प्रकार से सहयोग कर सकता है-
- शिक्षा में विनियोग से प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है।
- शिक्षा आधुनिक समाज को समय अनुकूल परिवर्तित करती रहती है।
- शिक्षा विकास और अनुसंधान के परिणामों को आधार प्रदान करती है।
- शिक्षा से समाज का दृष्टिकोण विस्तृत होता है।
- शिक्षा व्यक्ति के अच्छे गुणों को विकसित करती है जिससे वे करो का समय से भुगतान करते रहते हैं।
- शिक्षा तकनीक एवं औद्योगिक विकास करती है।
- शिक्षा से कृषि उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जाता है।
- शिक्षा समय का सदुपयोग करना सिखाती है।