आर्थिक विकास विशेषताएं – Top 10 आर्थिक विकास का महत्व

आर्थिक विकास विशेषताएं – आर्थिक विकास शब्द का उपयोग एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के मात्रात्मक मापों की व्याख्या करने के लिये नहीं बल्कि उन आर्थिक, सामाजिक तथा अन्य परिवर्तनों को व्यक्त करने के लिये किया जाता है, जो संवृद्धि उत्पन्न करते हैं। इसके लिये उत्पादन की तकनीकी में सामाजिक दृष्टिकोण में तथा संस्थाओं में परिवर्तन की आवश्यकता होती है। आर्थिक विकास (Economic Development) एक व्यापक संकल्पना है क्योंकि इसके अन्तर्गत आय तथा गैर आय दोनों को सम्मिलित करते हैं।

आर्थिक विकास विशेषताएं

आर्थिक विकास विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

एक प्रक्रिया

आर्थिक विकास एक प्रक्रिया है। प्रक्रिया का अर्थ अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक तथा संस्थागत बदलाव से है। इन परिवर्तनों के कारण ही अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों की पूर्ति तथा वस्तुओं की माँग संरचना में बदलाव आते हैं। साधनों की पूर्ति में परिवर्तन से आशय जनसंख्या, उत्पादन साधन, पूँजी उत्पादन तकनीक व अन्य संस्थागत परिवर्तनों से है। इसी प्रकार वस्तु सम्बन्धी मांग में परिवर्तन से अर्थ जनता की आय की रुचियों में परिवर्तन से है। जैसे- जैसे किसी देश की आर्थिक विकास की प्रक्रिया आगे बढ़ती जाती है, वैसे वैसे माँग एवं पूर्ति के स्वरूप में अनेक प्रकार के बदलाव होते जाते हैं। एक परिवर्तन दूसरे परिवर्तन को जन्म देता है तथा एक आर्थिक प्रक्रिया दूसरी क्रिया को गतिशील बनाती है।

आर्थिक विकास विशेषताएं

प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि

आर्थिक विकास का प्रमुख उद्देश्य प्रतिव्यक्ति आय में होने वाली वृद्धि है। प्रति व्यक्ति आय का अनुमान करने के लिए हम राष्ट्रीय आय में कुल जनसंख्या से भाग देकर प्राप्त करते हैं। मात्र राष्ट्रीय आय में होने वाली वृद्धि आर्थिक विकास का प्रतीक नहीं है। इसका कारण यह है कि यदि जनसंख्या में होने वाली वृद्धि दर राष्ट्रीय आय में होने वाली वृद्धि दर की तुलना में अधिक होगी तो प्रतिव्यक्ति आय बढ़ने के स्थान पर कम हो जाएगी। अतः आर्थिक विकास का अनुमान प्रतिव्यक्ति आय में होने वाली वृद्धि के आधार पर लगाया जा सकता है।

दीर्घकालीन सतत् वृद्धि

आर्थिक विकास की विशेषता के अन्तर्गत एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि शुद्ध आय में निरंतर वृद्धि होनी चाहिए। अल्पकाल में आर्थिक क्रिया के एकाएक बढ़ जाने से उदाहरणतः अच्छी फसल अथवा ऐसी ही दूसरी अल्पकालिक परिस्थिति के कारण प्रति व्यक्ति आय में होने वाली अस्थायी वृद्धि को आर्थिक विकास के अन्तर्गत नहीं रखना चाहिए।

आर्थिक विकास विशेषताएं
आर्थिक विकास विशेषताएं

तकनीकी अवधारणा

विकास एक तकनीकी अवधारण है जिसका अर्थ उत्पादन तकनीकी में सुधार से है। यह सुधार प्रशिक्षित एवं कुशल श्रम के रूप में, नवीन खोजों एवं अनुसंधानों के रूप में, जीवन स्तर में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के रूप में हो सकता है। आप आर्थिक विकास विशेषताएं Hindibag पर पढ़ रहे हैं।

उच्च जीवन स्तर की प्राप्ति

आर्थिक विकास का अभिप्राय एक अच्छे जीवन तथा उच्च जीवन स्तर (High Standard of Life) को प्राप्त करने से है, अर्थात् आर्थिक विकास का सम्बन्ध मानव विकास और मानव कल्याण से है। आप आर्थिक विकास विशेषताएं Hindibag पर पढ़ रहे हैं।

सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक परिवर्तन

आर्थिक विकास में न केवल आर्थिक परिवर्तनों का समावेश होता है बल्कि इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक, संस्थागत बदलाव भी सम्मिलित किये जाते हैं।

आर्थिक विकास महत्त्व
आर्थिक विकास विशेषताएं

आर्थिक विकास का महत्व

विश्व के सभी देशों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है धनी एवं निर्धन अथवा विकसित एवं अर्द्ध-विकसित। आर्थिक विकास का सम्बन्ध मुख्यतया अर्द्ध-विकसित देशों से ही जोड़ा जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि धनी कहे जाने वाले राष्ट्र प्राप्ति की सभी मंजिलों को पार करने के पश्चात् विकास की अन्तिम मंजिलों को पार करने के पश्चात् विकास की अन्तिम मंजिल पर पहुँच चुके हैं, जबकि पिछड़े देशों का आर्थिक विकास आज भी रुका हुआ है।

आज आर्थिक विकास का महत्व निरन्तर बढ़ता जा रहा है, क्योंकि यह मानव की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति का एकमात्र साधन है। आर्थिक विकास मानवीय सुरक्षा व कल्याण के लिए अति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त निर्धनता, बेरोजगारी, धन व आय की असमानता और बाजार की अपूर्णताओं आदि को कम करने का एकमात्र उपाय आर्थिक विकास को ही माना जा सकता है। आर्थिक विकास की माँग बढ़ती है।

आर्थिक विकास
आर्थिक विकास विशेषताएं

आर्थिक विकास के सिद्धान्त की मुख्य समस्या उस विधि को समझने से है, जिससे एक समुदाय, जो पहले अपनी राष्ट्रीय आय का 4 या 5% ही बचत या विनियोग करता है और वह उसे 12 या 15% तक परिवर्तित कर लेता है। आर्थिक विकास की मुख्य समस्या ज्ञान व योग्यता को पूँजी में सम्मिलित करते हुए पूँजी में वृद्धि करना है।

प्रो. लुईस के मतानुसार

इस प्रकार प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि होकर देश के आर्थिक विकास का प्रवाह तेजी से बढ़ने लगता है। आर्थिक नियोजन के अन्तर्गत जहाँ एक ओर राष्ट्रीय आय, उत्पादकता, रोजगार, आत्म-निर्भरता, पूँजी-निर्माण व सामाजिक कल्याण आदि में वृद्धि होती है, उसके दूसरी ओर निर्धनता, विषमताओं, सामाजिक लागतों, असन्तुलित विकास, बेरोजगारी, एकाधिकार प्रवृत्तियों, शोषण, उत्पीड़न व्यापार चक्र व बाजार की अपूर्णताओं आदि का भी ह्रास होता है। आधुनिक युग का एक ही नारा है कि “जो सर्वाधिक बलशाली है, वही जीवित रह सकता है।” आर्थिक विकास का महत्व निम्नलिखित शीर्षकों से स्पष्ट होता है –

  1. सामरिक महत्व – आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप देश में औद्योगिक प्रगति होती है और औद्योगिक शक्ति पर ही देश की सैनिक शक्ति निर्भर करती है। अतः आर्थिक विकास की सहायता से ही देश की सामरिक व प्रतिरक्षा को मजबूत किया जा सकता है।
  2. राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि – आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि होती है, जिससे राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है। इससे उनकी बचत क्षमता में भी वृद्धि हो जाती है।
  3. करदान क्षमता में वृद्धि – आर्थिक विकास से देश में औद्योगीकरण को प्रोत्साहन प्राप्त होता है, जनता की आय बढ़ती है, उसकी करदान क्षमता बढ़ जाती है। देश की सरकार भी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए अधिक से अधिक धन जनता से कर के रूप में वसूल करती है।
  4. सामाजिक सेवाओं में वृद्धि – आर्थिक विकास के फलस्वरूप शिक्षा, आवास, चिकित्सा, मनोरंजन आदि सामाजिक सेवाओं में वृद्धि होती है, परिणामस्वरूप मृत्यु दर घटती है और औसत आयु बढ़ जाती है।
  5. कृषि पर अच्छा प्रभाव – आर्थिक विकास से बेकार पड़ी भूमि पर भी कृषि की जाने लगती है। उस पर नवीन साधनों व उपकरणों का प्रयोग करके प्रति हेक्टेयर उत्पादन सरलता से बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही जनसंख्या का भूमि पर भार भी कम होने लगता है। – आर्थिक विकास से बेकार पड़ी भूमि पर भी कृषि की जाने लगती है। उस पर नवीन साधनों व उपकरणों का प्रयोग करके प्रति हेक्टेयर उत्पादन सरलता से बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही जनसंख्या का भूमि पर भार भी कम होने लगता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
आर्थिक विकास विशेषताएं
  1. जीवन स्तर में वृद्धि तथा दरिद्रता से छुटकारा – आर्थिक विकास का अर्थ वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि करना है। यह स्वाभाविक है कि राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने पर सभी लोगों की मौद्रिक आय में वृद्धि होगी, जिससे उनकी बढ़ती हुई क्रय शक्ति उनके जीवन स्तर में वृद्धि ला देगी।
  2. पूँजी निर्माण एवं नियोजन दर में वृद्धि – आर्थिक विकास के कारण नये-नये उद्योग स्थापित होते हैं। उनके द्वारा लाभ अर्जित किये जाने के कारण विनियोजन की दर में एवं पूँजी निर्माण में वृद्धि होने लगती है।
  3. चयन का क्षेत्र व्यापक होना – आर्थिक विकास से व्यक्ति का चयन क्षेत्र बहुत अधिक व्यापक हो जाता है। इससे देश में नये प्रकार के उद्योगों की स्थापना होने से जनता की अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है। अतः रुचि के अनुसार कार्य मिलने पर कार्यक्षमता बढ़ाना स्वाभाविक है।
  4. आर्थिक विषमता पर रोकन्याय की दृष्टि से देश में सामाजिक व आर्थिक समानता बनाये रखना अति आवश्यक समझा जाता है। धन का वितरण पूर्णतया न्यायपूर्ण व समान ढंग से होता है। (आर्थिक विकास विशेषताएं)
  5. आर्थिक उपलब्धियाँ – आर्थिक विकास की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप, अर्थव्यवस्था को अनेक आर्थिक लाभ मिलते हैं, जैसे राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि, पूँजी निर्माण, व्यापार चक्रों से मुक्ति अर्थात् आर्थिक स्थायित्व उत्पत्ति में साधनों का न्यायपूर्ण एवं सर्वोपयुक्त वितरण तथा प्राकृतिक साधनों का पूर्ण विदोहन आदि।
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